ऊना: पंजाब की सीमा से सटे हिमाचल प्रदेश के जिला ऊना की 5 ग्राम पंचायतों के लोगों ने सनोली के गुरुद्वारा साहिब के समक्ष पंजाब के उद्योग के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया है. दरअसल कई साल से पंजाब के एक केमिकल उद्योग के प्रभाव के चलते इन ग्रामीण क्षेत्रों के पेयजल और सिंचाई योजनाओं का पानी इस कदर प्रदूषित हो चुका है कि यह फसलों की सिंचाई करने के काबिल तो है ही नहीं अब पीने के काबिल भी यह पानी नहीं बचा है. इतना ही नहीं 11 मई को इसी उद्योग से हुए गैस के रिसाव की घटना के बाद इन ग्रामीणों में अपनी सुरक्षा को लेकर भी काफी खतरा है. ग्रामीणों ने ऐलान किया है कि यदि उनकी इस समस्या का निदान समय रहते नहीं हुआ तो वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव का बहिष्कार पांचों ग्राम पंचायतें सामूहिक रूप से करेंगी.
सरकार के खिलाफ ग्रामीणों ने की जमकर नारेबाजी: गुरुद्वारा साहिब के समक्ष चल रहे धरना प्रदर्शन के दौरान जिला प्रशासन प्रदेश सरकार और पंजाब के उद्योग के खिलाफ ग्रामीणों ने जमकर नारेबाजी भी की. वही हिमाचल प्रदेश किसान सभा के जिला अध्यक्ष रणजीत सिंह का कहना है कि उद्योग के केमिकल्स का खुले में निपटान करने का असर यह है कि इन ग्रामीण क्षेत्रों के पानी की सप्लाई पूरी तरह दूषित हो चुकी है. उद्योग पंजाब में स्थापित होने के चलते हिमाचल के लोग उसका विरोध भी सही तरीके से नहीं कर पा रहे या फिर दूसरे शब्दों में कहें तो उनके विरोध को लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है. लेकिन उद्योग द्वारा फैलाई जा रही गंदगी अब लोगों की जान से खेलने पर आमादा हो चुकी है.
'कैंसर जैसी भयंकर बीमारियां भी पसारने लगी हैं पैर': रणजीत सिंह ने कहा कि उद्योग के खिलाफ निर्णायक जंग शुरू करते हुए ग्रामीणों ने गुरुद्वारा साहिब सनोली के सामने धरना प्रदर्शन शुरू किया है. दूसरी तरफ रविंद्र सिंह ने बताया कि उनकी फसलें में पूरी तरह बर्बाद हो चुकी है. केमिकल का असर सिंचाई के बाद पेयजल योजनाओं के पानी तक जा पहुंचा है, जिसके चलते इन स्कीमों का पानी लगते ही फसलें बर्बाद हो रही हैं. इतना ही नहीं अब ग्रामीणों में कैंसर जैसी भयंकर बीमारियां भी पैर पसारने लगी हैं.
गांव के निवासी नरेंद्र सिंह ने बताया कि पानी की समस्या को लेकर वह हर सरकार के पास अपनी गुहार लगा चुके हैं. हर 5 साल के बाद सरकार जरूर बदलती है लेकिन इन लोगों के हालात कभी नहीं बदल पाए. ग्रामीणों ने संयुक्त रूप से ऐलान किया कि यदि उनकी इस समस्या का प्रशासन और सरकार द्वारा कोई हल नहीं निकाला गया तो उन्हें मजबूर होकर वर्ष 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव का बहिष्कार करना पड़ेगा.
वहीं, अतिरिक्त उपायुक्त महेंद्र पाल गुर्जर ने बताया कि प्रदूषण की समस्या को लेकर जिला के सीमांत 5 गांव के ग्रामीण प्रदर्शन कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि प्रदूषण की यह समस्या हिमाचल प्रदेश के बाहर की है. इसलिए सक्षम अधिकारियों को इससे अवगत करवा दिया गया है. इसके साथ ही एसडीएम ने भी ग्रामीणों से मुलाकात कर उनकी पूरी समस्या जानने के निर्देश दिए हैं, ताकि उचित मंच पर इस समस्या को उठाकर ग्रामीणों को राहत दिलाई जा सके.
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