शिमला: हिमाचल प्रदेश के जिला ऊना के सपूत दिलवर खान को भारत मां के लिए सर्वोच्च बलिदान के उपरांत कीर्ति चक्र घोषित किया गया है. ऊना जिला की बंगाणा तहसील के घरवासड़ा गांव के रहने वाले दिलवर खान ने पिछले साल जुलाई महीने में सर्वोच्च बलिदान दिया था. जेएंडके में आतंकियों के साथ मुठभेड़ के दौरान दिलवर खान शहीद हो गए थे. उस समय दिलवर खान की आयु महज 28 वर्ष थी.
ऊना जिला के दिलवर खान का जन्म मार्च 1996 में हुआ था. वे आरआर यानी राष्ट्रीय राइफल्स की 28वीं बटालियन में सेवारत थे. पिता कर्मदीन व मां भोलन बीबी को अपने वीर सपूत पर गर्व है. राष्ट्रीय राइफल्स के वीर सपूत दिलवर खान ने 23 जुलाई 2024 को कुपवाड़ा जिला की लोलाब घाटी में सर्च ऑपरेशन के दौरान देश की रक्षा के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया था.
सर्च ऑपरेशन के दौरान दिलवर खान व उनकी टीम ने दो आतंकियों को देखा. उनमें से एक आतंकी सर्च टीम के बिल्कुल करीब था. आरआर के जवानों ने फायर खोल दिया. एक आतंकी सर्च टीम के बिल्कुल करीब था. खतरा बड़ा था, लेकिन दिलवर खान ने दिलेरी दिखाते हुए आतंकी को दबोच लिया. दूसरे आतंकी ने लगातार फायरिंग जारी रखी. दिलवर खान ने जिस आतंकी को दबोचा हुआ था, उसे हैंड टू हैंड कांबेट में उलझाए रखा.
घायल होने के बाद भी दिलवर खान ने आतंकी को नहीं छोड़ा और पॉइंट ब्लैक रेंज से उसे धराशायी कर दिया. आतंकी तो मारा गया, लेकिन गंभीर रूप से घायल नायक दिलवर खान ने भी भारत मां के लिए अपने जीवन का बलिदान कर दिया. दिलवर खान सिर्फ 18 साल की आयु में ही भारतीय सेना का हिस्सा बन गए थे. दिलवर खान के बलिदान पर हिमाचल का हर वासी गर्व करता है. दिलवर खान की वीरता को सलाम करते हुए देश अब उन्हें कीर्ति चक्र विजेता नायक के रूप में स्मरण करेगा.
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