ऊनाः डेरा बाबा बड़भाग सिंह में चल रहेसुप्रसिद्ध होला मोहल्ला मेलेके साथ-साथ बाबा बालकनाथके चैत्र मेले और पीरनिगाह मेले केदौरान आस्था के नाम पर मौत का सफर किया जा रहा है. इन मेलों में पहुंचने वाले अधिकतर श्रद्धालु मालवाहक वाहनों में सफर कर रहे हैं.
हाईकोर्ट के आदेशों के बावजूद जिला ऊना में आस्था के नाम पर मौत का सफर बदस्तूर जारी है. मालवाहक वाहनों में यात्रियों को लाने व ले जाने के इस सफर पर नकेल कसने में ऊना पुलिस नाकाम साबित हो रही है. जिला के प्रवेश बैरियरों से पुलिस की नाक तले रोजाना सेंकड़ों मालवाहक वाहन श्रद्धालुओं को भरकर गुजर रहे है, लेकिन पुलिस अधिकारी व ट्रैफिक कर्मी इस पर कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं.
महज कुछ रुपये का जुर्माना कर मौत की इस सवारी को कानूनी मान्यता दी जा रही है. पुलिस की ढील के कारण ही दर्जनों अवैध वाहन हिमाचल की सीमा में आकर पहाड़ी में सफर कर रहे हैं, जिससे हर समय दुर्घटना का अंदेशा बना रहता है.
हैरानी यह है कि ट्रकों व ट्रालियों में लकड़ी के फट्टे लगाकर इनको डबल डेक्कर बनाया जा रहा है और इसमें श्रद्धालुओं को भेड़-बकरियों की तरह ढूंसा जा रहा है. एक-एक गाड़ी में 50 से 80 के बीच श्रद्धालु जान हथेली पर रखकर मौत का यह सफर कर रहे हैं. हर बार दावे करने के बावजूद प्रशासन सिर्फ कागजी घोड़े दौड़ाने का काम कर रहा है. प्रशासन की कुंभकर्णी नींद टूटने के लिए शायद किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रही है.
इस गंभीर मुद्दे पर बुद्धीजीवी लोग मानते हैं कि प्रशासन को ऐसे कड़े कदम उठाने चाहिए, ताकि ऐसे वाहन चलाने वाले ट्रांसपोर्टरों और ड्राईवर को एक कड़ा संदेश जाये और वह इस तरह से सफर करने से पहले सौ बार सोचे. इन सफरों के तहत जा रही जिंदगियों के लिए भी ये बुद्धीजीवी पूरी तरह से प्रशासन को ही जिम्मेवार मानते हैं.
डीएसपी हैडक्वाटर अशोक वर्मा से भी वही रट्टा रटाया जबाब मिला कि पुलिस ऐसे वाहनों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है.