ऊनाः वाहनों की ओवरस्पीड हादसों का सबब बनती है. हादसे कभी किसी की जिंदगी छीन लेते हैं तो कभी किसी को अपाहिज बना देते हैं. किसी घर का चिराग बुझ जाता है तो किसी घर का सहारा छिन जाता है. जिला पुलिस ने इन दिनों ओवर स्पीड पर लगाम कसने के लिए कवायद छेड़ रखी है.
मैदानी इलाका होने के चलते यहां पर वाहनों की रफ्तार जरूरत से ज्यादा रहती है. कभी कभार तो रोड पर एडवेंचर करने वाले युवा अपनी जान तक गंवा बैठते हैं. ऐसे वाहन चालकों पर जिला पुलिस बखूबी शिकंजा कस रही है. इस साल मात्र 3 महीनों में ही ओवरस्पीड पर करीब 5000 चालान किए जा चुके हैं.
बिगड़ैल चालकों पर नकेल कसेगी जिला पुलिस स्पीड गन
प्रदेश के मैदानी जिला ऊना में सड़कों पर सरपट दौड़ते ओवर स्पीड वाहन चालकों की अब खैर नहीं है. पुलिस ने ऐसे ही बिगड़ैल चालकों पर नकेल कसने के लिए आधुनिक तकनीक का सहारा लेते हुए मुहिम शुरू की है. सड़कों पर ओवरस्पीड चलना न सिर्फ वाहन चालकों के लिए बल्कि राह चलते कई बेकसूर लोगों के लिए भी मौत का सबब बन जाता है. जिला में ओवरस्पीड वाहनों को निर्धारित गति सीमा में लाने के लिए इन दिनों जिला पुलिस स्पीड गन का इस्तेमाल कर रही है. जिसके बलबूते पुलिस को करीब आधा किलोमीटर दूर से ही वाहनों की स्पीड का पता चल जाता है.
हिमाचल प्रदेश में जिला ओवर स्पीड सबसे अधिक आंकड़ा
डीएसपी हेडक्वार्टर रमाकांत ठाकुर का कहना है कि रफ्तार के इन सौदागरों पर जिला पुलिस बखूबी नकेल कस रही है. हिमाचल प्रदेश के किसी भी जिला का यह अभी तक का सबसे अधिक आंकड़ा है. रमाकांत ठाकुर का कहना है कि आमतौर पर देखा जाता है कि इस स्पीड के कारण लोग हादसों का शिकार होते हैं. इन हादसों पर लगाम कसने और लोगों की जान बचाने के लिए पुलिस द्वारा विशेष अभियान छेड़ा गया है.
प्रदेश का मैदानी जिला होने के चलते ऊना की सड़कों पर वाहनों की रफ्तार गति सीमा से अधिक ही रहती है. यह न केवल वाहन चालकों के लिए बल्कि राहगीरों के लिए भी बहुत बड़ा खतरा है. इसी खतरे को कम करने के लिए पुलिस ने कमर कसी है और यह अभियान जिला के विभिन्न क्षेत्रों में आगे भी जारी रहेगा.
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