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बेसहारा पशु सड़क हादसों को दे रहे न्यौता, परेशान लोगों ने प्रशासन से उठाई ये मांग

प्रतिदिन सड़कों पर कोई न कोई हादसा पेश आ रहा है. शहर व आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में कुछ लोगों ने गाय पाल रखी हैं, लेकिन अधिकांश लोग दूध निकालने के बाद गायों को डंडा मारकर सड़क पर इधर-उधर चारे के लिए मुंह मारने को छोड़ देते हैं.

सड़क में बैठे आवारा पशु
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Published : Jul 17, 2019, 5:19 PM IST

सोलन: हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले के गढ़खल-धर्मपुर वाया सनावर मोती कोना से गुजरने वाले मार्ग पर व अन्य संपर्क मार्गों पर आजकल बेसहारा पशुओं का एकछत्र राज है. इसके बावजूद जिम्मेदार अधिकारियों ने आंखों पर पट्टी बांध रखी है.

क्षेत्र में बेसहारा पशुओं के आतंक से आम लोगों को भारी परेशानियों से दो चार होना पड़ रहा है. सड़कों पर इन पशुओं के कारण जहां वाहन चालकों को परेशानी पेश आ रही है वहीं ये लावारिस पशु दर्जनों लोगों पर हमला कर उन्हें अस्पताल पहुंचा चुके हैं, जबकि कई लोग मौत के ग्रास भी बन चुके हैं.

आलम यह है कि इस समस्या को लेकर प्रतिदिन सड़कों पर कोई न कोई हादसा पेश आ रहा है. शहर व आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में कुछ लोगों ने गाय पाल रखी हैं, लेकिन अधिकांश लोग दूध निकालने के बाद गायों को डंडा मारकर सड़क पर इधर-उधर चारे के लिए मुंह मारने को छोड़ देते हैं.

यहां आवारा पशुओं के आतंक से परेशान हैं लोग

सड़क और सार्वजनिक स्थलों पर मंडराते बेसहारा पशु लोगों की जान के लिए खतरा बन गए हैं. लोगों ने प्रशासन से इन पशुओं को पकड़कर गोशाला या जंगल में छोड़ कर समस्या का हल जल्द से जल्द निकालने की मांग की है.

पंचायतों में नहीं बने गोसदन
प्रदेश हाईकोर्ट ने 31 मार्च 2015 को सभी पंचायतों में सरकार को दिशा-निर्देश दिए थे कि हर पंचायत में गोसदनों का प्रावधान किया जाए, लेकिन आज दिन किसी भी पंचायत में कोई गोसदन नहीं बनाया गया. किसान संघर्ष समिति इस बारे में भी कई आंदोलन कर चुकी है और कई ज्ञापन भी प्रदेश सरकार व प्रशासन विभाग को सौंप चुकी है, लेकिन किसान हित में इन बेसहारा पशुओं की कोई व्यवस्था नहीं की गई. कई सरकारें आईं और कई चली गईं लेकिन जो भी सरकार सत्ता में आई उन सब सरकारों ने केवल मात्र लोगों को कोरे आश्वासन ही दिए.

ये भी पढ़ें- राजभवन को सिखाई बचत की आदत, हर साल बचाई 3 लाख की बिजली, लगातार लगती थी 'आचार्य' की पाठशाला

सोलन: हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले के गढ़खल-धर्मपुर वाया सनावर मोती कोना से गुजरने वाले मार्ग पर व अन्य संपर्क मार्गों पर आजकल बेसहारा पशुओं का एकछत्र राज है. इसके बावजूद जिम्मेदार अधिकारियों ने आंखों पर पट्टी बांध रखी है.

क्षेत्र में बेसहारा पशुओं के आतंक से आम लोगों को भारी परेशानियों से दो चार होना पड़ रहा है. सड़कों पर इन पशुओं के कारण जहां वाहन चालकों को परेशानी पेश आ रही है वहीं ये लावारिस पशु दर्जनों लोगों पर हमला कर उन्हें अस्पताल पहुंचा चुके हैं, जबकि कई लोग मौत के ग्रास भी बन चुके हैं.

आलम यह है कि इस समस्या को लेकर प्रतिदिन सड़कों पर कोई न कोई हादसा पेश आ रहा है. शहर व आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में कुछ लोगों ने गाय पाल रखी हैं, लेकिन अधिकांश लोग दूध निकालने के बाद गायों को डंडा मारकर सड़क पर इधर-उधर चारे के लिए मुंह मारने को छोड़ देते हैं.

यहां आवारा पशुओं के आतंक से परेशान हैं लोग

सड़क और सार्वजनिक स्थलों पर मंडराते बेसहारा पशु लोगों की जान के लिए खतरा बन गए हैं. लोगों ने प्रशासन से इन पशुओं को पकड़कर गोशाला या जंगल में छोड़ कर समस्या का हल जल्द से जल्द निकालने की मांग की है.

पंचायतों में नहीं बने गोसदन
प्रदेश हाईकोर्ट ने 31 मार्च 2015 को सभी पंचायतों में सरकार को दिशा-निर्देश दिए थे कि हर पंचायत में गोसदनों का प्रावधान किया जाए, लेकिन आज दिन किसी भी पंचायत में कोई गोसदन नहीं बनाया गया. किसान संघर्ष समिति इस बारे में भी कई आंदोलन कर चुकी है और कई ज्ञापन भी प्रदेश सरकार व प्रशासन विभाग को सौंप चुकी है, लेकिन किसान हित में इन बेसहारा पशुओं की कोई व्यवस्था नहीं की गई. कई सरकारें आईं और कई चली गईं लेकिन जो भी सरकार सत्ता में आई उन सब सरकारों ने केवल मात्र लोगों को कोरे आश्वासन ही दिए.

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Intro:आवारा पशु बने आम लोगों के लिए परेशानी,गोशाला या जंगल में छोड़ने की मांग,
:- प्रदेश हाईकोर्ट के निर्देश के बाद भी नहीं बने गोसदन
:-प्रशासन और विभाग ने साधी है चुपी

हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले के गढ़खल-धर्मपुर वाया सनावर मोती कोना से गुजरने वाले मार्ग पर व अन्य संपर्क मार्गों पर आजकल आवारा पशुओं का एकछत्र राज है. इसके बावजूद जिम्मेदार अधिकारियों ने आंखों पर पट्टी बांध रखी है।Body:क्षेत्र में लावारिस पशुओं के आतंक से आम लोगों को भारी परेशानियों से दो चार होना पड़ रहा है। सड़कों पर इन पशुओं के कारण जहां वाहन चालकों को परेशानी पेश आ रही है वहीं ये लावारिस पशु दर्जनों लोगों पर हमला कर उन्हें अस्पताल पहुंचा चुके हैं। जबकि कई लोग मौत के ग्रास भी बन चुके हैं।

आलम यह है कि इस समस्या को लेकर प्रतिदिन सड़कों पर कोई न कोई हादसा पेश आ रहा है. शहर व आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में कुछ लोगों ने गाय पाल रखी हैं, लेकिन अधिकांश लोग दूध निकालने के बाद गायों को डंडा मारकर सड़क पर इधर-उधर चारे के लिए मुंह मारने को छोड़ देते हैं. सड़क और सार्वजनिक स्थलों पर मंडराते आवारा पशु लोगों की जान के लिए खतरा बन गए हैं. लोगों ने प्रशासन से इन आवारा पशुओं को पकड़कर गोशाला या जंगल में छोड़ कर समस्या का हल जल्द से जल्द निकालने की मांग की हैConclusion:पंचायतों में नहीं बने गोसदन:-
प्रदेश हाईकोर्ट ने 31 मार्च 2015 को सभी पंचायतों में सरकार को दिशा-निर्देश दिए थे कि हर पंचायत में गोसदनों का प्रावधान किया जाए लेकिन आज दिन किसी भी पंचायत में कोई गोसदन नहीं बनाया गया। किसान संघर्ष समिति इस बारे में भी कई आंदोलन कर चुकी है और कई ज्ञापन भी प्रदेश सरकार व प्रशासन विभाग को सौंप चुकी है लेकिन किसान हित में इन लावारिस पशुओं की कोई व्यवस्था नहीं की गई।


कई सरकारें आईं और कई चली गईं लेकिन जो भी सरकार सत्ता में आई उन सब सरकारों ने केवल मात्र लोगों को कोरे आश्वासन ही दिए।

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