सोलन: खेती से स्वरोजगार की सफल राह चुनकर मनदीप वर्मा ने युवाओं के लिए नई मिसाल पेश की है. हिमाचल प्रदेश के जिला सोलन के गांव शिल्ली के रहने वाले मनदीप वर्मा ने प्राकृतिक खेती को अपना कर रोजगार की तलाश में शहर-शहर भटक रहे युवाओं के सामने शानदार उदाहरण पेश किया है. सिलिकॉन वैली ऑफ इंडिया के नाम से मशहूर बेंगलुरु में आईटी की जमी जमाई नौकरी को छोड़ शिल्ली गांव के मनदीप वर्मा ने कीवी की व्यावसायिक खेती को अपनाया और कीवी की खेती का ऐसा मॉडल खड़ा किया, जिससे वह सालाना लाखों की कमाई कर रहे हैं.
IT सेक्टर को छोड़, मिट्टी से जुड़ने का फैसला: मनदीप वर्मा ने जहां अपने लिए खेती से नई राह तलाशी. वहीं, वह गांव के 4 लोगों को भी रोजगार दे रहे हैं. नौकरी से किसानी के सफर में प्राकृतिक खेती मनदीप का सहारा बनी है. मनदीप ने बताया कि मैनेजमेंट की पढ़ाई के बाद उन्होंने दिल्ली और बेंगलुरु जैसे बड़े शहरों में नौकरी की. खेती की शुरूआत करने से पहले वह नामी IT कंपनी विप्रो में काम कर रहे थे. उन्हें लाखों का पैकेज भी मिल रहा था, लेकिन अंदर ही अंदर उन्हें कुछ कमी महसूस हो रही थी. आखिरकार उन्हें अपनी मिट्टी की महक वापस हिमाचल खींच ही लाई.
कृषि वैज्ञानिकों ने की मदद: मनदीप ने बताया कि घर आकर उन्होंने अपनी पुश्तैनी जमीन में बागवानी करने का सोचा. मगर राह इतनी आसान भी न थी. सालों से बंजर पड़ी जमीन को खेती लायक बनाना भी चुनौतियों से भरा था. ढलानदार और उबड़-खाबड़ जमीन को तैयार करने में मनदीप को लाखों रुपये खर्च करने पड़े. इसी बीच उन्होंने नौणी विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों से बागवानी को लेकर परामर्श लिया. मनदीप ने बताया कि कृषि वैज्ञानिकों ने उन्हें कीवी की खेती का सुझाव दिया. जिसके बाद उन्होंने वहीं से प्लांटिंग मेटेरियल लेकर बागवानी शुरू कर दी.
प्राकृतिक खेती ने दी नई राह: मनदीप के अनुसार, "मैंने अपने आसपास देखा कि खेती में हर जगह रसायनों का ही बोलवाला था. मगर मैं बिना रसायनों के ही खेती करना चाहता था. तब कृषि विभाग के अधिकारियों ने मुझे सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती के बारे में बताया. मैंने इस विधि से बिना रसायनों के कीवी की खेती शुरू की और साथ में सेब पर भी इस विधि को अपनाया. देसी गाय के गोबर-मूत्र और स्थानीय पेड़-पौधों की पत्तियों से बने इनपुट्स के प्रत्यक्ष परिणाम देखकर मैं समझ गया कि मैं सही राह पर हूं."
40 लाख से ज्यादा की कमाई: मौजूदा समय में मनदीप 20 बीघा भूमि पर कीवी की दो किस्मों एलिसन एवं हेवर्ड और इसके साथ ही सेब की खेती कर रहे हैं. उनके पास 700 से ज्यादा कीवी के पौधे हैं. जिनसे हर साल उन्हें 7-8 टन कीवी की पैदावार मिल रही है. इसके साथ ही सेब की भी अच्छी पैदावार प्राप्त हो रही है. जिससे वह सालाना 40 लाख से ज्यादा की आय कमा रहे हैं. मनदीप ने बताया कि पूरे बागीचे में उनकी लागत 20 हजार रूपए आ रही है, जो काफी कम है.
दूसरे किसानों के लिए बने प्रेरणा: मनदीप वर्मा का कहना है कि खेती को कुछ लोग पढ़े-लिखे लोग अच्छा पेशा नहीं मानते हैं, लेकिन अगर यही पढ़े-लिखे युवा सही तकनीक, ज्ञान और कौशल का इस्तेमाल कर खेती करें तो निश्चय ही वह सफल होंगे. अब तो मनदीप किसानों को कीवी की खेती के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं. इसके लिए वह लोगों को अपनी नर्सरी से पौधे देने के साथ ही खेती को लेकर जरूरी सलाह भी दे रहे हैं. वह बागीचा लगाने वाले नए किसानों को कम लागत में ज्यादा मुनाफा देने वाली प्राकृतिक खेती अपनाने की सलाह देते हैं. मनदीप कहते हैं कि बागवान की उगाई फल-सब्जी अगर रसायनरहित होगी तो उपभोक्ता और बागवान दोनों के लिए यह फायदे का सौदा होगा.
ब्रांडिंग और मार्केटिंग के लिए बेवसाइट: अपने उत्पादों को मनदीप 'स्वास्तिक फार्म' नाम से ब्रांड कर बाजार में बेच रहे हैं. स्थानीय मंडियों के साथ देशभर के कई राज्यों में उनके उत्पाद की डिमांड है. अपने उत्पादों की ब्रांडिंग और मार्केटिंग के लिए उन्होंने https://swaastikfarms.com/ के नाम से बेवसाइट बनाई है. जिसके जरिए वह देशभर के उपभोक्ताओं के आर्डर पूरे कर रहे हैं. मनदीप सोशल मीडिया पर भी एक्टिव रहते हैं. जहां वह अपने फार्म और फलों को लेकर जानकारी साझा करते रहते हैं. मनदीप ने बताया कि अभी कीवी के पौधे छोटे हैं मगर जैसे-जैसे पौधों की उम्र बढ़ेगी वैसे-वैसे उत्पादन भी बढ़ेगा. कीवी के बागीचे से उन्हें सालाना 40 टन पैदावार मिलने की उम्मीद है. जिसके लिए वह मेहनत के साथ इंतजार कर रहे हैं.