सोलन: अमेरिका में उत्पादित मटर प्रजाति स्नोपीस का हिमाचल में उत्पादन शुरू हो गया है. नौणी विवि ने लंबे शोध के बाद इस प्रजाति को विकसित किया है, जिससे अब हिमाचल में भी स्नोपीस मटर का उत्पादन हो सकेगा.शुरुआती दौर में अपर शिमला के क्षेत्रों में सेब के बगीचों में इसे प्रयोगिक तौर पर लगाया जा रहा है. देश के महानगरों और शहरों में विदेशी सब्जियों की बढ़ती मांग को देखते हुए कृषि वैज्ञानिक आवश्यकता और बागवानी फसल पैटर्न में बदलाव की दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं.
डॉ. वाईएस परमार उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी के तहत काम कर रहे कृषि विज्ञान केंद्र शिमला की सक्रिय पहल से किसान और वैज्ञानिकों को काफी उत्साह जनक परिणाम मिले हैं. विदेशी सब्जियां स्नोपीस (सलाद के मटर), लेट्यूस, पोकचोई, केल, कौरगेटस, चेरी, टमाटर और बीज रहित खीरों पर किसानों के खेतों में परीक्षण केंद्र लगाए हैं.
कृषि विज्ञान केंद्र शिमला में कार्यरत सब्जी वैज्ञानिक डॉ. अशोक ठाकुर उपयुक्त उत्पादन क्षेत्र के चयन और इन सब्जियों के रोपण सीजन के लिए विभिन्न मौसमों में परीक्षण कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि केंद्र के कई विविधीकरण पहलों में से एक किसान के खेत में स्नोपीस की ऑफ-सीजन खेती का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया गया है.
दिल्ली में 200 से 300 रुपये प्रति किलो हुई बिक्री.
तहसील रोहड़ू के शीलगांव के किसान राकेश दुल्टा ने बताया कि उन्होंने खेत में स्नोपीस फली किस्म के परीक्षणों में करीब सात क्विंटल प्रति बीघा की उत्पादकता प्राप्त की है. उच्च गुणवत्ता वाला ये उत्पाद नई दिल्ली की आजादपुर सब्जी मंडी में 200 से 300 रुपये प्रति किलोग्राम बीक रहा है. परिणामों से उत्साहित, राकेश दुल्टा अब साथी किसानों को स्नोपीस और अन्य विदेशी सब्जियों की व्यावसायिक खेती को अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं.