ETV Bharat / state

फैमिली पेंशन पर DA में HC की व्यवस्था, कर्मी की मौत से पहले या बाद में स्वतंत्र क्षमता में नियुक्त व्यक्ति भी हकदार - SHIMLA HIGH COURT ON DA

हाईकोर्ट ने फैमिली पेंशन पर मिलने वाले महंगाई भत्ते को गैरकानूनी रूप से रोकने पर बड़ी व्यवस्था दी है. डिटेल में पढ़ें खबर...

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट शिमला
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट शिमला (फाइल फोटो)
author img

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Nov 18, 2024, 10:42 PM IST

शिमला: फैमिली पेंशन पर डीए को लेकर हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने एक बड़ी व्यवस्था दी है. अदालत ने व्यवस्था देते हुए स्पष्ट किया है कि कोई फैमिली पेंशन भोगी, जो अपने परिजन की मौत से पहले या बाद में स्वतंत्र क्षमता में नौकरी कर रहा है, वो फैमिली पेंशन पर डीए का भी हकदार है. हाईकोर्ट ने फैमिली पेंशन पर मिलने वाले महंगाई भत्ते को गैरकानूनी रूप से रोकने पर बिजली बोर्ड को पांच प्रतिशत सालाना दर से ब्याज राशि का भुगतान करने का निर्देश जारी किया है.

अदालत ने बिजली बोर्ड को ये राशि पांच हफ्ते में देने के लिए कहा है. बिजली बोर्ड ने याचिकाकर्ता की फैमिली पेंशन पर 8 फरवरी 2007 से 31 जुलाई 2022 की अवधि के लिए मिलने वाले महंगाई राहत की 23 लाख 62 हजार 82 रुपये की राशि रोक ली थी. यह राशि प्रार्थी को बकाया के रूप में 1 सितम्बर 2022 को जारी की गई थी परंतु बिजली बोर्ड ने महंगाई भत्ते के बकाया के विलंबित भुगतान पर ब्याज नहीं दिया.

हाईकोर्ट की न्यायाधीश न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ ने प्रार्थी की याचिका को स्वीकारते हुए बिजली बोर्ड को 5 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से ब्याज का भुगतान करने का निर्देश दिया. हाईकोर्ट ने 5 सप्ताह के भीतर ऐसा ना करने पर ब्याज दर देय तिथि से छह प्रतिशत सालाना करने के आदेश जारी किए.

ये है मामला

मामले के अनुसार याचिकाकर्ता महिला के पति को हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड लिमिटेड में नियमित आधार पर 1 जनवरी 1978 को जूनियर इंजीनियर (इलेक्ट्रिकल) के रूप में नियुक्त किया गया था. फिर 7 फरवरी 2007 को 55 वर्ष की आयु में अतिरिक्त सहायक अभियंता के रूप में सेवा के दौरान व्यक्ति की मौत हो गई. याचिकाकर्ता अपने पति की मृत्यु के समय शिक्षा विभाग में केंद्रीय मुख्य शिक्षक के रूप में स्वतंत्र रूप से नियुक्त थी. पति की मृत्यु के बाद याचिकाकर्ता महिला को 8 फरवरी 2007 से फैमिली पेंशन मिलनी शुरू हो गई परंतु उसे महंगाई भत्ता नहीं दिया गया.

याचिकाकर्ता ने कई बार प्रतिवादियों के कार्यालय का दौरा किया. उसे भरोसा दिया गया था कि मामले की जांच की जाएगी और यदि वह हकदार पाई जाती है, तो उसे पारिवारिक पेंशन के हिस्से के रूप में महंगाई राहत का भुगतान किया जाएगा. प्रतिवादियों ने 8 फरवरी 2007 से 31 जुलाई 2022 की अवधि के लिए महंगाई राहत के बकाया के रूप में 1 सितंबर 2022 को याचिकाकर्ता को 23 लाख 62 हजार 82 रुपये की राशि जारी की. परंतु महंगाई भत्ते के बकाया के विलंबित भुगतान पर ब्याज का भुगतान नहीं किया गया.

इसके बाद प्रार्थी ने रिट याचिका दायर कर 8 फरवरी 2007 से 31 जुलाई 2022 तक की अवधि के लिए महंगाई राहत पर ब्याज की मांग की. प्रतिवादियों का कहना है कि याचिकाकर्ता ने केवल अगस्त 2022 में महंगाई भत्ता जारी करने के लिए प्रतिनिधित्व किया था, जिसके कारण उसके मामले की जांच में देरी हुई. कोर्ट ने इसे हताशा पूर्ण तर्क बताते हुए कहा कि प्रतिवादी बिजली बोर्ड याचिकाकर्ता के दिवंगत पति का नियोक्ता था. वे याचिकाकर्ता को कानून के अनुसार पारिवारिक पेंशन और महंगाई भत्ते सहित देय और स्वीकार्य सेवानिवृत्ति लाभ जारी करने के लिए जिम्मेदार थे.

प्रासंगिक समय यानी 8 फरवरी 2007 को याचिकाकर्ता के मामले की जांच करना उनका काम था, जब उसके पक्ष में पारिवारिक पेंशन मंजूर की गई थी. कोर्ट ने कहा कि यदि प्रतिवादियों ने याचिकाकर्ता के मामले की जांच कानून की समुचित समझ के साथ की होती, तो उन्हें स्पष्ट होता कि उसे पारिवारिक पेंशन पर महंगाई भत्ता देने से इनकार नहीं किया जा सकता था. अब डीए पर पांच फीसदी सालाना की दर से ब्याज देना होगा.

ये भी पढ़ें: दिल्ली में हिमाचल भवन को कुर्क करने के आदेश, आर्बिट्रेशन अवॉर्ड की अनुपालना सुनिश्चित के लिए HC का आदेश

शिमला: फैमिली पेंशन पर डीए को लेकर हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने एक बड़ी व्यवस्था दी है. अदालत ने व्यवस्था देते हुए स्पष्ट किया है कि कोई फैमिली पेंशन भोगी, जो अपने परिजन की मौत से पहले या बाद में स्वतंत्र क्षमता में नौकरी कर रहा है, वो फैमिली पेंशन पर डीए का भी हकदार है. हाईकोर्ट ने फैमिली पेंशन पर मिलने वाले महंगाई भत्ते को गैरकानूनी रूप से रोकने पर बिजली बोर्ड को पांच प्रतिशत सालाना दर से ब्याज राशि का भुगतान करने का निर्देश जारी किया है.

अदालत ने बिजली बोर्ड को ये राशि पांच हफ्ते में देने के लिए कहा है. बिजली बोर्ड ने याचिकाकर्ता की फैमिली पेंशन पर 8 फरवरी 2007 से 31 जुलाई 2022 की अवधि के लिए मिलने वाले महंगाई राहत की 23 लाख 62 हजार 82 रुपये की राशि रोक ली थी. यह राशि प्रार्थी को बकाया के रूप में 1 सितम्बर 2022 को जारी की गई थी परंतु बिजली बोर्ड ने महंगाई भत्ते के बकाया के विलंबित भुगतान पर ब्याज नहीं दिया.

हाईकोर्ट की न्यायाधीश न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ ने प्रार्थी की याचिका को स्वीकारते हुए बिजली बोर्ड को 5 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से ब्याज का भुगतान करने का निर्देश दिया. हाईकोर्ट ने 5 सप्ताह के भीतर ऐसा ना करने पर ब्याज दर देय तिथि से छह प्रतिशत सालाना करने के आदेश जारी किए.

ये है मामला

मामले के अनुसार याचिकाकर्ता महिला के पति को हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड लिमिटेड में नियमित आधार पर 1 जनवरी 1978 को जूनियर इंजीनियर (इलेक्ट्रिकल) के रूप में नियुक्त किया गया था. फिर 7 फरवरी 2007 को 55 वर्ष की आयु में अतिरिक्त सहायक अभियंता के रूप में सेवा के दौरान व्यक्ति की मौत हो गई. याचिकाकर्ता अपने पति की मृत्यु के समय शिक्षा विभाग में केंद्रीय मुख्य शिक्षक के रूप में स्वतंत्र रूप से नियुक्त थी. पति की मृत्यु के बाद याचिकाकर्ता महिला को 8 फरवरी 2007 से फैमिली पेंशन मिलनी शुरू हो गई परंतु उसे महंगाई भत्ता नहीं दिया गया.

याचिकाकर्ता ने कई बार प्रतिवादियों के कार्यालय का दौरा किया. उसे भरोसा दिया गया था कि मामले की जांच की जाएगी और यदि वह हकदार पाई जाती है, तो उसे पारिवारिक पेंशन के हिस्से के रूप में महंगाई राहत का भुगतान किया जाएगा. प्रतिवादियों ने 8 फरवरी 2007 से 31 जुलाई 2022 की अवधि के लिए महंगाई राहत के बकाया के रूप में 1 सितंबर 2022 को याचिकाकर्ता को 23 लाख 62 हजार 82 रुपये की राशि जारी की. परंतु महंगाई भत्ते के बकाया के विलंबित भुगतान पर ब्याज का भुगतान नहीं किया गया.

इसके बाद प्रार्थी ने रिट याचिका दायर कर 8 फरवरी 2007 से 31 जुलाई 2022 तक की अवधि के लिए महंगाई राहत पर ब्याज की मांग की. प्रतिवादियों का कहना है कि याचिकाकर्ता ने केवल अगस्त 2022 में महंगाई भत्ता जारी करने के लिए प्रतिनिधित्व किया था, जिसके कारण उसके मामले की जांच में देरी हुई. कोर्ट ने इसे हताशा पूर्ण तर्क बताते हुए कहा कि प्रतिवादी बिजली बोर्ड याचिकाकर्ता के दिवंगत पति का नियोक्ता था. वे याचिकाकर्ता को कानून के अनुसार पारिवारिक पेंशन और महंगाई भत्ते सहित देय और स्वीकार्य सेवानिवृत्ति लाभ जारी करने के लिए जिम्मेदार थे.

प्रासंगिक समय यानी 8 फरवरी 2007 को याचिकाकर्ता के मामले की जांच करना उनका काम था, जब उसके पक्ष में पारिवारिक पेंशन मंजूर की गई थी. कोर्ट ने कहा कि यदि प्रतिवादियों ने याचिकाकर्ता के मामले की जांच कानून की समुचित समझ के साथ की होती, तो उन्हें स्पष्ट होता कि उसे पारिवारिक पेंशन पर महंगाई भत्ता देने से इनकार नहीं किया जा सकता था. अब डीए पर पांच फीसदी सालाना की दर से ब्याज देना होगा.

ये भी पढ़ें: दिल्ली में हिमाचल भवन को कुर्क करने के आदेश, आर्बिट्रेशन अवॉर्ड की अनुपालना सुनिश्चित के लिए HC का आदेश

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.