कसौली/सोलन: विधानसभा क्षेत्र कसौली के वासियों ने इस बार जमकर वोटिंग की है. पिछले सारे रिकॉर्ड इस बार की वोटिंग ने तोड़ डाले हैं. जिसके परिणाम के इंतजार में लोग बैठे हुए हैं. कसौली विधानसभा क्षेत्र में 78.28 प्रतिशत मतदान रहा. विधानसभा क्षेत्र में 35278 पुरुष मतदता हैं जिसमें से 27798 पुरुष मतदाताओं ने मत का प्रयोग किया. जबकि विधानसभा क्षेत्र में 33185 महिला मतदाता हैं जिसमें से 25798 महिला मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. (kasauli assembly seat ).
कौन जीतेगा कसौली की जंग?: इस बार युवा मतदाताओं की संख्या अधिक देखने को मिली है. 12 नवंबर को हुई पोलिंग के दौरान कसौली विधानसभा के हरेक बूथ पर लोगों की कतारें देखने को मिली थी. ग्रामीण क्षेत्र में लोगों में सुबह ही मतदान करने का क्रेज रहा जबकि शहरों में दिन के समय भीड़ देखी गई थी. इसके चलते क्षेत्र में करीब 7:30 बजे मतदान खत्म हुआ. 05:00 बजे तक लाइनों में खड़े लोगों को पर्चियां वितरित की गई और मतदान करवाया गया.
कौन है डॉ. राजीव सैजल: डॉ. राजीव सैजल (bjp candidate rajiv saizal ) विकास खंड सोलन की ग्राम पंचायत अंहेच के रहने वाले हैं. यह गांव विकास की दृष्टि से काफी विकसित हुआ है. डॉ. सैजल का जन्म 11 जुलाई 1971 को हुआ. उनकी पढ़ाई-लिखाई सरकारी स्कूल से हुई. इसके बाद उन्होंने राजकीय आयुष महाविद्यालय पपरोला से आयुष चिकित्सक की पढ़ाई भी की. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के साथ भी डॉ. राजीव सैजल ने कॉलेज के दिनों में कार्य किया. डॉ. राजीव सैजल ने पहली बार विधानसभा का चुनाव 2007 में लड़ा था. इस दौरान उन्होंने 6374 वोटों से जीत दर्ज की. इसके बाद 2012 में भी चुनाव लड़ा और बहुत ही कम मार्जिन से कसौली के विधायक बने. इसके बाद 2017 में फिर चुनावी रन में कूदे और जीत दर्ज कर भाजपा सरकार में सामाजिक न्याय अधिकारिता एवं सहकारिता मंत्री बने और कुछ समय बाद नया दायित्व दिया गया. वह स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण तथा आयुष मंत्री बने.
राजीव सैजल की कितनी है संपत्ति?: स्वास्थ्य मंत्री और कसौली निर्वाचन क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी के विधायक डॉ. राजीव सैजल के पास वर्तमान समय में 55,00,000 रुपये की चल और 75,90,767 रुपये के अचल संपत्ति है. मौजूदा समय मे उन पर एक रुपये की भी देनदारी नहीं है. इसके आलावा डा. राजीव सैजल ने वर्ष 2017-18 में 16.87 लाख रुपये की इनकम टैक्स रिटर्न भरी थी. वर्ष 2018-19 में 14.65 लाख, वर्ष 2019-20 में 16.38 लाख रुपये, 2020-21 में 9.52 लाख तथा 2021-22 में 16.31 लाख रुपये की आईटीआर भरी है. वहीं डॉ. सैजल शब्दों के ज्ञान से भी धनी हैं.
कौन हैं विनोद सुल्तानपुरी?: विनोद सुल्तानपुरी (Congress candidate vinod sultanpuri) शिमला संसदीय सीट से छह बार के सांसद रह चुके केडी सुल्तानपुरी के पुत्र हैं. विनोद सुल्तानपुरी का जन्म 1987 को हुआ था. उनकी पढ़ाई द लॉरेंस स्कूल सनावर से हुई. इसके बाद उन्होंने वकालत की पढ़ाई की. वर्तमान में भी पेशे से वकील हैं. कॉलेज के समय से एनएसयूआई के साथ कार्य किया. विनोद कसौली विधानसभा क्षेत्र के सुल्तानपुर में रहते हैं. यह गांव शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में अपना नाम कमा रहा है. वहीं पहली बार 2012 मे कांगेस पार्टी का टिकट दिया गया. इसके बाद 2017 में भी चुनाव में अपनी ताकत झोंकी.
विनोद सुल्तानपुरी की संपति का ब्यौरा: विनोद सुल्तानपुरी के पास 05,61,65,545 रुपये की संपति है. इसमें से चल संपति 04,19,274 जबकि अचल संपति 05,52,00,000 है. वहीं 32,00,773 रुपये की देनदारियां भी हैं.
कांग्रेस में खूब चलती है गुटबाजी: कसौली कांग्रेस में विधानसभा चुनावों में दो धड़ों में कांग्रेस बंटी हुई नजर आई. धर्मपुर में कांग्रेस की बेरोजगार यात्रा के दौरान विक्रमादित्य सिंह के सामने दो धड़ों ने प्रदर्शन किया. पहले तो आमने-सामने नारेबाजी हुई. इसके बाद दोनों गुटों ने अपना-अपना शक्ति प्रदर्शन दिखाने के लिए अलग-अलग कार्यक्रम कर दिए. वहीं कुछ महीनों पहले राजस्व विभाग से सेवानिवृत हुए ध्यान सिंह ने भी कांग्रेस में अपना पांव जमा लिया है. ध्यान सिंह के आने के बाद कांग्रेस में काफी चीजें देखने को भी मिली, लेकिन गुटबाजी खत्म नहीं हुई. वहीं कसौली कांग्रेस में गुटबाजी के चलते चुनावों से कुछ दिनों पहले ब्लॉक कांग्रेस कमेटी भी भंग कर दी गई. इसके बाद चुनावों में इस बार बिना ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के कार्य किया गया.
हर बार कांटे की टक्कर: कसौली विधानसभा क्षेत्र में भाजपा से डॉ राजीव सैजल चौथी बार चुनावी मैदान में हैं, जबकि कसौली से कांग्रेस प्रत्याशी विनोद सुल्तानपुरी तीसरी बार चुनावी रन में उतरें हैं. 2012 में डॉ. सैजल और विनोद सुल्तानपुरी के बीच जीत का मार्जिन काफी कम था. जिसमें 24 वोटों से डॉ सैजल जीत गए थे. वहीं 2017 में भी दोनों के बीच कांटे की टक्कर रही. जिसमें फिर डॉ सैजल ने 442 वोट से जीत दर्ज की और तीसरी बार कसौली से विधायक बने. इस बार भी फिर दोनों प्रत्याशी मैदान में हैं और फिर कांटे की टक्कर देखने को मिल सकती है. इसमें भाजपा जीत का चौका लगाएगी या कांग्रेस का ओपीएस लाभ देगा इसका पता आठ दिसबंर को ही लगेगा.
कसौली का समीकरण: कसौली विधानसभा सीट पर इस बार सबकी निगाहें टिकी हुई हैं. एक ओर कसौली से विधायक और मंत्री डॉ. राजीव सैजल के कार्य को लोगों ने 15 वर्षों तक देखा है. वहीं युवा चेहरा विनोद सुल्तानपुरी के साथ इस बार लोगों की काफी सहानुभूति है, लेकिन दोनों ही पार्टियों की नौका पर आम आदमी पार्टी सेंध लगाए हुए है. इसी तरह राष्ट्रीय देवभूमि पार्टी ने भी पेंच फंसाया हुआ है. दोनों ही बड़ी पार्टियों के साथ दो अन्य पार्टियों ने इस बार खूब मेहनत की है. गांव तक लोगों से संपर्क साधा है. इसके चलते भाजपा और कांग्रेस की राह कुछ आसान नहीं है. अनुमान लगाया जा रहा है कि कसौली से जो भी पार्टी जीत दर्ज करती है उसका जीत का मार्जिन हैरान कर देने वाला हो सकता है, क्योंकि बीते वर्षों में कसौली की सीट पर नजदीकी जंग हुई है.
मनोहर लाल खट्टर, योगी और अनुराग रहे स्टार प्रचारक: भारतीय जनता पार्टी ने कसौली में भी स्टार प्रचारकों की चुनावी रैलियों से लोगों को रिझाने का प्रयास किया. हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने नारायणी से चुनावी रैली का आगाज किया. गांव में यह पहली रैली थी. इसके बाद यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने परवाणू के दशहरा मैदान में एक विशाल रैली को सम्बोधित किया और कसौली के लोगों को कई बातें बतायी. वहीं प्रचार के थमने के कुछ घंटे पहले धर्मपुर में केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर की रैली हुई लेकिन मौसम के खराब रहने के कारण अनुराग ठाकुर का चॉपर लैंड न हो सका. जिसके बाद उन्होंने फोन से लोगों में हुंकार भरी.
सचिन पायलट, राणा, प्रताप सिंह बाजवा ने की रैली: कांग्रेस ने भी चुनावों के दौरान कोई कोर कसर नहीं छोड़ी. कांग्रेस नेता सचिन पायलट, पंजाब कांग्रेस के नेता प्रताप सिंह बाजवा और राणा ने भी ताबड़तोड़ रैलियां की. जिसमें उन्होंने भाजपा सरकार के कार्यों में विफल रहने के बारे में लोगों को बताया.
1977 में कसौली को मिला था पहला MLA: वर्ष 1977 में कसौली विधानसभा को पहला विधायक जनता पार्टी से चमन लाल गाचली के रूप में मिला था. हालांकि चमन लाल गाचली जनता पार्टी छोड़कर बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए थे. इन 45 वर्षों में कसौली विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस पार्टी का ज्यादा शासन रहा है. जबकि भाजपा भी अब ज्यादा पीछे नहीं है. भाजपा ने कांग्रेस को हराकर कसौली को अपना गढ़ बनाना शुरू कर दिया है. वर्ष 1977 से लेकर 2007 तक कांग्रेस सत्ता में रही है. इस कार्यकाल में रघुराज ने लगभग 25 वर्ष विधायक के रूप में काम किया है. जबकि कुछ समय के लिए जनता पार्टी से विधायक सतपाल कंबोज ने ढाई वर्ष का कार्यकाल रहा है. वर्ष 2007 के बाद सत्ता कांग्रेस के हाथ से खिसककर भाजपा के पास चली गई थी.
कसौली के मुद्दे: धर्मपुर सीएचसी में चिकित्सकों की तैनाती, हाईवे के चलते ट्रामा सेंटर खोलना, बेरोजगारी, पलायन कर चुके उद्योगों को वापस लाना, पार्किंग, धर्मपुर में बस स्टैंड के साथ फोरलेन विस्थापितों को पुनः बसाना कसौली के मुख्य मुद्दों में शामिल हैं.
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