सोलन: हिमाचल प्रदेश में एक बार फिर मानसून मेहरबान हो गया है. सोमवार सुबह से ही प्रदेश में हो रही मूसलाधार बारिश हादसों को न्यौता दे रही है. परवाणू से शिमला तक फोरलेन का काम इन दिनों खतरों से भरा हो चुका है. यह बात हम नहीं फोरलेन तस्वीरें बयां कर रही है. फोरलेन निर्माण (Fourlane Construction) के लिए काटी गई पहाड़ियों का मलवा अब धीरे-धीरे सड़कों पर उतर रहा है.
आज भी इसी तरह का एक क्रम सोलन बाईपास (Solan Bypass) पर देखने को मिला जहां पर फोरलेन निर्माता कंपनी (Fourlane Manufacturing Company) द्वारा पहाड़ी पर बने घरों को तोड़कर अंडरपास ब्रिज (Underpass Bridge) बनाने की कवायद चली हुई है, लेकिन सुबह से हो रही बारिश के कारण पहाड़ी से मलबा खिसकने का सिलसिला शुरू हो चुका है.
हैरानी की बात यह है कि जहां पर पहाड़ी दरक रही है वहां पर ना तो पहाड़ी के ऊपर से सरिया नुमा मलबा हटाया गया है और ना ही प्रशासन और फोरलेन निर्माता कंपनी द्वारा किसी भी तरह से सुरक्षा घेरा वहां पर बनाया गया है.
आज जब ईटीवी भारत (ETV Bharat) की टीम मौके पर पहुंची तो उस समय पहाड़ी से पत्थरों के गिरने का सिलसिला शुरू हो चुका था. वहीं, वाहनों की लंबी कतारें इस दौरान यहां पर देखने को मिली. लगाता होता बारिश को देखते हुए फोरलेन निर्माता कंपनी के कर्मचारियों ने मलबा रोकने के लिए बाईपास पर बैरिकेट्स (Barricades On Bypass) लगाने का कार्य शुरू लर दिया है, ताकि मलबा रुक सकें.
वहीं इस बारे में जब डीसी सोलन कृतिका कुल्हारी (DC Solan Krutika Kulhari) से दूरभाष पर बात की गई तो उन्होंने कहा कि ईटीवी भारत के माध्यम से ही ये मामला उनके ध्यान में आया हैं और इस बारे में फोरेलन निर्माता कंपनी को मलबा हटाने और बेरिकेट्स लगाने के निर्देश दे दिए गए हैं.
वहीं मौके पर मौजूद सोलन पुलिस ट्रैफिक प्रभारी कमल शर्मा ने बताया कि सुबह से ही पहाड़ी से मलबा गिरने का क्रम शुरू हो चुका है. ऐसे में ट्रैफिक बाधित न हो इसके लिए पुलिस बल (Police Force) यहां पर तैनात किया जा चुका है. उन्होंने कहा कि फोरलेन निर्माता कंपनी को यहां पर बैरिकेट्स लगाने के निर्देश दिए गए हैं. वहीं, बरसात के दिनों में जिन क्षेत्रों में पहाड़ी से मलबा गिर सकता है, ऐसी जगहों पर फोरेलन निर्माता कंपनी को मौके पर जेसीबी रखने के निर्देश दिए गए हैं. ताकि मलबे को एकदम से हटाया जा सके.
बता दें कि सोलन बाईपास से जाने वाला रोड़ चंडीगढ़ से शिमला, और सिरमौर को आपस मे जोड़ता है, बंदिशों के हटने के बाद अब प्रदेश में पर्यटकों (Tourists In Himachal) की तादाद बढ़ने लगी है, लेकिन इस तरह से प्रशासन और फोरलेन निर्माता कंपनी की लापरवाही बरतना लोगों की जानमाल को खतरा पैदा कर सकता है.
इससे पहले भी कालका शिमला नेशनल हाईवे 5 (Kalka Shimla National Highway 5) परवाणू से चंबाघाट तक बन रहे फोरलेन निर्माण में पहाड़ी दरकने के मामले सामने आ चुके हैं. जिससे लोगों के घरों और वाहनों को क्षति भी पहुंच चुकी है. बहरहाल प्रशासन की ये चूक लोगों पर भारी पड़ सकती है. अब देखना होगा कि प्रशासन किस तरह से पहाड़ी से दरक रहे पत्थरों को रोकने में कामयाब हो पाता है.
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