शिमला: मानव भारती फर्जी डिग्री मामले में अब ईडी की भी एंट्री हो गई है. अब ईडी ने भी मामला दर्ज कर फर्जी डिग्री मामले की जांच शुरू कर दी है. विवि की ओर से फर्जी डिग्रियां बेचकर अकूट संपत्ति अर्जित करने और काले धन को कानूनी रूप देने के लिए कई जगह निवेश करने के ईडी को प्रारंभिक जांच में साक्ष्य मिले हैं.
ईडी मनी लॉन्ड्रिंग की जांच पूरी कर मानव भारती विश्वविद्यालय की हिमाचल और राजस्थान समेत कई राज्यों में काले धन से खरीदी गई संपत्तियों को सीज कर सकती है. इससे पहले हिमाचल पुलिस ने फर्जी डिग्री का गोरखधंधा चलाने के आरोप में विवि के खिलाफ सोलन जिले में तीन एफआईआर दर्ज की थी.
इन मामलों की जांच सोलन पुलिस की एक एसआईटी को दी थी, जिसने विवि का संचालन करने वाले राजकुमार राणा, विवि रजिस्ट्रार अनुपमा, सहायक रजिस्ट्रार मनीष गोयल, डाटा ऑपरेटर प्रमोद कुमार के अलावा विवि के नशा मुक्ति केंद्र के संचालक जतिन नागर को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था.
मामले में राजकुमार राणा की पत्नी और बेटी की क्या भूमिका रही है इस विषय की जांच भी की जा रही है. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने विधानसभा में मामले की जांच एडीजी सीआईडी एन वेणुगोपाल की अध्यक्षता वाली 19 एसआईटी को देने की घोषणा की है.
गोरतलब है कि चार लाख से ज्यादा फर्जी डिग्री बेचने वाले मानव भारती विश्वविद्यालय ने अपने गोरखधंधे से लाखों युवाओं का भविष्य अंधकार में डाल दिया है. हालत यह है कि युवा जहां सरकारी या निजी कंपनी में नौकरी कर रहे हैं, उनकी डिग्री पर भी सवाल खड़े हो गए हैं.