शिमला: हिमाचल प्रदेश में पर्यावरण संरक्षण के लिए सरकार ने पेड़ कटान पर अंकुश लगाने के लिए सख्त फैसले लिए हैं. इसको लेकर दिशा निर्देश जारी किए गए हैं. इसके मुताबिक प्रदेश सरकार ने खैर व तीन प्रजातियों सफेदा, पॉपुलर और बांस को छोड़कर अन्य पेड़ों के कटान पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है. इसके अलावा कृषि और घरेलू उपयोग के लिए साल भर में तीन पेड़ एक वर्ष के भीतर किसानों द्वारा काटे जा सकते हैं. इससे ज्यादा पेड़ काटने के लिए किसानों को वन मंडल अधिकारी से लिखित में अनुमति लेनी होगी. वहीं, खैर का कटान पहले की तरह दस वर्ष की अवधि के बाद ही किया जाएगा. इस बारे में वन विभाग ने आदेश जारी किए हैं. जो तुरंत प्रभाव से लागू हो गए हैं.
अधिकारियों को पेड़ काटने की अनुमति देने की सीमा तय
प्रदेश में पेड़ कटान के लिए अधिकारियों की अनुमति देने की सीमा को भी निर्धारित किया गया है. प्रदेश में अब एक साल में 200 पेड़ काटने तक की अनुमति देने के लिए डीएफओ को अधिकृत किया गया है. वहीं, एक साल में 300 तक पेड़ काटने के लिए मुख्य अरण्यपाल व अरण्यपाल वन, अनुमति दे सकते हैं. 400 पेड़ काटने तक के लिए प्रधान मुख्य अरण्यपाल को अनुमति देने का अधिकार होगा. वहीं, 400 से अधिक पेड़ काटने के लिए हिमाचल प्रदेश सरकार की अनुमति लेनी होगी. अन्य प्रजातियों के पेड़ों को बेचने व कटान की अनुमति प्रधान मुख्य अरण्यपाल की और से दी जाएगी.
तीन पेड़ लगाने होंगे
पर्यावरण के कारण मौसम में लगातार हो रहे बदलाव को देखते हुए सरकार ने धरती पर हरियाली को बचाने की दिशा में कदम बढ़ाया है. प्रदेश सरकार ने घरेलू, कृषि व बेचने के लिए वृक्ष काटने वाले व्यक्ति को तीन पेड़ काटने पर इसके बदले तीन पेड़ों का रोपण करना होगा. सरकार ने ये शर्त पर्यावरण को बचाने के लिए लगाई है, ताकि जितने पेड़ काटे जाएंगे उतने ही पौधों का रोपण कर आने वाली पीढ़ियों के लिए भी वन संपदा को बचाकर रखा जा सकेगा. वहीं, अगर फलदार पौधे रोपित किए जाते हैं, तो उसके लिए बागवानी विभाग की तरफ से तय मापदंड का पालन करना होगा.