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मां शूलिनी मेले में टूट सकती है ये प्रथा, जानिए क्या है ये दशकों से चली आ रही अनोखी परम्परा

जानकारी के अनुसार इन्वेस्टर मीट के प्रस्तावित विदेश दौरे को लेकर मेले में मुख्यमंत्री पहले दिन नहीं पहुंच पाएंगे. मेले के अंतिम दिन उनके आने की संभावना फिलहाल बरकरार है. शूलिनी मेले की परंपरा रही है कि मां शूलिनी की पालकी को प्रदेश का मुख्यमंत्री कंधे पर उठाता है.

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Published : Jun 4, 2019, 1:14 PM IST

फाइल फोटो

सोलनः राज्य स्तरीय मां शूलिनी मेले में कई दशकों से चली आ रही परंपरा टूट सकती है. बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर अपनी व्यस्तता के चलते 21 जून को मेले के शुभारंभ पर मां की पालकी को कंधे पर उठा नहीं पाएंगे. जानकारी के अनुसार इन्वेस्टर मीट के प्रस्तावित विदेश दौरे को लेकर मेले में मुख्यमंत्री पहले दिन नहीं पहुंच पाएंगे. मेले के अंतिम दिन उनके आने की संभावना फिलहाल बरकरार है.

जानिए क्या है परम्परा

शूलिनी मेले की परंपरा रही है कि मां शूलिनी की पालकी को प्रदेश के मुख्यमंत्री कंधे पर उठाते हैं. उसी समय से मेले का शुभारंभ समझा जाता है, लेकिन इस बार शायद इस रीत का निर्वहन न हो पाए. तीन दिवसीय राज्य स्तरीय मेले के आयोजन के लिए सोमवार को सोलन में सामाजिक न्याय व अधिकारिता एवं सहकारिता मंत्री राजीव सहजल की अध्यक्षता में एक बैठक बुलाई गई थी. इस बार मेले में बालीवुड के साथ-साथ शास्त्रीय संगीत, लोक-संगीत, भजन संध्या इत्यादि सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा.

मेले को आकर्षक व प्राचीन संस्कृति को परोसने के लिए किया जायेगा कुछ खास

इस बार कुश्ती का प्रारूप मैट व मिट्टी दोनों का होगा और दोनों प्रारूप में कुश्ती लड़ाई जाएगी. पैट शो में इस बार सिर्फ डॉग ही नहीं, अपितु देसी गाय की नस्लें व गोवंश पर देश में हो रहे व्यापक शोध को भी दर्शाया जाएगा.

पढ़ेंः PWD की अनदेखी का शिकार हो रहे मजदूर, तपती धूप में बिना सेफ्टी के काम करने को मजबूर

सोलनः राज्य स्तरीय मां शूलिनी मेले में कई दशकों से चली आ रही परंपरा टूट सकती है. बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर अपनी व्यस्तता के चलते 21 जून को मेले के शुभारंभ पर मां की पालकी को कंधे पर उठा नहीं पाएंगे. जानकारी के अनुसार इन्वेस्टर मीट के प्रस्तावित विदेश दौरे को लेकर मेले में मुख्यमंत्री पहले दिन नहीं पहुंच पाएंगे. मेले के अंतिम दिन उनके आने की संभावना फिलहाल बरकरार है.

जानिए क्या है परम्परा

शूलिनी मेले की परंपरा रही है कि मां शूलिनी की पालकी को प्रदेश के मुख्यमंत्री कंधे पर उठाते हैं. उसी समय से मेले का शुभारंभ समझा जाता है, लेकिन इस बार शायद इस रीत का निर्वहन न हो पाए. तीन दिवसीय राज्य स्तरीय मेले के आयोजन के लिए सोमवार को सोलन में सामाजिक न्याय व अधिकारिता एवं सहकारिता मंत्री राजीव सहजल की अध्यक्षता में एक बैठक बुलाई गई थी. इस बार मेले में बालीवुड के साथ-साथ शास्त्रीय संगीत, लोक-संगीत, भजन संध्या इत्यादि सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा.

मेले को आकर्षक व प्राचीन संस्कृति को परोसने के लिए किया जायेगा कुछ खास

इस बार कुश्ती का प्रारूप मैट व मिट्टी दोनों का होगा और दोनों प्रारूप में कुश्ती लड़ाई जाएगी. पैट शो में इस बार सिर्फ डॉग ही नहीं, अपितु देसी गाय की नस्लें व गोवंश पर देश में हो रहे व्यापक शोध को भी दर्शाया जाएगा.

पढ़ेंः PWD की अनदेखी का शिकार हो रहे मजदूर, तपती धूप में बिना सेफ्टी के काम करने को मजबूर


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From: Ricky Yogesh <rickyyogesh000@gmail.com>
Date: Tue, Jun 4, 2019, 11:52 AM
Subject: मां शूलिनी मेले में टूट सकती है परंपरा
To: <rajneeshkumar@etvbharat.com>


 मां शूलिनी मेले में टूट सकती है परंपरा

विदेश दौरे के चलते मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर शायद ही पहुंच पाएं मां शूलिनी की पालकी उठाने

सोलन:-योगेश शर्मा

राज्यस्तरीय मां शूलिनी मेले में कई दशकों से चली आ रही परंपरा टूट सकती है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर अपनी व्यस्तता के चलते 21 जून को मेले के शुभारंभ पर मां शूलिनी की पालकी को कंधे पर  उठा नहीं पाएंगे। 

जानकारी के अनुसार इन्वेस्टर मीट के प्रस्तावित विदेश दौरे को लेकर मेले में शायद मुख्यमंत्री पहले दिन न पहुंच पाएं। मेले के अंतिम दिन उनके आने की संभावना फिलहाल बरकरार है।  


आइये जानते है क्या है परम्परा:-
शूलिनी मेले की परंपरा रही है कि मां शूलिनी की पालकी को प्रदेश का मुख्यमंत्री कंधे पर उठाते हैं तथा उन्हें आशीर्वाद मिलता है। उसी समय से मेले का शुभारंभ समझा जाता है, किंतु इस बार शायद इस रीत का निर्वहन न हो पाए। 


तीन दिवसीय राज्य स्तरीय मेले के आयोजन के लिए सोमवार को सोलन में सामाजिक न्याय व अधिकारिता एवं सहकारिता मंत्री डा. राजीव सहजल की अध्यक्षता में एक बैठक बुलाई गई थी। इस बार मेले में बालीवुड के साथ-साथ शास्त्रीय संगीत, लोक संगीत, भजन संध्या इत्यादि सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। 



मेलों को आकर्षक व प्राचीन संस्कृति को परोसने के लिए किया जायेगा कुछ खास:- कुश्ती का प्रारूप इस बार मैट व मिट्टी दोनों का होगा तथा दोनों प्रारूप में कुश्ती लड़ाई जाएगी। पैट शो में इस बार सिर्फ डॉग ही नहीं, अपितु देसी गाय की नस्लें व गोवंश पर देश में हो रहे व्यापक शोध को भी दर्शाया जाएगा।


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