सोलन: रददी कागजों और गत्ते की कीमतों में 70 फीसदी तक बढ़ोतरी होने के कारण उत्तर भारत के पैकेजिंग उद्योग दम तोडने की कगार पर पहुंच चुके हैं. इसी मुद्दे को लेकर उत्तर भारत के प्रांतों की एक बैठक बद्दी के किशनपुरा में हुई जिसकी अध्यक्षता हिमाचल प्रदेश कोरुगेटड बॉक्स मैनुफैकचरिंग एसोसिएशन के प्रदेशाध्यक्ष सुरेंद्र जैन ने की.
लगातार बढ़ रहा पेपर का रेट
बैठक का मुख्य मुद्दा था पेपर मिलों का लगातार पेपर के रेट को बेहताशा बढ़ाना और गत्ता उद्योगों को गलत ढंग से ब्लैकमेल करना. कच्च माल के रेट बढने से गत्ता और पैकिंग के उत्पादन मूल्य में भी वृद्वि होती है और आगे वेंडर पुराने रेट पर ही माल देते हैं जिससे गत्ता उद्योग बर्बादी की कगार पर पहुंच चुके हैं. बैठक में निर्णय लिया गया कि पेपर मिलों के मनमाने निर्णयों और आगे पैकेजिंग माल व डब्बे खरीदने वाली कंपनियों के सहयोग न दिए जाने के कारण प्रदेश के तमाम पैकिंग उद्योग सोमवार से लेकर बुधवार तक बंद रहेंगे.
तालाबंदी के अलावा कोई विकल्प नहीं
राज्य प्रधान सुरेंद्र जैन, महामंत्री विशाल गोयल, उपाध्यक्ष राजीव गुलाटी, आदित्य पाल सूद, रजत गुप्ता, वित्त सचिव संजीव जैन और सह सचिव रमन अग्रवाल ने कहा कि पेपर मिलों की मिलीभगत के कारण पेपर के रेटों में भारी तेजी आ चुकी है. हम पहले ही ऋणों के तले दबे हैं और अब तालाबंदी के अलावा हमारे पास कोई विकल्प नहीं बचा है. उन्होने कहा कि देश की मोदी सरकार भी हमारी ओर कोई ध्यान नहीं दे रही, जबकि हम 80 फीसदी रोजगार उपलब्ध करा रहे हैं.
पेपर के निर्यात पर लगे एक्सपोर्ट डयूटी
केंद्र सरकार ने अगर हमें विशेषकर हिमाचल और उत्तर भारत के गत्ता उद्योगों को बचाना है तो तुरंत पेपर का एक्पोर्ट बंद करें वरना हम बर्बाद हो जाएंगे. जब देश में ही पेपर की आपूर्ति लोकल फॉर वोकल के तहत पूरी नहीं हो रही तो इसका निर्यात करना बेमानी है. केंद्र सरकार निर्यात पर तुरंत एक्सपोर्ट डयूटी लगाए ताकि विदेशों को माल न जा सके और हमें राहत मिल सके.
श्रमिक बेरोजगार और उद्यमी बेहाल
बीबीएन पैकेजर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष हेमराज चौधरी ने कहा कि अब पानी सिर के उपर से निकल चुका है. अब तीन दिवसीय हड़ताल के अलावा हमारे पास कोई विकल्प नहीं बचा है. पिछले चार महीने में पेपर के दामों में 70 से 80 फीसदी बढ़ोतरी हो चुकी है और श्रमिक बेरोजगार और उद्यमी बेहाल है.
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