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SPECIAL: कभी इस घर में धड़कता था डॉ. यशवंत परमार का दिल, आज हुआ खंडहर में तब्दील - डॉ. वाईएस परमार

हर साल चार अगस्त को परमार जयंती पर रस्म अदायगी को लेकर शिमला सहित जिला में कार्यक्रम होते हैं, लेकिन हिमाचल निर्माता की यादों को संजोए रखने के लिए कोई पहल नहीं होती. सिरमौर जिला के पच्छाद में हिमाचल निर्माता का गृह क्षेत्र चनालग गांव इसका प्रमाण है.

यशवंत परमार
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Published : Aug 4, 2020, 12:02 AM IST

Updated : Aug 4, 2020, 9:50 AM IST

नाहन: समय के इस दौर में हिमाचल प्रदेश प्रगति की राह पर सरपट दौड़ रहा है, लेकिन जिस शख्स ने हिमाचल को गति व प्रगति का सपना देखने के लायक बनाया, उन्हीं के घर में वक्त की रफ्तार थमी हुई है. जी हां डॉ. वाईएस परमार के घर में प्रवेश करें तो उदासी घेर लेती है. जिस घर में हर घड़ी हिमाचल निर्माता का दिल धड़कता रहा, उस घर में घड़ी की सुइयां अरसे से ठहरी हुई हैं.

हर साल चार अगस्त को परमार जयंती पर रस्म अदायगी को लेकर शिमला सहित जिला में कार्यक्रम होते हैं, लेकिन हिमाचल निर्माता की यादों को संजोए रखने के लिए कोई पहल नहीं होती. सिरमौर जिला के पच्छाद में हिमाचल निर्माता का गृह क्षेत्र चनालग गांव इसका प्रमाण है.

special story on dr yashwant singh parmar jayanti on his birth anniversary
कभी इस घर में धड़कता था हिमाचल के निर्माता का दिल

कभी हिमाचल की राजनीति इसी घर से शुरू हुई थीबता दें कि हिमाचल निर्माता डॉ. परमार चनालग के ही रहने वाले थे. उनका पैतृक आवास, जहां वह प्रदेश के लिए योजनाएं बनाते थे, आज भी मौजूद है. हालांकि आवास की हालत काफी दयनीय है, लेकिन अभी भी वहां पर अनेक ऐसी वस्तुएं हैं, जोकि ऐतिहासिक महत्व रखती हैं. कभी हिमाचल की राजनीति इसी घर से शुरू हुई थी. 4 अगस्त को डॉ. परमार का यहीं जन्म हुआ था और मुख्यमंत्री बनने के बाद भी वो यहां अक्सर समय बिताते थे. लोगों की मानें तो हिमाचल निर्माता की इस धरोहर को संजोए रखने की जरूरत है.

special story on dr yashwant singh parmar jayanti on his birth anniversary
कभी इस घर में धड़कता था हिमाचल के निर्माता का दिल

इस धरोहर को संजोए रखने की जरूरतबागथन निवासी रवि ठाकुर का कहना है कि हिमाचल निर्माता की इस धरोहर को संजोए रखने की जरूरत है और यहां पर सरकार को कोई संग्रहालय या समारक बनाना चाहिए, ताकि डॉ. परमार की यादें सुरक्षित रह सकें, ताकि हमारी आने वाली पीढ़ी इस बात से रूबरू हो सके कि हिमाचल निर्माता कैसे रहते थे. हिमाचल की राजनीति कभी यहीं से शुरू हुई थी, लेकिन आज कोई भी इस स्थान की सुध नहीं ले रहा है. पच्छाद निवासी राजन पुंडीर का भी कहना है कि सिरमौर के इस सपूत के आवास को संग्रहलय या फिर यहां पर समारक बनाना चाहिए, ताकि इस ऐतिहासिक धरोहर को सुरक्षित रखा जा सके. आज भी अनेक ऐतिहासिक चीजों को संजोए हुए है.

वीडियो रिपोर्ट.

उल्लेखनीय है कि डॉ. परमार का घर आज भी अनेक ऐतिहासिक चीजों को संजोए हुए हैं. सरकार को इसे विकसित करना की आवश्यता है, ताकि पर्यटकों के साथ-साथ भावी पीढ़ी के भी उनके बारे में जानने का अवसर मिल सके.

नाहन: समय के इस दौर में हिमाचल प्रदेश प्रगति की राह पर सरपट दौड़ रहा है, लेकिन जिस शख्स ने हिमाचल को गति व प्रगति का सपना देखने के लायक बनाया, उन्हीं के घर में वक्त की रफ्तार थमी हुई है. जी हां डॉ. वाईएस परमार के घर में प्रवेश करें तो उदासी घेर लेती है. जिस घर में हर घड़ी हिमाचल निर्माता का दिल धड़कता रहा, उस घर में घड़ी की सुइयां अरसे से ठहरी हुई हैं.

हर साल चार अगस्त को परमार जयंती पर रस्म अदायगी को लेकर शिमला सहित जिला में कार्यक्रम होते हैं, लेकिन हिमाचल निर्माता की यादों को संजोए रखने के लिए कोई पहल नहीं होती. सिरमौर जिला के पच्छाद में हिमाचल निर्माता का गृह क्षेत्र चनालग गांव इसका प्रमाण है.

special story on dr yashwant singh parmar jayanti on his birth anniversary
कभी इस घर में धड़कता था हिमाचल के निर्माता का दिल

कभी हिमाचल की राजनीति इसी घर से शुरू हुई थीबता दें कि हिमाचल निर्माता डॉ. परमार चनालग के ही रहने वाले थे. उनका पैतृक आवास, जहां वह प्रदेश के लिए योजनाएं बनाते थे, आज भी मौजूद है. हालांकि आवास की हालत काफी दयनीय है, लेकिन अभी भी वहां पर अनेक ऐसी वस्तुएं हैं, जोकि ऐतिहासिक महत्व रखती हैं. कभी हिमाचल की राजनीति इसी घर से शुरू हुई थी. 4 अगस्त को डॉ. परमार का यहीं जन्म हुआ था और मुख्यमंत्री बनने के बाद भी वो यहां अक्सर समय बिताते थे. लोगों की मानें तो हिमाचल निर्माता की इस धरोहर को संजोए रखने की जरूरत है.

special story on dr yashwant singh parmar jayanti on his birth anniversary
कभी इस घर में धड़कता था हिमाचल के निर्माता का दिल

इस धरोहर को संजोए रखने की जरूरतबागथन निवासी रवि ठाकुर का कहना है कि हिमाचल निर्माता की इस धरोहर को संजोए रखने की जरूरत है और यहां पर सरकार को कोई संग्रहालय या समारक बनाना चाहिए, ताकि डॉ. परमार की यादें सुरक्षित रह सकें, ताकि हमारी आने वाली पीढ़ी इस बात से रूबरू हो सके कि हिमाचल निर्माता कैसे रहते थे. हिमाचल की राजनीति कभी यहीं से शुरू हुई थी, लेकिन आज कोई भी इस स्थान की सुध नहीं ले रहा है. पच्छाद निवासी राजन पुंडीर का भी कहना है कि सिरमौर के इस सपूत के आवास को संग्रहलय या फिर यहां पर समारक बनाना चाहिए, ताकि इस ऐतिहासिक धरोहर को सुरक्षित रखा जा सके. आज भी अनेक ऐतिहासिक चीजों को संजोए हुए है.

वीडियो रिपोर्ट.

उल्लेखनीय है कि डॉ. परमार का घर आज भी अनेक ऐतिहासिक चीजों को संजोए हुए हैं. सरकार को इसे विकसित करना की आवश्यता है, ताकि पर्यटकों के साथ-साथ भावी पीढ़ी के भी उनके बारे में जानने का अवसर मिल सके.

Last Updated : Aug 4, 2020, 9:50 AM IST
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