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फसलों की रक्षक बनी सोलर चालित बाड़, किसानों के लिए वरदान साबित हो रही मुख्यमंत्री खेत संरक्षण योजना

राजगढ़ में मुख्यमंत्री खेत संरक्षण योजना किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है. बाड़ में सौर ऊर्जा से उत्पन्न मामूली करंट के कारण बंदर और आवारा पशु नजदीक नहीं आते हैं और यह खेतों में काम करने वाले किसानों-बागवानों के लिए पूरी तरह सुरक्षित है. किसान-बागवान व्यक्तिगत या सामूहिक रूप से भी इस योजना का लाभ उठा सकते हैं.

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Published : Mar 1, 2021, 9:31 AM IST

solar powered fence
फसलों की रक्षक बनी सोलर चालित बाड़

राजगढ़: प्रदेश सरकार की ओर से दी जा रही 'मुख्यमंत्री खेत संरक्षण योजना' किसानों के लिए वरदान सिद्ध हो रही है. जंगली जानवरों द्वारा फसलों को नुकसान पंहुचाए के कारण किसान खेती करने से विमुख हो गए थे और ग्रामीण परिवेश में अधिकांश कृषि भूमि बंजर हो गई थी. ऐसे में मुख्यमंत्री खेत संरक्षण योजना किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है. इसका एक प्रमाण राजगढ़ विकास खंड के बागना गांव में प्रत्यक्ष रूप से देखने को मिला है.

कंपोजिट सौर फेंसिंग के लिए 70 प्रतिशत अनुदान

बागना गांव के राकेश भगनाल का कहना है कि उन्होंने जंगली जनवरों से तंग आकर खेतों में फसलें लगाना छोड़ ही दिया था और वह आजीविका के लिए किसी अन्य कार्याें की तलाश में जुट गए. इसके बाद राकेश भगनाल को 'मुख्यमंत्री खेत संरक्षण योजना' की जानकरी मिली और कृषि विभाग के अधिकारियों ने उन्हें इस योजना के बारे विस्तार से जानकारी दी गई. कृषि विशेषज्ञ के अनुसार इस योजना के तहत कंपोजिट सौर फेंसिंग करने के लिए 70 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है जिसमें किसान को केवल 30 प्रतिशत का शेयर ही देना पड़ता है.

solar powered fence
फसलों की रक्षक बनी सोलर चालित बाड़.

कंपोजिट सौर फेंसिंग लगाने के लिए दी गई 536383 रुपये की राशि

इस योजना का लाभ लेने के लिए विभाग से निर्धारित फॉर्म भरकर राकेश भगनाल ने विभाग द्वारा बताई गई. सभी सभी औपचारिकताएं पूर्ण कर कृषि विभाग राजगढ़ को प्रस्तुत किया गया, जिसके उपरान्त कृषि विभाग द्वारा 440 मीटर क्षेत्र में कंपोजिट सौर फेंसिंग लगाने के लिए 5 लाख 36 हजार 383 रुपये की राशि स्वीकृत की गई. इस योजना के तहत उन्हें कृषि विभाग के द्वारा तीन लाख 75 हजार 468 रुपये का अनुदान दिया गया, जबकि राकेश भगनाल ने कंपोजिट सौर फेंसिंग संचालित बाड़ लगाने के लिए अपनी जेब से मात्र एक लाख 60 हजार 915 रुपये ही व्यय किए.

सोलर फेंसिंग की विशेषता

उनका कहना है कि इस फेंसिंग की खास बात यह है कि यह फेंसिंग जल्दी खराब नहीं होती. इसमें जमीन से लगभग 4 से 5 फीट की ऊंचाई तक बिना करंट की घनी जालियों के ब्लाॅक लगाए जाते हैं, जबकि उसके ऊपर करीब 3 फीट ऊंचाई पर सौर उर्जा से जुड़ी करंट वाली लारें लगी होती हैं, जिससे कोई भी जानवर यहां तक कि बंदर भी अंदर नहीं आ सकते हैं.

पशुओं के आतंक से निजात

इसमें करंट केवल जालियों के ऊपरी तरफ ही रहता है और उससे नीचे यह पूरी तरह से बंद रहती है जिससे किसान अपनी फसलों को जानवरों से सुरक्षित रख सकते हैं. राकेश का कहना है कि इस योजना से उन्हें भरपूर लाभ मिला है और जंगली जानवरों, बंदरों और अन्य पशुओं के आतंक से तो निजात मिली है. साथ ही उनके बगीचे में लगाए गए सेब के पौधे और लहसुन व अन्य फसल भी सुरक्षित होने से उनकी आमदनी भी दोगुनी हो गई हैं.

ये भी पढ़ें: सिरमौर में अब लड़कियां भी सीख सकेंगी क्रिकेट की बारीकियां, यहां खुलेगी पहली महिला क्रिकेट अकादमी

राजगढ़: प्रदेश सरकार की ओर से दी जा रही 'मुख्यमंत्री खेत संरक्षण योजना' किसानों के लिए वरदान सिद्ध हो रही है. जंगली जानवरों द्वारा फसलों को नुकसान पंहुचाए के कारण किसान खेती करने से विमुख हो गए थे और ग्रामीण परिवेश में अधिकांश कृषि भूमि बंजर हो गई थी. ऐसे में मुख्यमंत्री खेत संरक्षण योजना किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है. इसका एक प्रमाण राजगढ़ विकास खंड के बागना गांव में प्रत्यक्ष रूप से देखने को मिला है.

कंपोजिट सौर फेंसिंग के लिए 70 प्रतिशत अनुदान

बागना गांव के राकेश भगनाल का कहना है कि उन्होंने जंगली जनवरों से तंग आकर खेतों में फसलें लगाना छोड़ ही दिया था और वह आजीविका के लिए किसी अन्य कार्याें की तलाश में जुट गए. इसके बाद राकेश भगनाल को 'मुख्यमंत्री खेत संरक्षण योजना' की जानकरी मिली और कृषि विभाग के अधिकारियों ने उन्हें इस योजना के बारे विस्तार से जानकारी दी गई. कृषि विशेषज्ञ के अनुसार इस योजना के तहत कंपोजिट सौर फेंसिंग करने के लिए 70 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है जिसमें किसान को केवल 30 प्रतिशत का शेयर ही देना पड़ता है.

solar powered fence
फसलों की रक्षक बनी सोलर चालित बाड़.

कंपोजिट सौर फेंसिंग लगाने के लिए दी गई 536383 रुपये की राशि

इस योजना का लाभ लेने के लिए विभाग से निर्धारित फॉर्म भरकर राकेश भगनाल ने विभाग द्वारा बताई गई. सभी सभी औपचारिकताएं पूर्ण कर कृषि विभाग राजगढ़ को प्रस्तुत किया गया, जिसके उपरान्त कृषि विभाग द्वारा 440 मीटर क्षेत्र में कंपोजिट सौर फेंसिंग लगाने के लिए 5 लाख 36 हजार 383 रुपये की राशि स्वीकृत की गई. इस योजना के तहत उन्हें कृषि विभाग के द्वारा तीन लाख 75 हजार 468 रुपये का अनुदान दिया गया, जबकि राकेश भगनाल ने कंपोजिट सौर फेंसिंग संचालित बाड़ लगाने के लिए अपनी जेब से मात्र एक लाख 60 हजार 915 रुपये ही व्यय किए.

सोलर फेंसिंग की विशेषता

उनका कहना है कि इस फेंसिंग की खास बात यह है कि यह फेंसिंग जल्दी खराब नहीं होती. इसमें जमीन से लगभग 4 से 5 फीट की ऊंचाई तक बिना करंट की घनी जालियों के ब्लाॅक लगाए जाते हैं, जबकि उसके ऊपर करीब 3 फीट ऊंचाई पर सौर उर्जा से जुड़ी करंट वाली लारें लगी होती हैं, जिससे कोई भी जानवर यहां तक कि बंदर भी अंदर नहीं आ सकते हैं.

पशुओं के आतंक से निजात

इसमें करंट केवल जालियों के ऊपरी तरफ ही रहता है और उससे नीचे यह पूरी तरह से बंद रहती है जिससे किसान अपनी फसलों को जानवरों से सुरक्षित रख सकते हैं. राकेश का कहना है कि इस योजना से उन्हें भरपूर लाभ मिला है और जंगली जानवरों, बंदरों और अन्य पशुओं के आतंक से तो निजात मिली है. साथ ही उनके बगीचे में लगाए गए सेब के पौधे और लहसुन व अन्य फसल भी सुरक्षित होने से उनकी आमदनी भी दोगुनी हो गई हैं.

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