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पहाड़ों में पाए जाने वाली बिच्छू बूटी में होते हैं औषधीय गुण, सर्दियों में है लोगों का पसंदीदा भोजन - Scorpion Boots are the highest yields in hilly areas

देवभूमि हिमाचल के पहाड़ी इलाकों में पाए जाने वाली बिच्छू बूटी कई औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है. बिच्छू बूटी को पहाड़ी भाषा में क्खुवा या कंडाली के नाम से भी जाना जाता है. लोगों का कहना है कि सर्दियों के मौसम में बिच्छू बूटी का भोजन करने से शरीर काफी गर्म रहता है.

Scorpion Boots
पहाड़ी क्षेत्रों में सबसे ज्यादा पैदावार होती है 'बिच्छू बूटी'
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Published : Dec 24, 2019, 10:04 AM IST

Updated : Dec 24, 2019, 10:10 AM IST

पांवटा साहिब: हिमालयी क्षेत्रों में पाए जाने वाले हर एक पेड़-पौधे में कोई ना कोई औषधीय गुण जरूर होता है. इसी तरह देवभूमि हिमाचल के पहाड़ी इलाकों में पाए जाने वाली बिच्छू बूटी कई औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है. बिच्छू बूटी को पहाड़ी भाषा में क्खुवा या कंडाली के नाम से भी जाना जाता है.

बिच्छू बूटी का प्रमुख उपयोग पहाड़ी भोजन में किया जाता है. लोगों का मानना है कि सर्द मौसम में बिच्छू बूटी खाने से शरीर काफी गर्म रहता है, क्योंकि बिच्छू बूटी की तासीर गर्म होती है. सिरमौर जिला के शिलाई क्षेत्र के लोग बिच्छू बूटी का भोजन करते हैं.

वीडियो.

बता दें कि हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्रों में बिच्छू बूटी की सबसे ज्यादा पैदावार होती है. कोमल कांटेदार पत्तों को छुने से मात्र से वृश्चिक दंश जैसी पीड़ा होने लगती है. यही वजह है कि इसका नाम बिच्छू बूटी है. जिन इलाकों में बर्फबारी ज्यादा होती है उस क्षेत्र में ये सबसे ज्यादा पाई जाती है. हास्यात्मक तरीके से पहाड़ी इलाकों में बिच्छू बूटी को बाल सुधार बूटी भी कहा जाता है.

ये भी पढ़ें: पांवटा में चोरों के हौंसले बुलंद, बद्रीपुर में शातिरों ने घर का दरवाजा तोड़ की चोरी

पांवटा साहिब: हिमालयी क्षेत्रों में पाए जाने वाले हर एक पेड़-पौधे में कोई ना कोई औषधीय गुण जरूर होता है. इसी तरह देवभूमि हिमाचल के पहाड़ी इलाकों में पाए जाने वाली बिच्छू बूटी कई औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है. बिच्छू बूटी को पहाड़ी भाषा में क्खुवा या कंडाली के नाम से भी जाना जाता है.

बिच्छू बूटी का प्रमुख उपयोग पहाड़ी भोजन में किया जाता है. लोगों का मानना है कि सर्द मौसम में बिच्छू बूटी खाने से शरीर काफी गर्म रहता है, क्योंकि बिच्छू बूटी की तासीर गर्म होती है. सिरमौर जिला के शिलाई क्षेत्र के लोग बिच्छू बूटी का भोजन करते हैं.

वीडियो.

बता दें कि हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्रों में बिच्छू बूटी की सबसे ज्यादा पैदावार होती है. कोमल कांटेदार पत्तों को छुने से मात्र से वृश्चिक दंश जैसी पीड़ा होने लगती है. यही वजह है कि इसका नाम बिच्छू बूटी है. जिन इलाकों में बर्फबारी ज्यादा होती है उस क्षेत्र में ये सबसे ज्यादा पाई जाती है. हास्यात्मक तरीके से पहाड़ी इलाकों में बिच्छू बूटी को बाल सुधार बूटी भी कहा जाता है.

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Intro: बिच्छू बूटी से पहाड़ी क्षेत्र के लोगों को मिल सकता है लाभ बिच्छू बूटी का भोजन ग्रहण करने से कड़ाके की ठंड से लोगों को मिलती है राहत हिमाचल के पहाड़ी क्षेत्रों में सबसे ज्यादा पैदावार होती है बिच्छू बूटी Body:
देवभूमि हिमाचल में कड़ाके की ठंड से बचने के लिए पहाड़ी इलाकों में बसे लोग बिच्छू बूटी नामक पोस्टिक आहार व्यंजन बनाकर खाते हैं बता दें कि बिच्छू बूटी को पहाड़ी भाषा में क्खुवा के नाम से ही जाना जाता है ठंड के मौसम में ग्रामीण इलाकों के लोग बिच्छू बूटी का इस्तेमाल करते हैं बताया जाता है कि उसका भोजन करने से शरीर काफी गर्म रहता है जिला सिरमौर के शिलाई क्षेत्र के सभी पंचायतों में के गांव के लोग बिच्छू बूटी के पत्तों का भोजन बनाते हैं ताकि ठंड पर काबू पा सके

क्या है बिच्छू बूटी

बिच्छू बूटी हिमाचल प्रदेश में बहुत होती है । कोमल कांटेदार पत्तों को स्पर्श करने से वृश्चिकदंश जैसी पीड़ा होने लगती है । इसीलिए इसका नाम बिच्छू बूटी है जिन इलाकों में बर्फ ज्यादा होती है उस क्षेत्र में सबसे ज्यादा पाए पैदावार होती है


क्या कहा गांव वासियों ने

रामेश्वर शर्मा ने बताया कि ठंड के मौसम में सबसे ज्यादा गांव के लोग बिच्छू बूटी के पत्तों का भोजन बनाकर ग्रहण करते हैं ना तो इससे ठंड लगती है और ना ही बीमारियां होती है वहीं तेलु राम ने भी बताया कि अधिकतर लोग तो बिच्छू बूटी इसलिए भी ग्रहण करते हैं ताकि बीमारियों से राहत मिल सके ठंड के समय लोगों को कई बीमारियां पैदा हो जाती है जिनके लिए घर में स्पेशल बिच्छू बूटी के पत्तों का भोजन बनाया जाता है ताकि उन्हें सर्दी जुखाम से राहत मिल सके यही तुलसीराम बुद्धिजीवी ने बताया कि पुराने जवानों की परंपराएं आज भी यहां के क्षेत्र के लोग निभा रहे हैं बुजुर्गों द्वारा सबसे गरम पोस्टिक आहार बिच्छू के पत्तों को ही कहा जाता था यही नहीं मांग के महीने में जिन इलाकों में लोग मीठ का सेवन करते हैं ताकि ठंड से राहत मिल सके जो लोग मीठ नहीं खाते वह बिच्छू बूटी के पत्तों से बना भोजन ग्रहण करते हैंConclusion: पोंटा सिविल अस्पताल के आपातकालीन मैं तैनात डॉक्टर सुरेश ठाकुर ने बताया कि पहाड़ी क्षेत्र का पोस्टिक बिच्छू बूटी लोगों के लिए काफी फायदा होती है हालांकि पहाड़ी क्षेत्रों में इसका इस्तेमाल ग्रामीण लोग करते हैं पर अगर मैदानी इलाकों में भी इसका सेवन किया जाए तो लोगों को ठंड से राहत मिल सकती है
Last Updated : Dec 24, 2019, 10:10 AM IST
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