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नाहन में इस बार नहीं निकली भगवान श्री जगन्नाथ की रथ यात्रा, सूक्ष्म रूप में हुई पूजा-अर्चना

ऐतिहासिक शहर नाहन में भगवान श्री जगन्नाथ जी की रथ यात्रा का आयोजन हर साल की तरह इस बार कोरोना वायरस की वजह से संभव नहीं हो पाया. इस बार रथ यात्रा समिति को आयोजन की अनुमति नहीं मिल सकी बल्कि सूक्ष्म रूप में भगवान की पूजा अर्चना की गई.

भगवान जगन्नाथ मंदिर नाहन
भगवान जगन्नाथ मंदिर नाहन
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Published : Jun 28, 2020, 5:12 PM IST

नाहन: कोरोना वायरस की वजह से इस साल ऐतिहासिक शहर नाहन में भगवान श्री जगन्नाथ की रथ यात्रा का आयोजन नहीं हुआ, बल्कि सूक्ष्म रूप में भगवान की पूजा अर्चना की गई.

दरअसल हर साल भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलभद्र व बहन सुभद्रा के साथ बड़ी शान के साथ रथ पर सवार होकर शहर के भ्रमण के लिए निकलते थे, लेकिन इस बार कोरोना वायरस की वजह से प्रशासन के दिशा निर्देशानुसार शहर के प्राचीन जगन्नाथ मंदिर में भगवान श्री जगन्नाथ जी की सूक्ष्म रूप से पूजा अर्चना की गई.

वीडियो.

जगन्नाथ रथ यात्रा समिति के सदस्यों ने भगवान श्री जगन्नाथ जी के रथ की पूजा की. इसके बाद मंदिर परिसर में हवन यज्ञ का आयोजन किया गया. पूजा अर्चना में चंद लोगों ने ही शिरकत की. साथ ही सोशल डिस्टेसिंग का भी विशेष ख्याल रखा गया.

भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा समिति के अध्यक्ष प्रकाश बंसल ने बताया कि इस बार प्रशासन की तरफ से कोरोना वायरस के चलते रथ यात्रा को आयोजित करने की अनुमति नहीं थी. ऐसे में मंदिर के भीतर ही प्रशासन के आदेशानुसार पूजा अर्चना की गई.

भगवान जगन्नाथ नाहन
भगवान जगन्नाथ नाहन

सभी लोगों को घर पर पूजा अर्चना कर भगवान जगन्नाथ से कोरोना महामारी से मुक्ति के लिए प्रार्थना करनी चाहिए. प्रकाश बंसल ने कहा कि लोगों से अपील है कि भगवान श्री जगन्नाथ जी की पूजा अर्चना घर पर ही करें, जिससे भगवान प्रसन्न होकर कोरोना जैसे बीमारी से मुक्ति दिला पाएं और भक्तों पर अपना आशीर्वाद बनाए रख सके.

माना जाता है कि ओडिशा के जगन्नाथपुरी के बाद उत्तर भारत में नाहन में ही भगवान श्री जगन्नाथ का प्राचीन मंदिर स्थित है. मंदिर का निर्माण 1681 में तत्कालीन शासक बुध प्रकाश ने किया था. मंदिर का इतिहास तपस्वी बाबा बनवारी दास के साथ भी जुड़ा हुआ है. सन 2009 में पहली बार शहर में भगवान जगन्नाथ जी की रथ यात्रा का आयोजन हुआ था.

पढ़ें: कोरोना से खतरनाक 'डिप्रेशन', हिमाचल में 2 महीनों में 121 लोगों ने की आत्महत्या

नाहन: कोरोना वायरस की वजह से इस साल ऐतिहासिक शहर नाहन में भगवान श्री जगन्नाथ की रथ यात्रा का आयोजन नहीं हुआ, बल्कि सूक्ष्म रूप में भगवान की पूजा अर्चना की गई.

दरअसल हर साल भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलभद्र व बहन सुभद्रा के साथ बड़ी शान के साथ रथ पर सवार होकर शहर के भ्रमण के लिए निकलते थे, लेकिन इस बार कोरोना वायरस की वजह से प्रशासन के दिशा निर्देशानुसार शहर के प्राचीन जगन्नाथ मंदिर में भगवान श्री जगन्नाथ जी की सूक्ष्म रूप से पूजा अर्चना की गई.

वीडियो.

जगन्नाथ रथ यात्रा समिति के सदस्यों ने भगवान श्री जगन्नाथ जी के रथ की पूजा की. इसके बाद मंदिर परिसर में हवन यज्ञ का आयोजन किया गया. पूजा अर्चना में चंद लोगों ने ही शिरकत की. साथ ही सोशल डिस्टेसिंग का भी विशेष ख्याल रखा गया.

भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा समिति के अध्यक्ष प्रकाश बंसल ने बताया कि इस बार प्रशासन की तरफ से कोरोना वायरस के चलते रथ यात्रा को आयोजित करने की अनुमति नहीं थी. ऐसे में मंदिर के भीतर ही प्रशासन के आदेशानुसार पूजा अर्चना की गई.

भगवान जगन्नाथ नाहन
भगवान जगन्नाथ नाहन

सभी लोगों को घर पर पूजा अर्चना कर भगवान जगन्नाथ से कोरोना महामारी से मुक्ति के लिए प्रार्थना करनी चाहिए. प्रकाश बंसल ने कहा कि लोगों से अपील है कि भगवान श्री जगन्नाथ जी की पूजा अर्चना घर पर ही करें, जिससे भगवान प्रसन्न होकर कोरोना जैसे बीमारी से मुक्ति दिला पाएं और भक्तों पर अपना आशीर्वाद बनाए रख सके.

माना जाता है कि ओडिशा के जगन्नाथपुरी के बाद उत्तर भारत में नाहन में ही भगवान श्री जगन्नाथ का प्राचीन मंदिर स्थित है. मंदिर का निर्माण 1681 में तत्कालीन शासक बुध प्रकाश ने किया था. मंदिर का इतिहास तपस्वी बाबा बनवारी दास के साथ भी जुड़ा हुआ है. सन 2009 में पहली बार शहर में भगवान जगन्नाथ जी की रथ यात्रा का आयोजन हुआ था.

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