पांवटा साहिब: हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी सदस्य अनेंदर सिंह नॉटी ने प्रदेश सरकार के जनमंच कार्यक्रम पर सवाल उठाए हैं. अनेंदर सिंह नॉटी ने कहा कि प्रदेश सरकार की ओर से आयोजित जनमंच में जनता की समस्याओं का निपटारा कम और अधिकारियों व कर्मचारियों की बेइज्जती और प्रताड़ना ज्यादा हो रही है.
अनेंदर सिंह नॉटी ने कहा कि जनमंच में राजनीतिक कार्यकर्ता मंच पर और अधिकारी नीचे कुर्सियों पर बैठते है, लेकिन कांग्रेस के समय में 'सरकार आपके द्वार' कार्यक्रम में नेताओं और अधिकारियों के बैठने की व्यवस्था एक जैसी थी. उन्होंने कहा कि बिना बजट के विकास कार्य कैसे होंगे और जनता की समस्याओं का निपटारा कौन करेगा. जनमंच की अध्यक्षता करने वाले मंत्रियों को पहले सभी विभागों के बजट की जानकारी हासिल करनी चाहिए.
कांग्रेस कमेटी सदस्य ने कहा कि जनमंच केवल भाषणबाजी का मंच बन रहे हैं. इसके साथ ही जनमंच में जनता व कर्मचारियों का समय बर्बाद हो रहा है और नतीजे शून्य के बराबर हैं. उन्होंने कहा कि विभिन्न विभागों के अधिकारी व कर्मचारी जनमंच के आयोजन की तैयारियों में लगे होते हैं, जिस कारण विभागों में अपने कार्य करवाने गए लोगों को खाली हाथ लौटना पड़ता है.
अनेंदर सिंह नॉटी ने कहा कि उन्होंने कहा कि अधिकारी व कर्मचारी भी समाज का अभिन्न अंग है और उनकी एक गरिमा के साथ-साथ अपनी इज्जत होती है. उन्होंने कहा अधिकारी भी देश के नागरिक और वोटर हैं, उनके प्रति आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग करना अनुचित है.
अनेंदर सिंह ने कहा कि इससे पहले भी हिमाचल और पांवटा साहब में जनमंचों की अध्यक्षता कर रहे मंत्रियों ने अधिकारियों के साथ अमर्यादित व्यवहार किया है. उन्होंने कहा कि जनता के सामने अधिकारियों को बेइज्जत करने से उनका मनोबल टूटता है और वह भविष्य में सही तरीके से काम नहीं कर पाएंगे.
हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी सदस्य अनेंदर सिंह नॉटी ने बताया कि सरकार को सादगी से जनमंच मनाने की पहल करनी चाहिए और इन्हें राजसी दरबार में बदलने से बचाना चाहिए. उन्होंने कहा कि जनमंचों की अध्यक्षता करने वालों को सही दिशा-निर्देश जारी करने चाहिए, जिससे भविष्य में ऐसी गलती ना हो और जनता को सही समय व सही तरीके से न्याय मिल सके. इसके साथ ही अधिकारी भी बिना किसी डर के अपना काम खुशी-खुशी कर सकें.
बता दें कि रविवार को पांवटा साहब के अबोंया में आयोजित जनमंच में अव्यवस्था का आलम देखने को मिला और विधानसभा उपाध्यक्ष हंसराज कई बार अपनी मर्यादा भूल गए. उपाध्यक्ष अधिकारियों और कर्मचारियों को हड़काने के बावजूद भी 78 में से किसी भी समस्या का निपटारा नहीं कर पाए, जिसमें से 75 समस्याओं को संबंधित विभागों को भेजा गया है. इससे पहले पांवटा साहब के भंगानी में हुए जनमंच में दर्ज समस्याओं का डेढ़ वर्ष बीत जाने पर भी समाधान नहीं हुआ हैं.