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जनमंच केवल भाषणबाजी का मंच, अधिकारियों पर भड़कते हैं नेता: अनेंदर सिंह

हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी सदस्य अनेंदर सिंह नॉटी ने प्रदेश सरकार पर जनमंच कार्यक्रम को लेकर जमकर निशाना साधा है. उनहोंने प्रदेश सरकार के मंत्रियों पर अधिकारियों के साथ अमर्यादित व्यवहार करने का आरोप लगाया है.

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अधिकारियों पर भड़कते हैं नेता बोले अनेंदर सिंह.
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Published : Jan 6, 2020, 5:56 PM IST

पांवटा साहिब: हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी सदस्य अनेंदर सिंह नॉटी ने प्रदेश सरकार के जनमंच कार्यक्रम पर सवाल उठाए हैं. अनेंदर सिंह नॉटी ने कहा कि प्रदेश सरकार की ओर से आयोजित जनमंच में जनता की समस्याओं का निपटारा कम और अधिकारियों व कर्मचारियों की बेइज्जती और प्रताड़ना ज्यादा हो रही है.

अनेंदर सिंह नॉटी ने कहा कि जनमंच में राजनीतिक कार्यकर्ता मंच पर और अधिकारी नीचे कुर्सियों पर बैठते है, लेकिन कांग्रेस के समय में 'सरकार आपके द्वार' कार्यक्रम में नेताओं और अधिकारियों के बैठने की व्यवस्था एक जैसी थी. उन्होंने कहा कि बिना बजट के विकास कार्य कैसे होंगे और जनता की समस्याओं का निपटारा कौन करेगा. जनमंच की अध्यक्षता करने वाले मंत्रियों को पहले सभी विभागों के बजट की जानकारी हासिल करनी चाहिए.

कांग्रेस कमेटी सदस्य ने कहा कि जनमंच केवल भाषणबाजी का मंच बन रहे हैं. इसके साथ ही जनमंच में जनता व कर्मचारियों का समय बर्बाद हो रहा है और नतीजे शून्य के बराबर हैं. उन्होंने कहा कि विभिन्न विभागों के अधिकारी व कर्मचारी जनमंच के आयोजन की तैयारियों में लगे होते हैं, जिस कारण विभागों में अपने कार्य करवाने गए लोगों को खाली हाथ लौटना पड़ता है.

वीडियो रिपोर्ट.

अनेंदर सिंह नॉटी ने कहा कि उन्होंने कहा कि अधिकारी व कर्मचारी भी समाज का अभिन्न अंग है और उनकी एक गरिमा के साथ-साथ अपनी इज्जत होती है. उन्होंने कहा अधिकारी भी देश के नागरिक और वोटर हैं, उनके प्रति आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग करना अनुचित है.

अनेंदर सिंह ने कहा कि इससे पहले भी हिमाचल और पांवटा साहब में जनमंचों की अध्यक्षता कर रहे मंत्रियों ने अधिकारियों के साथ अमर्यादित व्यवहार किया है. उन्होंने कहा कि जनता के सामने अधिकारियों को बेइज्जत करने से उनका मनोबल टूटता है और वह भविष्य में सही तरीके से काम नहीं कर पाएंगे.

हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी सदस्य अनेंदर सिंह नॉटी ने बताया कि सरकार को सादगी से जनमंच मनाने की पहल करनी चाहिए और इन्हें राजसी दरबार में बदलने से बचाना चाहिए. उन्होंने कहा कि जनमंचों की अध्यक्षता करने वालों को सही दिशा-निर्देश जारी करने चाहिए, जिससे भविष्य में ऐसी गलती ना हो और जनता को सही समय व सही तरीके से न्याय मिल सके. इसके साथ ही अधिकारी भी बिना किसी डर के अपना काम खुशी-खुशी कर सकें.

बता दें कि रविवार को पांवटा साहब के अबोंया में आयोजित जनमंच में अव्यवस्था का आलम देखने को मिला और विधानसभा उपाध्यक्ष हंसराज कई बार अपनी मर्यादा भूल गए. उपाध्यक्ष अधिकारियों और कर्मचारियों को हड़काने के बावजूद भी 78 में से किसी भी समस्या का निपटारा नहीं कर पाए, जिसमें से 75 समस्याओं को संबंधित विभागों को भेजा गया है. इससे पहले पांवटा साहब के भंगानी में हुए जनमंच में दर्ज समस्याओं का डेढ़ वर्ष बीत जाने पर भी समाधान नहीं हुआ हैं.

पांवटा साहिब: हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी सदस्य अनेंदर सिंह नॉटी ने प्रदेश सरकार के जनमंच कार्यक्रम पर सवाल उठाए हैं. अनेंदर सिंह नॉटी ने कहा कि प्रदेश सरकार की ओर से आयोजित जनमंच में जनता की समस्याओं का निपटारा कम और अधिकारियों व कर्मचारियों की बेइज्जती और प्रताड़ना ज्यादा हो रही है.

अनेंदर सिंह नॉटी ने कहा कि जनमंच में राजनीतिक कार्यकर्ता मंच पर और अधिकारी नीचे कुर्सियों पर बैठते है, लेकिन कांग्रेस के समय में 'सरकार आपके द्वार' कार्यक्रम में नेताओं और अधिकारियों के बैठने की व्यवस्था एक जैसी थी. उन्होंने कहा कि बिना बजट के विकास कार्य कैसे होंगे और जनता की समस्याओं का निपटारा कौन करेगा. जनमंच की अध्यक्षता करने वाले मंत्रियों को पहले सभी विभागों के बजट की जानकारी हासिल करनी चाहिए.

कांग्रेस कमेटी सदस्य ने कहा कि जनमंच केवल भाषणबाजी का मंच बन रहे हैं. इसके साथ ही जनमंच में जनता व कर्मचारियों का समय बर्बाद हो रहा है और नतीजे शून्य के बराबर हैं. उन्होंने कहा कि विभिन्न विभागों के अधिकारी व कर्मचारी जनमंच के आयोजन की तैयारियों में लगे होते हैं, जिस कारण विभागों में अपने कार्य करवाने गए लोगों को खाली हाथ लौटना पड़ता है.

वीडियो रिपोर्ट.

अनेंदर सिंह नॉटी ने कहा कि उन्होंने कहा कि अधिकारी व कर्मचारी भी समाज का अभिन्न अंग है और उनकी एक गरिमा के साथ-साथ अपनी इज्जत होती है. उन्होंने कहा अधिकारी भी देश के नागरिक और वोटर हैं, उनके प्रति आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग करना अनुचित है.

अनेंदर सिंह ने कहा कि इससे पहले भी हिमाचल और पांवटा साहब में जनमंचों की अध्यक्षता कर रहे मंत्रियों ने अधिकारियों के साथ अमर्यादित व्यवहार किया है. उन्होंने कहा कि जनता के सामने अधिकारियों को बेइज्जत करने से उनका मनोबल टूटता है और वह भविष्य में सही तरीके से काम नहीं कर पाएंगे.

हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी सदस्य अनेंदर सिंह नॉटी ने बताया कि सरकार को सादगी से जनमंच मनाने की पहल करनी चाहिए और इन्हें राजसी दरबार में बदलने से बचाना चाहिए. उन्होंने कहा कि जनमंचों की अध्यक्षता करने वालों को सही दिशा-निर्देश जारी करने चाहिए, जिससे भविष्य में ऐसी गलती ना हो और जनता को सही समय व सही तरीके से न्याय मिल सके. इसके साथ ही अधिकारी भी बिना किसी डर के अपना काम खुशी-खुशी कर सकें.

बता दें कि रविवार को पांवटा साहब के अबोंया में आयोजित जनमंच में अव्यवस्था का आलम देखने को मिला और विधानसभा उपाध्यक्ष हंसराज कई बार अपनी मर्यादा भूल गए. उपाध्यक्ष अधिकारियों और कर्मचारियों को हड़काने के बावजूद भी 78 में से किसी भी समस्या का निपटारा नहीं कर पाए, जिसमें से 75 समस्याओं को संबंधित विभागों को भेजा गया है. इससे पहले पांवटा साहब के भंगानी में हुए जनमंच में दर्ज समस्याओं का डेढ़ वर्ष बीत जाने पर भी समाधान नहीं हुआ हैं.

Intro: जनमंच में सुनी समस्याओं का नहीं हो रहा निराकरण पिछले डेढ़ वर्षो की समस्या आज तक अधर में लटकी अधिकारियों पर भड़कते है नेता
हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी सदस्य अनेंदर सिंह नॉटी Body:हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी सदस्य अनेंदर सिंह नॉटी ने बताया कि रविवार को हिमाचल प्रदेश की मौजूदा सरकार द्वारा आयोजित किए जा रहे जनमंच जनता की समस्याओं का निपटारा कम बल्कि अधिकारियों व कर्मचारियों को प्रताड़ित व बेइज्जत करने का मंच अधिक बन चुके हैं जहां उच्च अधिकारियों को नीचे कुर्सियों पर बैठाया जाता है और राजनीतिक कार्यकर्ता मंच पर आसीन होते हैं जबकि पहले प्रशासन आपके द्वार में बैठने की एक जैसी व्यवस्था रहती थी। ऊपर से जब विभागों के पास बजट ही नहीं होगा तो विकास कार्य कैसे होंगे और जनता की समस्याओं का निपटारा कौन करेगा। उचित यह है कि जनमंच की अध्यक्षता कर रहे मंत्री आदि पहले सभी विभागों के बजट की जानकारी हासिल कर लिया करें। जनमंच अब भाषण बाजी का मंच बन रहे हैं और जनता तथा कर्मचारियों का कई कई दिन का समय बर्बाद हो रही है और नतीजा लगभग शून्य के बराबर है, बल्कि इससे कई कई दिन जनता जब अपने कार्यों को लेकर संबंधित कार्यालयों में जाती है तो पता चलता है कि अधिकारी व कर्मचारी जनमंच के आयोजन की तैयारियों में लगे हुए हैं और जनता को बैरंग वापस लौटना पड़ता है। रविवार को पांवटा साहब के अबोंया में आयोजित जन मंच में भी भारी अव्यवस्था देखी गई जहां विधानसभा उपाध्यक्ष हंसराज कई बार अपनी मर्यादा ही भूल गए। वह एक संवैधानिक पद पर आसीन है और मंच से नागरिकता कानून जैसे मुद्दों पर भाषण देकर उन्होंने अपने पद की गरिमा को ठेस पहुंचाई है। उन्हें केवल मात्र जनता की समस्याओं का मौके पर निपटारा करने को ही प्राथमिकता देनी चाहिए थी। अधिकारियों और कर्मचारियों को हड़काने के बावजूद भी 78 में से किसी भी समस्या का निपटारा नहीं कर पाए बल्कि 75 समस्याओं को आगे संबंधित विभागों को भेजा गया है जिनमें से कितनी समस्याएं हल हो पाएंगी और जनता को न्याय मिलेगा यह तो वक्त ही बताएगा क्योंकि पांवटा साहब में सबसे पहले जनमंच जो भगानी में हुआ था, डेढ़ वर्ष बीत जाने पर भी अभी तक वहां दर्ज समस्याओं का अभी तक निराकरण नहीं हुआ और जनता दर-दर भटक रही है। भारतीय जनता पार्टी के स्थानीय पदाधिकारी तथा नुमाइंदे जब जनता को हतोत्साहित करें कि वह जनमंच में शिकायत लेकर पहुंचेंगे तो उसके नतीजे भुगतने होंगे ऐसे में इन जनमंचों का क्या औचित्य रह जाता है।
अधिकारी तथा कर्मचारी भी इस समाज का अभिन्न अंग है और उनकी भी एक अपनी गरिमा तथा इज्जत होती है। वह भी इस देश के नागरिक और वोटर हैं, उनके प्रति आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग करना सर्वथा अनुचित है। इससे पहले भी हिमाचल प्रदेश तथा पांवटा साहब में हुए जन मंचों में अधिकारियों के साथ अमर्यादित व्यवहार जनमंच की अध्यक्षता कर रहे मंत्रियों द्वारा किया जा चुका है। जनता के सामने बेइज्जत होने से अधिकारियों का आत्मविश्वास तथा मनोबल टूटता है और वह भविष्य में सही तरीके से काम नहीं कर सकते।

Conclusion:सदस्य हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी अनेंदर सिंह नॉटी ने बताया कि सरकार को जनमंच सादगी से मनाने की पहल करनी चाहिए और इसे राजसी दरबार में बदलने से बचना चाहिए। प्रदेश के मुख्यमंत्री को सभी मंत्रियों तथा अन्य जो जनमंचों की अध्यक्षता करते हैं, उनको इस बारे में सही दिशा निर्देश जारी करने चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी गलती ना हो और जनता को सही समय और सही तरीके से न्याय मिल सके और अधिकारी उनके काम खुशी-खुशी करें और जनमंच को लेकर जो डर का माहौल है वह समाप्त हो सके
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