नाहनः सिरमौर जिला की दीद बगड़ पंचायत के गांव संदड़ाह में इन दिनों केसर की महक बिखरी हुई है. एक किसान के खेत पूरी तरह से केसरिया दिखाई दे रहे हैं. जिला में केसर की खेती को प्रगतिशील किसान 36 वर्षीय चमन सिंह ने करने में कामयाबी हासिल की है. ऐसे में चमन सिंह अन्य किसानों के लिए भी प्रेरणा स्त्रोत बनकर उभरे हैं.
दरअसल चमन सिंह को केसर की खेती का आइडिया अपने 8 वर्षीय बेटे हर्षित की बदौलत मिला. हर्षित अपने पिता को बागवानी व खेती के लिए प्रेरित करता रहता है. लिहाजा एक दिन अचानक ही यू-ट्यूब पर बेटे ने अपने पिता को केसर की खेती का सुझाव दिया. पिता को एक दम बेटे की बात अच्छी लगी, तो तुरंत केसर के बीज की तलाश शुरू कर दी. हरियाणा के यमुनानगर जिला के रादौर पहुंचकर बीज का इंतजाम किया और अपने खेतों में उसे उगा दिया. नतीजतन आज चमन के खेत केसरिया हो गए हैं और इसकी महक दूर-दूर तक फैल रही है.
हालांकि इस साल दो महीने देरी से केसर की बिजाई की गई जो सितंबर में होनी चाहिए थी, लेकिन उन्होंने 8 दिसंबर के आसपास केसर को रोपित किया. यू-टयूब पर सर्च कर यह जानकारी जुटाई गई थी कि केसर को कीटमुक्त रखने के लिए क्या उपाय होने चाहिए. फिर पता चला कि नीम के पत्तों, अदरक के अर्क के अलावा गौमूत्र इत्यादि के मिश्रण से तैयार स्प्रे को छिड़का जाना चाहिए.
बातचीत करते हुए प्रगतिशील किसान चमन ने कहा कि केसर की खेती का एक्सपीरियंस बेहद अच्छा रहा है. दो हजार पौधे उन्होंने अपने खेतों में लगाए थे, जिसमें से 1137 पौधे कामयाब हुए हैं. वे अब तक 7 से 8 किलो केसर का तुड़ान कर चुके हैं और अब भी फूल खिले हुए हैं. केसर की खेती के सुझाव पर पूछे सवाल पर किसान चमन का कहना कि उनका बेटा यू-ट्यूब पर वीडियो देख रहा था और कहना लगा कि हम कई फसलें उगाते हैं, इस बार खेतों में केसर उगा लिया जाए. बेटे का यह सुझाव उन्हें ठीक लगा.
उनके खेतों में लगी केसर अमेरिकन है. केसर की कीमत भी बेहद अधिक है, जिसे उन्हें अब तक अलग-अलग बताया गया है, जोकि लाखों में है. उन्हें 70 हजार रूपए किलो के हिसाब से बीज मिला था और उन्होंने 116 ग्राम बीज अपने खेतों में लगाया था, जिससे करीब 2 हजार पौधे बने, जिसमें से 1137 पौधे कामयाब हुए. जल्द ही वह तैयार किया गया केसर मार्केट में बेचने के लिए जाएंगे. इसके लिए दिल्ली, बठिंडा व अमृतसर में बात हुई है.
कुल मिलाकर सिरमौर के युवा प्रगतिशील किसान ने अपनी अन्य जिम्मेदारियों के अलावा केसर उगाकर उन लोगों के लिए एक मिसाल पेश की है, जो खेती के पेशे से विमुख हो रहे हैं और चमन उनके लिए एक प्रेरणा स्त्रोत बनकर उभरे है.