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फाल आर्मी वर्म कीड़े से मक्की की फसल को बचाएं किसान, कृषि विभाग ने जारी की एडवाइजरी

कृषि विशेषज्ञों के अनुसार जिला के निचले व गिरीपार वाले इलाके में इस कीट का अधिक प्रकोप देखने को मिल रहा है. अभी तक लगभग 4 हजार हेक्टेयर मक्की की फसल में खेत के बीच में ही स्थानीय पैच के रूप में 10 से 15 प्रतिशत पौधे इस कीड़े से ग्रसित पाए गए हैं. लिहाजा कृषि विभाग ने बचाव से संबंधित एडवाइजरी जारी की है.

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Published : Aug 1, 2020, 8:57 AM IST

nahan news, नाहन न्यूज
फोटो.

नाहन: सिरमौर जिला के किसान फाल आर्मी वर्म कीड़े से मक्की की फसल को बचाने के लिए पूरी सावधानी बरतें. जिला कृषि विभाग ने किसानों के लिए एडवाजरी जारी की है, ताकि किसानों को नुकसान न उठाना पड़े.

दरअसल इस साल जिला में किसानों को फाल आर्मी वर्म कीड़े के प्रकोप के चलते दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. कृषि विशेषज्ञों के अनुसार जिला के निचले व गिरीपार वाले इलाके में इस कीट का अधिक प्रकोप देखने को मिल रहा है. अभी तक लगभग 4 हजार हेक्टेयर मक्की की फसल में खेत के बीच में ही स्थानीय पैच के रूप में 10 से 15 प्रतिशत पौधे इस कीड़े से ग्रसित पाए गए हैं.

लिहाजा कृषि विभाग ने बचाव से संबंधित एडवाइजरी जारी की है. ध्यान देने वाली बात यह भी है कि किसान ग्रसित पौधों के अवशेष अपने खेतों में न छोड़ें, अन्यथा यह अगली फसल को नुक्सान पहुंचाएंगे. यह कीड़ा 80 से ज्यादा फसलों को नुक्सान पहुंचाता है.

वीडियो.

कृषि विभाग के अनुसार यह कीड़ा दक्षिण अमेरिका में पाया जाता था, लेकिन कुछ वर्ष पहले यह अफ्रीकी देशों से होते हुए कर्नाटक और वहां से उत्तरी पूर्वी राज्यों में पहुंचने के बाद अब उतरी भारत के राज्यों में भी पहुंच गया है.

यह जलवायु परिवर्तन और खादों के असंतुलित उपयोगों के कारण हुआ है और नत्रजन के ज्यादा उपयोग करने के कारण पौधों की रोगों और कीटों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता खत्म हो जाती है, जिस कारण विभिन्न किस्म के रोग और कीड़े फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं.

सिरमौर जिला के कार्यकारी कृषि उपनिदेशक डॉ. बलदेव पराशर ने आर्मी वोर्म नामक कीड़े के प्रकोप से मक्की सहित अन्य फसलों को बचाने के लिए विभाग ने किसानों को सावधान बरतने की अपील की है.

उन्होंने बताया कि उक्त कीड़ों से अपने फसल को बचाने के लिए खेत का नियमित सर्वेक्षण करें. यदि खेत में 5 प्रतिशत से अधिक पौधों पर फाल आर्मी वोर्म नामक कीड़े का प्रकोप पाया जाता है, तो इसके नियंत्रण के लिए उपाय समय पर शुरू कर दें.

सबसे पहले खेत की मिट्टी,रेतव राख से ग्रसित पौधों के सबसे उपरी पत्ते व मध्य छल्ले में भरें और यदि उसके बाद बारिश न हो तो पानी भर दें. ऐसा करने से सुंडियां मर जाएगी. खेत में प्रकाश प्रपंच और फेरोमोन ट्रैप स्थापित करें.

अजैविक कीटनाशकों जैसे बीटी (2 ग्राम प्रति लीटर पानी) नीम आधारित कीटनाशकों (2 मिली लीटर प्रति लीटर पानी), फफूंद आधारित कीटनाशकों मेटारहीजीयम (5 ग्राम प्रति लीटर पानी) आदि का उपयोग करें.

न हो प्रकोप खत्म, तो फिर ये करें अंतिम काम

कृषि विभाग के अनुसार मक्की की फसल में परजीवियों जैसे ट्राइकोग्रामा, कोटेशिया, टेलीनोमस आदि की संख्या बढ़ाने हेतु प्रयोगशाला में तैयार परजीवियों के अंडे छोड़ें. यदि इन उपायों के बावजूद फाल आर्मी वोर्म का प्रकोप कम नहीं होता है तो अंतिम उपाय के रूप में रसायनों जैसे स्पाईनोसैड (0.3 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी), कलोरनट्रेनिलिमोल (0.3 मिली मीटर प्रति लीटर पानी) एमाबेक्टीन बेन्जोएट (0.4 ग्राम प्रति लीटर पानी) धायोडीका (2 ग्राम प्रति लीटर पानी), फ्लूबेंडामाइड (0.3 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी या थाओमियेक्सोन लेम्ब्डा साईं हेलोप्रिन (0.25 मिली लीटर प्रति लीटर पानी में मिला कर ग्रसित पौधों के सबसे उपरी पत्ते व मध्य छल्ले में भरें.

अगले वर्ष ये भी करें उपाय

कृषि विभाग के अनुसार अगले वर्ष मक्की की फसल के साथ उड़द, लोबिया इत्यादि दाल की फसल अवश्य लगाएं, क्योंकि ऐसी मिश्रित फसल में फाल आर्मी वोर्म कीड़े का प्रकोप कम होता है और मक्की की फसल का नत्रजन दलहन फसल से मुफ्त में प्राप्त होती है. बता दें कि सिरमौर जिला में लगभग 24 हजार हेक्टेयर भूमि पर मक्की की खेती की जाती है, जिससे लगभग 58 हजार 750 मीट्रिक टन उत्पादन प्राप्त होता है.

ये भी पढ़ें- जानें आज हिमाचल में क्या रहेंगे पेट्रोल व डीजल के दाम, जानने के लिए क्लिक करें

नाहन: सिरमौर जिला के किसान फाल आर्मी वर्म कीड़े से मक्की की फसल को बचाने के लिए पूरी सावधानी बरतें. जिला कृषि विभाग ने किसानों के लिए एडवाजरी जारी की है, ताकि किसानों को नुकसान न उठाना पड़े.

दरअसल इस साल जिला में किसानों को फाल आर्मी वर्म कीड़े के प्रकोप के चलते दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. कृषि विशेषज्ञों के अनुसार जिला के निचले व गिरीपार वाले इलाके में इस कीट का अधिक प्रकोप देखने को मिल रहा है. अभी तक लगभग 4 हजार हेक्टेयर मक्की की फसल में खेत के बीच में ही स्थानीय पैच के रूप में 10 से 15 प्रतिशत पौधे इस कीड़े से ग्रसित पाए गए हैं.

लिहाजा कृषि विभाग ने बचाव से संबंधित एडवाइजरी जारी की है. ध्यान देने वाली बात यह भी है कि किसान ग्रसित पौधों के अवशेष अपने खेतों में न छोड़ें, अन्यथा यह अगली फसल को नुक्सान पहुंचाएंगे. यह कीड़ा 80 से ज्यादा फसलों को नुक्सान पहुंचाता है.

वीडियो.

कृषि विभाग के अनुसार यह कीड़ा दक्षिण अमेरिका में पाया जाता था, लेकिन कुछ वर्ष पहले यह अफ्रीकी देशों से होते हुए कर्नाटक और वहां से उत्तरी पूर्वी राज्यों में पहुंचने के बाद अब उतरी भारत के राज्यों में भी पहुंच गया है.

यह जलवायु परिवर्तन और खादों के असंतुलित उपयोगों के कारण हुआ है और नत्रजन के ज्यादा उपयोग करने के कारण पौधों की रोगों और कीटों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता खत्म हो जाती है, जिस कारण विभिन्न किस्म के रोग और कीड़े फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं.

सिरमौर जिला के कार्यकारी कृषि उपनिदेशक डॉ. बलदेव पराशर ने आर्मी वोर्म नामक कीड़े के प्रकोप से मक्की सहित अन्य फसलों को बचाने के लिए विभाग ने किसानों को सावधान बरतने की अपील की है.

उन्होंने बताया कि उक्त कीड़ों से अपने फसल को बचाने के लिए खेत का नियमित सर्वेक्षण करें. यदि खेत में 5 प्रतिशत से अधिक पौधों पर फाल आर्मी वोर्म नामक कीड़े का प्रकोप पाया जाता है, तो इसके नियंत्रण के लिए उपाय समय पर शुरू कर दें.

सबसे पहले खेत की मिट्टी,रेतव राख से ग्रसित पौधों के सबसे उपरी पत्ते व मध्य छल्ले में भरें और यदि उसके बाद बारिश न हो तो पानी भर दें. ऐसा करने से सुंडियां मर जाएगी. खेत में प्रकाश प्रपंच और फेरोमोन ट्रैप स्थापित करें.

अजैविक कीटनाशकों जैसे बीटी (2 ग्राम प्रति लीटर पानी) नीम आधारित कीटनाशकों (2 मिली लीटर प्रति लीटर पानी), फफूंद आधारित कीटनाशकों मेटारहीजीयम (5 ग्राम प्रति लीटर पानी) आदि का उपयोग करें.

न हो प्रकोप खत्म, तो फिर ये करें अंतिम काम

कृषि विभाग के अनुसार मक्की की फसल में परजीवियों जैसे ट्राइकोग्रामा, कोटेशिया, टेलीनोमस आदि की संख्या बढ़ाने हेतु प्रयोगशाला में तैयार परजीवियों के अंडे छोड़ें. यदि इन उपायों के बावजूद फाल आर्मी वोर्म का प्रकोप कम नहीं होता है तो अंतिम उपाय के रूप में रसायनों जैसे स्पाईनोसैड (0.3 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी), कलोरनट्रेनिलिमोल (0.3 मिली मीटर प्रति लीटर पानी) एमाबेक्टीन बेन्जोएट (0.4 ग्राम प्रति लीटर पानी) धायोडीका (2 ग्राम प्रति लीटर पानी), फ्लूबेंडामाइड (0.3 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी या थाओमियेक्सोन लेम्ब्डा साईं हेलोप्रिन (0.25 मिली लीटर प्रति लीटर पानी में मिला कर ग्रसित पौधों के सबसे उपरी पत्ते व मध्य छल्ले में भरें.

अगले वर्ष ये भी करें उपाय

कृषि विभाग के अनुसार अगले वर्ष मक्की की फसल के साथ उड़द, लोबिया इत्यादि दाल की फसल अवश्य लगाएं, क्योंकि ऐसी मिश्रित फसल में फाल आर्मी वोर्म कीड़े का प्रकोप कम होता है और मक्की की फसल का नत्रजन दलहन फसल से मुफ्त में प्राप्त होती है. बता दें कि सिरमौर जिला में लगभग 24 हजार हेक्टेयर भूमि पर मक्की की खेती की जाती है, जिससे लगभग 58 हजार 750 मीट्रिक टन उत्पादन प्राप्त होता है.

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