शिमला: हिमाचल प्रदेश बेशक छोटा राज्य है, लेकिन दूध उत्पादन में इसकी छलांग बहुत बड़ी है. हिमाचल प्रदेश में हर व्यक्ति के हिस्से रोजाना 650 मिलीलीटर दूध आता है. अच्छी बात यह है कि ये औसत राष्ट्रीय औसत से अधिक है. राष्ट्रीय औसत प्रति व्यक्ति 423 मिलीलीटर है. हिमाचल में नब्बे फीसदी आबादी ग्रामीण इलाकों में रहती है और लोग पशुपालन से जुड़े हैं. यही कारण है कि हिमाचल में दूध उत्पादन का आंकड़ा अच्छा है. आंकड़ों की बात करें तो राज्य ने एक दशक में दूध उत्पादन ने लंबी छलांग लगाई है.
हिमाचल में दुग्ध उत्पादन: हिमाचल प्रदेश विधानसभा में पेश आर्थिक सर्वे की रिपोर्ट बताती है कि वित्त वर्ष 2012-13 में हिमाचल प्रदेश का कुल दूध उत्पादन 11.39 लाख मीट्रिक टन था. ताजा आंकड़ों के अनुसार अब 2022-23 में ये उत्पादन 16.54 लाख मीट्रिक टन हो गया है. हिमाचल में प्रति व्यक्ति हर रोज दूध की उपलब्धता 650 मिलीलीटर हो गई है. वर्ष 2013 में यानी एक दशक पहले ये उपलब्धता 455 मिलीलीटर प्रति व्यक्ति रोजाना थी. प्राप्त जानकारी के मुताबिक इस समय देश में प्रति व्यक्ति दूध की जो उपलब्धता है, हिमाचल में एक दशक पहले भी उससे अधिक दूध हर निवासी के हिस्से आता था. एक दशक में हिमाचल में दूध की प्रति व्यक्ति उपलब्धता 200 मिलीलीटर बढ़ी है. ये प्रदेश के लिए बेहतरीन आंकड़ा है.
हिमाचल में आई पशुधन में कमी: हिमाचल प्रदेश में ग्रामीण सबसे अधिक गाय को पालते हैं. राज्य में गाय के दूध का उत्पादन सबसे अधिक हो रहा है. देवभूमि के दूध उत्पादन में 70 फीसदी हिस्सा गाय के दूध का है. इसके अलावा भैंस के दूध का हिस्सा 27 प्रतिशत है. आंकड़ों के अनुसार हिमाचल प्रदेश में मौजूदा समय में कुल पशुधन 57.55 लाख है. मौजूदा लिहाज से पशुधन में पहले के मुकाबले कमी आई है. वर्ष 2012 से 2019 में ये पशुधन 59.48 लाख था. इसमें अब 3.24 प्रतिशत की कमी है. राज्य में हिमाचल प्रदेश मिल्कफेड नामक एजेंसी दूध खरीद करती है. ये एजेंसी दूध उत्पादन में लगे ग्रामीणों को कई सुविधाएं प्रदान कर रही है.
हिमाचल में पशुधन GVP में दूध का प्रतिशत: हिमाचल प्रदेश में मिल्कफेड के तहत 1097 दूध उत्पादक समितियां आती हैं. इस समय समितियों के सदस्यों की संख्या 46,973 है. राज्य में मिल्क के लिए इस समय 22 चिलिंग प्लांट काम कर रहे हैं. सबसे अधिक दूध का उत्पादन जिला मंडी व कांगड़ा में होता है. इसके अलावा देखें तो राज्य में पशुधन से ग्रॉस वैल्यू प्रोडक्शन लगातार बढ़ रहा है. वित्त वर्ष 2022-23 में ये 6,793 करोड़ की आय हुई है. इस जीवीपी (ग्रॉस वैल्यू प्रोडक्शन) मे 93 फीसदी से अधिक हिस्सा दूध का है. इसमें दूध से 6,324 करोड़, गोबर से 118 करोड़ व ऊन, मांस तथा अन्य से बाकी हिस्सा आता है. हिमाचल प्रदेश में प्रतिदिन अधिकतम 19 लाख मीट्रिक टन दूध की जरूरत है. जिस तरह से सरकार दूध उत्पादन को प्रोत्साहित कर रही है, आशा है जल्दी ही हिमाचल दूध की उपलब्धता के मामले में आत्मनिर्भर हो जाएगा.
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