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श्रम कानूनों में बदलाव व किसान विरोधी अध्यादेशों के खिलाफ मजदूरों-किसानों का धरना

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Published : Sep 6, 2020, 7:59 AM IST

सीटू, खेत मजदूर यूनियन व अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय आह्वान पर श्रम कानूनों में बदलाव, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को बेचने व किसान विरोधी अध्यादेशों के खिलाफ हिमाचल प्रदेश के ग्यारह जिलों के हजारों मजदूरों व किसानों ने अपने कार्यस्थलों, ब्लॉक व जिला मुख्यालयों पर केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किए.

kisan sabha protest shimla
शिमला में किसान सभा का प्रदर्शन

शिमला: सीटू व हिमाचल किसान सभा के आह्वान पर केंद्र व राज्य सरकारों की मजदूर व किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ हिमाचल प्रदेश के ग्यारह जिलों के हजारों मजदूरों व किसानों ने अपने कार्यस्थलों, ब्लॉक व जिला मुख्यालयों पर केंद्र सरकार की मजदूर व किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन किए.

शिमला में डीसी ऑफिस पर हुए प्रदर्शन में हिमाचल किसान सभा के प्रदेशाध्यक्ष डॉय कुलदीप सिंह तंवर, सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा, सीटू प्रदेश उपाध्यक्ष जगत राम, जिला महासचिव अजय दुलटा, हिमाचल किसान सभा जिलाध्यक्ष सत्यवान पुंडीर, जनवादी महिला समिति की प्रदेश अध्यक्ष डॉ. रीना सिंह तंवर और अन्य कार्यकर्ता मौजूद रहे.

प्रदेश भर में हुए प्रदर्शनों में श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी परिवर्तन की प्रक्रिया पर रोक लगाने, मजदूरों का वेतन 21 हजार रुपये घोषित करने, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को बेचने पर रोक लगाने, किसान विरोधी अध्यादेशों को वापिस लेने, मजदूरों को कोरोना काल के पांच महीनों का वेतन देने, उनकी छंटनी पर रोक लगाने.

किसानों की फसलों का उचित दाम देने, कर्जा मुक्ति, मनरेगा के तहत दो सौ दिन का रोजगार, कॉरपोरेट खेती पर रोक लगाने, आंगनबाड़ी, मिड-डे मील व आशा वर्करज को नियमित कर्मचारी घोषित करने, फिक्स टर्म रोजगार पर रोक लगाने, हर व्यक्ति को महीने का दस किलो मुफ्त राशन देने व 7500 रुपये देने की मांग की गई.

वीडियो.

सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा ने केंद्र व प्रदेश सरकारों को चेताया है कि वह मजदूर व किसान विरोधी कदमों से हाथ पीछे खींचें अन्यथा मजदूर व किसान आंदोलन तेज होगा. उन्होंने कहा है कि कोरोना महामारी के इस संकट काल को भी शासक वर्ग व सरकारें मजदूरों व किसानों का खून चूसने व उनके शोषण को तेज करने के लिए इस्तेमाल कर रही हैं.

हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, महाराष्ट्र, राजस्थान में श्रम कानूनों में बदलाव इसी प्रक्रिया का हिस्सा है. केंद्र सरकार द्वारा 3 जून 2020 को कृषि उपज, वाणिज्य एवम व्यापार (संवर्धन एवम सुविधा) अध्यादेश 2020, मूल्य आश्वासन (बन्दोबस्ती और सुरक्षा) समझौता कृषि सेवा अध्यादेश 2020 व आवश्यक वस्तु अधिनियम (संशोधन) 2020 आदि तीन किसान विरोधी अध्यादेश जारी करके किसानों का गला घोंटने का कार्य किया गया है.

उन्होंने कहा कि ठेका मजदूर अधिनियम 1970 में बदलाव से हजारों ठेका मजदूर श्रम कानूनों के दायरे से बाहर हो जाएंगे. औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 में परिवर्तन से जहां एक ओर अपनी मांगों को लेकर की जाने वाली मजदूरों की हड़ताल पर अंकुश लगेगा, वहीं दूसरी ओर मजदूरों की छंटनी की पक्रिया आसान हो जाएगी व उन्हें छंटनी भत्ता से भी वंचित होना पड़ेगा.

तालाबंदी, छंटनी व ले-ऑफ की प्रक्रिया भी मालिकों के पक्ष में हो जाएगी. मॉडल स्टेंडिंग ऑर्डरज़ में तब्दीली करके फिक्स टर्म रोज़गार को लागू करने व मेंटेनेंस ऑफ रिकॉर्डज को कमजोर करने से श्रमिकों की पूरी सामाजिक सुरक्षा खत्म हो जाएगी.

उन्होंने मजदूर व किसान विरोधी कदमों व श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी बदलावों पर रोक लगाने की मांग की है. उन्होंने सरकार को चेताया है कि अगर पूंजीपतियों, नैगमिक घरानों व उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाकर मजदूरों-किसानों के शोषण को रोका न गया तो मजदूर-किसान सड़कों पर उतरकर सरकार का प्रतिरोध करेंगे.

उन्होंने मांग की है कि केंद्र सरकार कोरोना काल में सभी किसानों का रबी फसल का कर्ज माफ करे व खरीफ फसल के लिए केसीसी जारी करे. किसानों की पूर्ण कर्ज़ माफी की जाए. किसानों को फसल का सी-2 लागत से 50 फीसद अधिक दाम दिया जाए. किसानों के लिए 'वन नेशन-वन मार्किट' नहीं बल्कि 'वन नेशन-वन एमएसपी' की नीति लागू की जाए.

रामपुर में भी किया गया प्रदर्शन

सीटू, खेत मजदूर यूनियन व अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय आह्वान पर श्रम कानूनों में बदलाव, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को बेचने व किसान विरोधी अध्यादेशों के खिलाफ रामपुर और निरमण्ड के विभिन्न क्षेत्रों में रामपुर, झाकड़ी, निरमण्ड, ज्यूरी, बायल, नाथपा, कोटागाड़, बिथल, दत्तनगर, कोटला आदि अनेक स्थानों में 'मजदूर किसान प्रतिरोध दिवस' मनाया गया.

kisan sabha protest shimla
रामपुर में प्रदर्शन करते किसान सभा और सीटू.

क्षेत्र के सैंकड़ों मजदूरों व किसानों ने अपने कार्यस्थल व सड़कों पर उतरकर केंद्र व राज्य सरकार की मजदूर व किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ आंदोलन किया. इस दौरान हुए सीटू के जिलाध्यक्ष कुलदीप सिंह, सीटू राज्य उपाध्यक्ष बिहारी सेवगी, नरेंद्र देष्टा, नीलदत्त, रिंकू राम, मोहित किसान सभा जिला सचिव देवकी नंद, पूरण, दिनेश मेहता आदि वक्ताओं ने केंद्र व प्रदेश सरकारों को चेताया है कि वह मजदूर व किसान विरोधी कदमों से हाथ पीछे खींचें अन्यथा मजदूर व किसान आंदोलन तेज होगा.

शिमला: सीटू व हिमाचल किसान सभा के आह्वान पर केंद्र व राज्य सरकारों की मजदूर व किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ हिमाचल प्रदेश के ग्यारह जिलों के हजारों मजदूरों व किसानों ने अपने कार्यस्थलों, ब्लॉक व जिला मुख्यालयों पर केंद्र सरकार की मजदूर व किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन किए.

शिमला में डीसी ऑफिस पर हुए प्रदर्शन में हिमाचल किसान सभा के प्रदेशाध्यक्ष डॉय कुलदीप सिंह तंवर, सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा, सीटू प्रदेश उपाध्यक्ष जगत राम, जिला महासचिव अजय दुलटा, हिमाचल किसान सभा जिलाध्यक्ष सत्यवान पुंडीर, जनवादी महिला समिति की प्रदेश अध्यक्ष डॉ. रीना सिंह तंवर और अन्य कार्यकर्ता मौजूद रहे.

प्रदेश भर में हुए प्रदर्शनों में श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी परिवर्तन की प्रक्रिया पर रोक लगाने, मजदूरों का वेतन 21 हजार रुपये घोषित करने, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को बेचने पर रोक लगाने, किसान विरोधी अध्यादेशों को वापिस लेने, मजदूरों को कोरोना काल के पांच महीनों का वेतन देने, उनकी छंटनी पर रोक लगाने.

किसानों की फसलों का उचित दाम देने, कर्जा मुक्ति, मनरेगा के तहत दो सौ दिन का रोजगार, कॉरपोरेट खेती पर रोक लगाने, आंगनबाड़ी, मिड-डे मील व आशा वर्करज को नियमित कर्मचारी घोषित करने, फिक्स टर्म रोजगार पर रोक लगाने, हर व्यक्ति को महीने का दस किलो मुफ्त राशन देने व 7500 रुपये देने की मांग की गई.

वीडियो.

सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा ने केंद्र व प्रदेश सरकारों को चेताया है कि वह मजदूर व किसान विरोधी कदमों से हाथ पीछे खींचें अन्यथा मजदूर व किसान आंदोलन तेज होगा. उन्होंने कहा है कि कोरोना महामारी के इस संकट काल को भी शासक वर्ग व सरकारें मजदूरों व किसानों का खून चूसने व उनके शोषण को तेज करने के लिए इस्तेमाल कर रही हैं.

हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, महाराष्ट्र, राजस्थान में श्रम कानूनों में बदलाव इसी प्रक्रिया का हिस्सा है. केंद्र सरकार द्वारा 3 जून 2020 को कृषि उपज, वाणिज्य एवम व्यापार (संवर्धन एवम सुविधा) अध्यादेश 2020, मूल्य आश्वासन (बन्दोबस्ती और सुरक्षा) समझौता कृषि सेवा अध्यादेश 2020 व आवश्यक वस्तु अधिनियम (संशोधन) 2020 आदि तीन किसान विरोधी अध्यादेश जारी करके किसानों का गला घोंटने का कार्य किया गया है.

उन्होंने कहा कि ठेका मजदूर अधिनियम 1970 में बदलाव से हजारों ठेका मजदूर श्रम कानूनों के दायरे से बाहर हो जाएंगे. औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 में परिवर्तन से जहां एक ओर अपनी मांगों को लेकर की जाने वाली मजदूरों की हड़ताल पर अंकुश लगेगा, वहीं दूसरी ओर मजदूरों की छंटनी की पक्रिया आसान हो जाएगी व उन्हें छंटनी भत्ता से भी वंचित होना पड़ेगा.

तालाबंदी, छंटनी व ले-ऑफ की प्रक्रिया भी मालिकों के पक्ष में हो जाएगी. मॉडल स्टेंडिंग ऑर्डरज़ में तब्दीली करके फिक्स टर्म रोज़गार को लागू करने व मेंटेनेंस ऑफ रिकॉर्डज को कमजोर करने से श्रमिकों की पूरी सामाजिक सुरक्षा खत्म हो जाएगी.

उन्होंने मजदूर व किसान विरोधी कदमों व श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी बदलावों पर रोक लगाने की मांग की है. उन्होंने सरकार को चेताया है कि अगर पूंजीपतियों, नैगमिक घरानों व उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाकर मजदूरों-किसानों के शोषण को रोका न गया तो मजदूर-किसान सड़कों पर उतरकर सरकार का प्रतिरोध करेंगे.

उन्होंने मांग की है कि केंद्र सरकार कोरोना काल में सभी किसानों का रबी फसल का कर्ज माफ करे व खरीफ फसल के लिए केसीसी जारी करे. किसानों की पूर्ण कर्ज़ माफी की जाए. किसानों को फसल का सी-2 लागत से 50 फीसद अधिक दाम दिया जाए. किसानों के लिए 'वन नेशन-वन मार्किट' नहीं बल्कि 'वन नेशन-वन एमएसपी' की नीति लागू की जाए.

रामपुर में भी किया गया प्रदर्शन

सीटू, खेत मजदूर यूनियन व अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय आह्वान पर श्रम कानूनों में बदलाव, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को बेचने व किसान विरोधी अध्यादेशों के खिलाफ रामपुर और निरमण्ड के विभिन्न क्षेत्रों में रामपुर, झाकड़ी, निरमण्ड, ज्यूरी, बायल, नाथपा, कोटागाड़, बिथल, दत्तनगर, कोटला आदि अनेक स्थानों में 'मजदूर किसान प्रतिरोध दिवस' मनाया गया.

kisan sabha protest shimla
रामपुर में प्रदर्शन करते किसान सभा और सीटू.

क्षेत्र के सैंकड़ों मजदूरों व किसानों ने अपने कार्यस्थल व सड़कों पर उतरकर केंद्र व राज्य सरकार की मजदूर व किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ आंदोलन किया. इस दौरान हुए सीटू के जिलाध्यक्ष कुलदीप सिंह, सीटू राज्य उपाध्यक्ष बिहारी सेवगी, नरेंद्र देष्टा, नीलदत्त, रिंकू राम, मोहित किसान सभा जिला सचिव देवकी नंद, पूरण, दिनेश मेहता आदि वक्ताओं ने केंद्र व प्रदेश सरकारों को चेताया है कि वह मजदूर व किसान विरोधी कदमों से हाथ पीछे खींचें अन्यथा मजदूर व किसान आंदोलन तेज होगा.

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