शिमला: जिले के लोग मटमैला पानी पीने को मजबूर हैं. गिरि परियोजना में गाद आने से पानी बिलकुल मटमैला हो गया है, जिससे बीमारियों के फैलने का खतरा भी बढ़ गया है. मटमैले पानी ने नगर निगम की चिंता भी बढ़ा दी है. नगर निगम इसके लिए नदियों के किनारे लोकनिर्माण विभाग द्वारा की जा रही डंपिंग को जिम्मेवार ठहरा रहा है.
बता दें कि शुक्रवार को नगर निगम की महापौर ने आधिकारियों के साथ गिरि परियोजना का दौरा किया और परियोजनाओं में पानी का जायजा भी लिया. इस दौरान पाया गया कि गिरि परियोजना में मिट्टी वाले पानी की पंपिंग की जा रही है और वहीं पानी शहर में लोगों के घरों तक पहुंच रहा है. गाद आने से परियोजनाओं में पंपिंग भी नहीं हो रही हैं.
नगर निगम की महापौर कुसुम सदरेट का कहना है कि डंपिंग साइट से सारी मिट्टी नदी में आ रही है, जो कि परियोजना तक पहुंच रही है. उन्होंने कहा कि इससे पानी मटमैला हो गया है और पानी में काफी गाद जमा हो गई है, जिससे पानी लिफ्ट नहीं हो रहा है.
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सदरेट ने कहा कि पंप से मेला पानी ही आ रहा है, जिससे बीमारियों का खतरा भी पैदा हो सकता है. उन्होंने कहा की गाद आने से पानी की सप्लाई आधी हो गई है. उन्होंने कहा कि गिरि परियोजना से जहां 20 एमएलडी पानी की सप्लाई होती थी वो अब सात एमएलडी तक पहुंच गई है. इसी तरह अन्य परियोजनाओं में भी पानी कम लिफ्ट हो रहा है.
महापौर ने कहा कि लोकनिर्माण विभाग द्वारा जगह-जगह मलबे की डंपिंग की गई है, जोकि बरसात में अब नदी में मिल रहा है और परियोजना में मिल रहा है. उन्होंने कहा कि इसको लेकर उपायुक्त को अवगत करवाया जाएगा ताकि परियोजना में गाद न आए और शहरवासियों को गंदा पानी पीने को न मिले.
बता दें कि बरसात में हर साल परियोजनाओं में गाद आ जाने से पंपिंग नहीं हो पाती है. इस बार भी परियोजनाओं में काफी गाद आ गई है, जिससे शहर में पानी का संकट पैदा हो गया है. शहर में एक दिन छोड़ कर पानी की सप्लाई हो रही है. पानी भी लोगो को गंदा मिल रहा है. मिट्टी पानी से मिलने से बीमारियों का खतरा भी बढ़ गया है.
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