शिमला: बच्चों के पेट में पाए जाने वाले कृमि संक्रमण को कम करने और इस दिशा में बेहतर करने पर हिमाचल प्रदेश ने न केवल देश में बल्कि विश्व भर में प्रथम स्थान प्राप्त किया है. ये जानकारी स्वास्थ्य मंत्री विपिन परमार ने दी है.
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि पैरासिटिक वॉर्मज और सॉलिड-ट्रांसमिटेड हेल्मिन्थ (एसटीएच) फॉलो-अप सर्वेक्षण के अनुसार हिमाचल प्रदेश ने विश्व भर में प्रथम स्थान प्राप्त किया है. प्रदेश में 1-19 आयु वर्ग के सभी बच्चों में अनुमानित न्यूनतम 0.3 प्रतिशत वॉर्मज () पाए गए.
स्वास्थ्य मंत्री ने एसटीएच फॉलो-अप सर्वेक्षण की रिपोर्ट और निष्कर्षों की जानकारी प्रदान करने के लिए आयोजित समारोह के दौरान डिवॉर्मिंग कार्यक्रम से जुड़े स्वास्थ्य, शिक्षा, महिला एवं बाल विकास, शहरी विकास तथा ग्रामीण विकास विभाग जैसे अन्य विभागों को इस उपलब्धि के लिए बधाई दी.
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परमार ने कहा कि सभी सम्बद्ध विभागों के भरसक प्रयासों के कारण ही प्रदेश में मिशन मोड पर डिवॉर्मिंग अभियान आयोजित किया गया. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय डिवॉर्मिंग कार्यक्रम वर्ष 2015 के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व और केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा के कार्यकाल के दौरान शुरू किया गया था.
उन्होंने कहा कि एक अन्य महत्वाकांक्षी योजना 'आयुष्मान भारत राष्ट्रीय स्वास्थ्य योजना' जो विश्व की सबसे बड़ी सरकारी स्वास्थ्य योजना है, को भी गत वर्ष शहरी और ग्रामीण गरीब परिवारों को स्वास्थ्य देखभाल सुविधाएं प्रदान करने के लिए शुरू किया गया.
विपिन परमार ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के स्वास्थ्य मानक राष्ट्रीय मानकों से कहीं बेहतर है और प्रदेश सरकार सुधार करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है. उन्होंने कहा कि यह एक निरन्तर प्रक्रिया है और स्वास्थ्य अधोसंरचना में और सुधार लाने के लिए स्वास्थ्य कार्यक्रमों में लोगों को शामिल करने के प्रयास किए जा रहे हैं साथ ही स्वास्थ्य क्षेत्र का बजट भी बढ़ाया गया है.
विशेष सचिव स्वास्थ्य एवं मिशन निदेशक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) डॉ. निपुण जिंदल ने हिमाचल में डिवार्मिंग कार्यक्रम की सम्पूर्ण जानकारी दी. उन्होंने कहा कि हिमाचल इस कार्यक्रम को अपनाने वाले पहले कुछ प्रदेशों में शामिल है.
उन्होंने कहा कि 1 मई, 2019 को 1-19 वर्ष आयुवर्ग के सभी सरकारी और निजी स्कूलों के विद्यार्थियों, शेष छात्रों और आंगनवाड़ी के विद्यार्थियों को एलबेंडाजॉल दवाई दी गई है. उन्होंने कहा कि प्रदेशभर के 98 प्रतिशत बच्चों को डिवॉर्मिंग की दवाई दी गई है.