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इस परिवार तक नहीं पहुंची कोई सरकारी योजना, गरीबी और बेबसी में जीवन जीने को मजबूर विधवा महिला - प्रधानमंत्री आवास योजना

ठियोग के अंतर्गत आने वाली क्यार पंचायत के गांव चलावनी की में एक ऐसी दुखियारी महिला है जो पिछले 15 सालों से रोज घुट-घुट कर जीने को विवश है. हैरत होती है उन तमाम सरकारी दावों और खोखले वादों को सुनकर जो हरदम महिलाओं के सशक्तिकरण की बातें करते हैं.

widow woman have no government benefits
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Published : Jun 29, 2019, 2:34 PM IST

Updated : Jun 29, 2019, 3:28 PM IST

ठियोगः देवभूमि में आज भी कई लोग गरीबी और बेबसी में जीवन जीने को मजबूर हैं. प्रधानमंत्री मोदी के सपनों के भारत को साकार करने के दावे प्रदेश में फिसड्डी साबित हो रहे हैं. आज भी विधवा महिलाओं को बेहतर सुविधाएं देने के दावे खोखले साबित हो रहे हैं.

widow woman have no government benefits
सत्या देवी का घर

ठियोग के अंतर्गत आने वाली क्यार पंचायत के गांव चलावनी में एक ऐसी दुखियारी महिला है जो पिछले 15 सालों से रोज घुट-घुट कर जीने को विवश है. हैरत होती है उन तमाम सरकारी दावों और खोखले वादों को सुनकर जो हरदम महिलाओं के सशक्तिकरण की बातें करते हैं.

सत्या देवी अपने चार बच्चों के साथ ठियोग के अंतर्गत आने वाली क्यार पंचायत के गांव चलावनी में रहती हैं. सभी सरकारी सुविधाओं से वंचित सत्या देवी के पति को गुजरे हुए 15 साल हो गए हैं. पति के मरने के बाद उनपर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है.

widow woman have no government benefits
सत्या देवी का घर

बेहद मुश्किल हालात में जिंदगी बसर कर रही सत्या देवी के घर की छत किसी बड़े हादसे को न्यौता दे रही रही है. घर की छत बेहद खस्ताहाल में है. सत्या देवी के घर पर आसमान का पानी सीधा अंदर घुस जाता है. घर मे रखे कपड़े और खाने का सामान सब पानी-पानी हो जाता है.

widow woman have no government benefits
सत्या देवी और उनकी बेटी

हैरानी की बात ये है कि पंचायत प्रतिनिधि इतने सालों में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत इनको पक्का मकान भी नहीं दिलवा पाए. पंचायत में लाखों-करोड़ों का बजट सरकार देती है लेकिन जनप्रतिनिधि भी गरीबों को सुविधाएं मुहैया करवाने में असफल रहे हैं. लोगों का आरोप है कि पंचायत प्रधान केवल गिने चुने लोगों के काम करते हैं.

सत्या देवी चार फुट के एक छोटे से कमरे में रहती हैं और कमरे में खाना पीना और सोना सबकुछ होता है. एक बेटी की शादी उनके रिश्तेदारों की मदद से हो गई. मजदूरी कर सत्या देवी दो बेटी और एक बेटा का पालन-पोषण कर रही हैं.

स्पेशल रिपोर्ट

उनकी एक बेटी सिसक-सिसक कर कहती है कि मेरे पापा नहीं हैं, हम बेरोजगार हैं, हमारी कोई नहीं सुनता है. हम तीन बहनें, एक भाई और हमारी मां है जो खण्डहर बन चुके इस घर में रहने को मजबूर है. यहीं खाना बनता है और यहीं पढ़ाई होती है. बारिश के दिनों में स्कूल की किताबें और वर्दी भींग जाती है. ऐसे में कैसे पढ़ाई होगी. स्कूल में टीचर भी हमें डांटते हैं लेकिन हमारे दुख को कोई भी नहीं समझता.

क्यार पंचायत के प्रतिनिधि से जब ईटीवी भारत के संवाददाता ने इस महिला के बारे में जानने की कोशिश की तो ग्राम पंचायत के कार्यालय में हमें ताले लटके नजर आए. पंचायत प्रधान शिमला की सैर पर थीं और जैसे ही हमारी टीम के पहुंचने की भनक पंचायत प्रतिनिधियों को मिली तो सबके मोबाइल फोन बंद हो गए.

मामला उछलता देख आखिरकार पंचायत प्रधान सुशीला देवी से हमारी बात हुई तो उन्होंने कहा कि सत्या देवी के घर का मामला हमारे पास प्रथमिकता के आधार पर है. पंचायत सत्या देवी को मकान उपलब्ध करवाएगी. उन्होंने कहा कि सत्या देवी की मदद के लिए हर सम्भव प्रयास किए जाएंगे.

ठियोगः देवभूमि में आज भी कई लोग गरीबी और बेबसी में जीवन जीने को मजबूर हैं. प्रधानमंत्री मोदी के सपनों के भारत को साकार करने के दावे प्रदेश में फिसड्डी साबित हो रहे हैं. आज भी विधवा महिलाओं को बेहतर सुविधाएं देने के दावे खोखले साबित हो रहे हैं.

widow woman have no government benefits
सत्या देवी का घर

ठियोग के अंतर्गत आने वाली क्यार पंचायत के गांव चलावनी में एक ऐसी दुखियारी महिला है जो पिछले 15 सालों से रोज घुट-घुट कर जीने को विवश है. हैरत होती है उन तमाम सरकारी दावों और खोखले वादों को सुनकर जो हरदम महिलाओं के सशक्तिकरण की बातें करते हैं.

सत्या देवी अपने चार बच्चों के साथ ठियोग के अंतर्गत आने वाली क्यार पंचायत के गांव चलावनी में रहती हैं. सभी सरकारी सुविधाओं से वंचित सत्या देवी के पति को गुजरे हुए 15 साल हो गए हैं. पति के मरने के बाद उनपर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है.

widow woman have no government benefits
सत्या देवी का घर

बेहद मुश्किल हालात में जिंदगी बसर कर रही सत्या देवी के घर की छत किसी बड़े हादसे को न्यौता दे रही रही है. घर की छत बेहद खस्ताहाल में है. सत्या देवी के घर पर आसमान का पानी सीधा अंदर घुस जाता है. घर मे रखे कपड़े और खाने का सामान सब पानी-पानी हो जाता है.

widow woman have no government benefits
सत्या देवी और उनकी बेटी

हैरानी की बात ये है कि पंचायत प्रतिनिधि इतने सालों में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत इनको पक्का मकान भी नहीं दिलवा पाए. पंचायत में लाखों-करोड़ों का बजट सरकार देती है लेकिन जनप्रतिनिधि भी गरीबों को सुविधाएं मुहैया करवाने में असफल रहे हैं. लोगों का आरोप है कि पंचायत प्रधान केवल गिने चुने लोगों के काम करते हैं.

सत्या देवी चार फुट के एक छोटे से कमरे में रहती हैं और कमरे में खाना पीना और सोना सबकुछ होता है. एक बेटी की शादी उनके रिश्तेदारों की मदद से हो गई. मजदूरी कर सत्या देवी दो बेटी और एक बेटा का पालन-पोषण कर रही हैं.

स्पेशल रिपोर्ट

उनकी एक बेटी सिसक-सिसक कर कहती है कि मेरे पापा नहीं हैं, हम बेरोजगार हैं, हमारी कोई नहीं सुनता है. हम तीन बहनें, एक भाई और हमारी मां है जो खण्डहर बन चुके इस घर में रहने को मजबूर है. यहीं खाना बनता है और यहीं पढ़ाई होती है. बारिश के दिनों में स्कूल की किताबें और वर्दी भींग जाती है. ऐसे में कैसे पढ़ाई होगी. स्कूल में टीचर भी हमें डांटते हैं लेकिन हमारे दुख को कोई भी नहीं समझता.

क्यार पंचायत के प्रतिनिधि से जब ईटीवी भारत के संवाददाता ने इस महिला के बारे में जानने की कोशिश की तो ग्राम पंचायत के कार्यालय में हमें ताले लटके नजर आए. पंचायत प्रधान शिमला की सैर पर थीं और जैसे ही हमारी टीम के पहुंचने की भनक पंचायत प्रतिनिधियों को मिली तो सबके मोबाइल फोन बंद हो गए.

मामला उछलता देख आखिरकार पंचायत प्रधान सुशीला देवी से हमारी बात हुई तो उन्होंने कहा कि सत्या देवी के घर का मामला हमारे पास प्रथमिकता के आधार पर है. पंचायत सत्या देवी को मकान उपलब्ध करवाएगी. उन्होंने कहा कि सत्या देवी की मदद के लिए हर सम्भव प्रयास किए जाएंगे.


---------- Forwarded message ---------
From: Suresh Sharma <journalist.suresh86@gmail.com>
Date: Fri, Jun 28, 2019, 12:31 PM
Subject: सत्या देवी पर पहाड़ जैसी मुसीबत।
To: <rajneeshkumar@etvbharat.com>


एंकर--ठियोग की क्यार पंचायत में विधवा महिला सत्या देवी खण्डहर से घर मे जीने को मजबूर।पंचायत और प्रदेश सरकार की अनदेखी से तीन बच्चों का पालन करना हुआ मुश्किल।घर गिरने से कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा।पंचायत प्रधान ओर प्रशासन बना हुआ है मूकदर्शक।
hp_sml_no_roof_pkg_28_6_19_suresh

स्टोरी---प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और उनके प्रदेश में आज भी गरीबी और बेबसी से लोगों का जीना मुहाल है।प्रधानमंत्री मोदी के सपनो के भारत को साकार करने के दावे प्रदेश में फिस्सडी साबित हो रहे हैं।आज भी विधवा महिलाओं को बेहतर सुविधाएं देने के दावे खोखले साबित हो रहे है।

वी ओ --आज हम आपको एक ऐसी दुखियारी महिला की दास्तान सुनाने वाले है। जो पिछले 15 सालों से रोज घुट घुट कर मरने को विवश है। हैरत होती है तमाम सरकारी दावों ओर खोखले वादों की जो हरदम महिलाओं के सशक्तिकरण की बातें करते है।जी हाँ हम बात कर रहे है ठियोग के अंतर्गत आने वाली क्यार पंचायत के गांव चलावनी की जंहा पिछले कई सालों से सत्या देवी अपने चार बच्चों के साथ जिंदगी का कांटो भरा सफर जी रही है।सभी सरकारी सुविधाओं से वंचित सत्या देवी के पति को मरे 15 साल हो गए।ओर पति के मरने के बाद जैसे उनके उपर मुसीबतों का पहाड़ टूट गया।तबसे जिंदगी ने ऐसी करवट आसमान टूट पड़ा एक खण्डहर से भी बद्दतर घर मे जिंदगी काट रही सत्या देवी की दास्तान पर दिल पसीज जाता है।

बाईट,,, सत्या देवी

वी ओ---बेहत मुश्किल हालात में जिंदगी बसर कर रही सत्या देवी के घर की छत किसी बड़े हादसे को न्योता दे रही रही है।घर की छत बेहत खस्ता हाल में है।ऐसे घर मे लोग पशु भी नही रहते जंहा आसमान का पानी सीधा अंदर घर मे घुस जाता है।घर मे रखे कपड़े और खाने का सामान सब पानी पानी हो जाता है।इर साथ मे अपने बच्चों का बचाव करने के साथ घर के गिरने का खतरा हरदम बना रहता है। हैरानी की बात ये है कि पंचायत प्रतिनिधि इतने सालों में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आज तक कोई प्रयास नही कर पाए इस दुखियारी महिला के लिए।सरकार आती है जाती है नेता और उनके चमचे केवल वोट मांगने आते है ओर झूठे वायदे कर फिर अगले चुनाव तक फिर भूल जाते है।पंचायत में लाखों करोड़ों का बजट सरकार देती है लेकिन जन प्रतिनिधि भी गरीबो की नही सुनते।मौजूदा पंचायत प्रधान को भी चार साल हो गए लेकिन किसी प्रकार की सुविधा इस महिला को दिलवाने में प्रधान फिस्सडी साबित हुई है। लोगों का आरोप है कि प्रधान केवल गिने चुने लोगों के काम करती है। केवल नाम ओर शोहरत के लिए प्रधान को चुना गया है।आज तक कभी जनता जे बीच जाकर प्रधान ने उनका दुख दर्द नही देखा। और न ही जनता की किसी समस्या को सरकार या सरकारी अधिकारियों तक पहुंचाया।

बाईट,,, सत्या देवी
बाईट,, स्थानीय लोग

वी ओ ---सत्य देवी चार फुट के एक छोटे से कमरे में रहती हैरानी होगी आपकी भी चार से छः फिट के कमरे में खाना पीना ऒर सोना सब होता है। एक बेटी की शादी उनके रिश्तेदारों ने करवा दी लेकिन वो मेहमानी नही आ सकती घर मे मेहमानों के बैठने ओर रहने की कोई जगह नही है।अब बेटी की याद माँ को आये या माँ अपनी बेटी से मिलना चाहे सब कोसो दूर है। घर मे दो और बेटी और एक बेटा है जिनके लिए मजदूरी कम कर सत्या देवी उनका पालन पोषण कर रही है।उनकी एक बेटी की पीड़ा आप भी सुनिए।कलेजा फट जाता है जब वो सिसक सिसक के कहती है मेरे पापा नही है हम बेरोजगार है हमारी कोई नही सुनता कोई सुनवाई नही करता।हम तीन बहने एक भाई और हमारी माँ है हम चार फुट के बने इस खण्डहर घर के कमरे में रहते है कुत्ता भी हमारे साथ सोता है यंही खाना बनता यंही पढ़ाई होती है।और मौत कब आ जाये इसका कोई भरोसा नही। स्कूल की किताबें भीग जाती है बारिश में वर्दी भी भीग जाती है ऐसे में कैसे पढ़ाई होगी स्कूल में टीचर भी डांटते है।लिकिन हमारे दुख को कोई भी नही समझता।कभी माँ बीमार हो जाती है और आलकल खुद बीमार होने से दिक्कत ज्यादा हो रही है।अपना दुख दर्द किसको सुनाए।

बाईट,,रेखा 

आपको बता दे कि क्यार पंचायत के प्रतिनिधि से जब हमने इस बारे में जानने की कोशीश की तो ग्राम पंचायत के कार्यलय में हमे ताले लटके मील प्रधान शिमला की सैर पर है।और जैसे ही हमारी टीम के पहुंचने की भनक पंचायत प्रतिनिधि यो को मिली सबके मोबाइल फोन बंद हो गए। लेकिन बरसात से पहले सत्या देवी की मदद सरकार ने नही की तो कोई भी बड़ा हादसा हो सकता है।


Last Updated : Jun 29, 2019, 3:28 PM IST
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