शिमला: कोरोना संक्रमण के कारण प्रदेश भर में कई फ्रंट लाइन वर्कर्स अपनी जान से हाथ धो बैठे हैं. वहीं, बीते महीने आईजीएमसी अस्पताल में भी एक नर्स की कोरेाना संक्रमण के कारण जान गई थी, लेकिन अब तक मृतक के परिवार को सरकार की ओर से काई राहत नहीं मिली है.
गौर रहे कि सरकार द्वारा कोरोना से मरने वाले कर्मचारियों को 50 लाख रुपये का इंश्योरेंस देने की पॉलिसी बनाई थी. वहीं, माकपा विधायक राकेश सिंघा ने बताया कि आईजीएमसी में संक्रमण से मरने वाली नर्स के परिवार को अब तक कोई जीवन बीमा का लाभ नहीं दिया गया है, जबकि एक महीना मौत को गुजर भी चुका है.
जल्द से जल्द नर्स के परिवार को राहत प्रदान की जाए
उन्होंने आईजीएमसी प्रिंसिपल डॉक्टर रजनीश पठानिया को ज्ञापन सौंपा और मांग की है कि जल्द से जल्द नर्स के परिवार को राहत प्रदान की जाए. जिससे कि अन्य कर्मचारियों को भी काम के दौरान किसी प्रकार की मानसिक तनाव न हो.
माकपा विधायक राकेश सिंघा ने बताया कि कोविड के समय काम करते हुए किसी भी कर्मचारी की मृत्यु होगी तो उन्हें 50 लाख का जीवन बीमा करवाया जाएगा. यह पॉलिसी केवल रेग्यूलर कर्मचारी के लिए ही नहीं बल्कि अन्य सभी कर्मचारियों के लिए है.
कर्मचारी चाहे वह आउस सोर्स पर हो, डेली या फिर सफाई कर्मचारी हो या कोई अन्य कर्मचारी यह सभी के लिए मान्य होगी. गौर रहे कि कोरोना काल में आशा वर्कर भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं. गांव-गांव में घर-घर जाकर वह लक्षण वाले लोगों की जांच कर रहे हैं, जिसमें ज्यादा संक्रमण का भी ज्यादा खतरा रहता है.
'परिवार को राहत नहीं मिलेगी तो उन्हें गलत संदेश जाएगा'
विधायक सिंघा ने बताया कि यदि कर्मचारियों के परिवार को राहत नहीं मिलेगी तो उन्हें गलत संदेश जाएगा. गौर रहे कि प्रिंसिपल आईजीएमसी को सीपीआईएम के आधार पर माकपा के सेक्रेटरी डॉ. ओमकार शाद के द्वारा मेमोरेंडम दिया गया.
उन्होंने अपील की है कि इस काम को जल्द से जल्द किया जाए. उन्होंने बताया कि सभी कागजात ऐजी ऑफिस में भेजे गए हैं, अब जल्द ही नर्स की शहादत को सम्मान दिया जाए. कर्मचारियों का परिवार यदि सुरक्षित रहेगा तो अन्य कर्मचारी भी काम करेंगे.
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