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VVIP तामझाम कम करने की तैयारी में सुखविंदर सरकार, SDM व ADM को नहीं मिलेगा PSO - वीवीआईपी तामझाम कम करेगी सुखविंदर सरकार

हिमाचल में एसडीएम और एडीएम को पीएसओ नहीं मिलेगा. सुखविंदर सरकार वीवीआईपी तामझाम को कम करने की कवायद में जुट गई है. वहीं, सीएम अपने काफिले का बेड़ा कम करने का भी संकेत दे चकुे हैं. (Sukhvinder government in preparation to reduce VVIP frills)

सुखविंदर सरकार
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Published : Mar 1, 2023, 11:59 AM IST

शिमला: हिमाचल में पूर्व की जयराम सरकार ने एचएएस अफसरों की मांग पर एसडीएम तथा एडीएम को निजी सुरक्षा अधिकारी (पीएसओ) देने का ऐलान किया था.मई 2022 में एचएएस अधिकारियों के एक अधिवेशन में तत्कालीन सीएम जयराम ठाकुर ने पीएसओ अटैच करने सहित रेंट फ्री आवास की सुविधा देने का वादा किया था. हालांकि ,इस बारे में कोई लिखित आदेश जारी नहीं हुए थे, लेकिन अब मौजूदा सरकार ऐसी कोई सुविधा नहीं देगी. सुखविंदर सरकार का कहना है कि एसडीएम व एडीएम को पीएसओ नहीं मिलेंगे. इतना ही नहीं सीएम का सुरक्षा बेड़ा भी कम किया जाएगा. इस बारे में सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने संबंधित विभाग व पुलिस प्रशासन को मौखिक निर्देश दिए हैं. हालांकि ,इस बारे में लिखित आदेश अभी भी प्रतीक्षित हैं.

अफसरों को पीएसओ देने पर सवाल उठते रहे: दरअसल, हिमाचल प्रदेश में वीवीआईपी सुरक्षा और विधायकों सहित अन्य अफसरों को पीएसओ देने पर सवाल उठते रहे हैं. कई विधायक स्वेच्छा से पीएसओ लेने से इनकार करते रहे हैं. खुद सीएम सुखविंदर सिंह जब विधायक थे तो वे भी पीएसओ नहीं लेते थे. माकपा के विधायक रहे राकेश सिंघा व अन्य कई विधायक अपनी इच्छा से पीएसओ लेने से मना करते रहे हैं. वर्तमान में भी मुख्यमंत्री के करीबी कांग्रेस नेताओं जैसे राजेश धर्माणी, सीपीएस संजय अवस्थी और विधायक विनोद सुल्तानपुरी ने पीएसओ नहीं लिया है.

72 पुलिस कर्मचारियों की जरूरत: राज्य के थानों में वैसे भी पुलिस कर्मियों की संख्या अपेक्षा के अनुरूप नहीं हैं. पूर्व सरकार के समय एचएएस अधिकारियों ने कहा था कि उन्हें फील्ड में कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. इस पर जयराम सरकार ने कहा था कि उन्हें पीएसओ दिए जाएंगे. हिमाचल में कुल 72 सब डिविजन हैं. इस तरह यदि एक एसडीएम को पीएसओ दिया जाए तो कुल 72 पुलिस कर्मचारी इस काम के लिए लगाने होंगे. अभी स्थिति ये है कि कुछ एसडीएम को पीएसओ मिले थे और कई के पास ये सुविधा नहीं थी. स्थिति के अनुसार एसडीएम ने यदि कहीं दौरे पर जाना हो तो वो संबंधित पुलिस थाना से सुरक्षा के लिए कह सकते हैं, लेकिन राज्य की आम जनता का मानना है कि हिमाचल जैसे शांतिप्रिय राज्य में निजी सुरक्षा अधिकारी की सुविधा की जरूरत नहीं है.

सीएम ने दिए वीवीआईपी तामझाम कम करने के संकेत: मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने भी अपने काफिले को कम करने के संकेत दिए हैं. राज्य के खजाने पर कर्ज को बोझ है. ऐसे में फिजूलखर्ची कम करने के लिए सीएम ने निर्देश दिए हुए हैं. अब सीएम अपने काफिले में भी गाड़ियों व सुरक्षा का घेरा कम करेंगे. मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार नरेश चौहान के अनुसार सीएम सुखविंदर सिंह चाहते हैं कि वीवीआईपी तामझाम कम से कम हो.अकसर देखा गया है कि एक जिले से दूसरे जिले में सीएम व कैबिनेट मंत्रियों की आवाजाही के दौरान सीमांत थानों से सुरक्षा कर्मी तैनात किए जाते हैं. संबंधित जिले का एसपी भी पुलिस कर्मियों के साथ वीवीआईपी ड्यूटी में शामिल हो जाते हैं. हालांकि ,इसकी कोई जरूरत नहीं होती. सीएम सुखविंदर सिंह ने इस चलन को भी बंद करने के लिए कहा है. इस बारे में जल्द ही विस्तृत दिशा-निर्देश जारी होंगे. सीएम ने पुलिस मुख्यालय को भी निर्देश दिए हैं कि वीवीआईपी सुरक्षा को कम किया जाए.

ये भी पढ़ें : सुखविंदर सरकार की पहली सिंगल विंडो बैठक: 1754 करोड़ के निवेश को हरी झंडी, 3635 लोगों को मिलेगा रोजगार

शिमला: हिमाचल में पूर्व की जयराम सरकार ने एचएएस अफसरों की मांग पर एसडीएम तथा एडीएम को निजी सुरक्षा अधिकारी (पीएसओ) देने का ऐलान किया था.मई 2022 में एचएएस अधिकारियों के एक अधिवेशन में तत्कालीन सीएम जयराम ठाकुर ने पीएसओ अटैच करने सहित रेंट फ्री आवास की सुविधा देने का वादा किया था. हालांकि ,इस बारे में कोई लिखित आदेश जारी नहीं हुए थे, लेकिन अब मौजूदा सरकार ऐसी कोई सुविधा नहीं देगी. सुखविंदर सरकार का कहना है कि एसडीएम व एडीएम को पीएसओ नहीं मिलेंगे. इतना ही नहीं सीएम का सुरक्षा बेड़ा भी कम किया जाएगा. इस बारे में सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने संबंधित विभाग व पुलिस प्रशासन को मौखिक निर्देश दिए हैं. हालांकि ,इस बारे में लिखित आदेश अभी भी प्रतीक्षित हैं.

अफसरों को पीएसओ देने पर सवाल उठते रहे: दरअसल, हिमाचल प्रदेश में वीवीआईपी सुरक्षा और विधायकों सहित अन्य अफसरों को पीएसओ देने पर सवाल उठते रहे हैं. कई विधायक स्वेच्छा से पीएसओ लेने से इनकार करते रहे हैं. खुद सीएम सुखविंदर सिंह जब विधायक थे तो वे भी पीएसओ नहीं लेते थे. माकपा के विधायक रहे राकेश सिंघा व अन्य कई विधायक अपनी इच्छा से पीएसओ लेने से मना करते रहे हैं. वर्तमान में भी मुख्यमंत्री के करीबी कांग्रेस नेताओं जैसे राजेश धर्माणी, सीपीएस संजय अवस्थी और विधायक विनोद सुल्तानपुरी ने पीएसओ नहीं लिया है.

72 पुलिस कर्मचारियों की जरूरत: राज्य के थानों में वैसे भी पुलिस कर्मियों की संख्या अपेक्षा के अनुरूप नहीं हैं. पूर्व सरकार के समय एचएएस अधिकारियों ने कहा था कि उन्हें फील्ड में कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. इस पर जयराम सरकार ने कहा था कि उन्हें पीएसओ दिए जाएंगे. हिमाचल में कुल 72 सब डिविजन हैं. इस तरह यदि एक एसडीएम को पीएसओ दिया जाए तो कुल 72 पुलिस कर्मचारी इस काम के लिए लगाने होंगे. अभी स्थिति ये है कि कुछ एसडीएम को पीएसओ मिले थे और कई के पास ये सुविधा नहीं थी. स्थिति के अनुसार एसडीएम ने यदि कहीं दौरे पर जाना हो तो वो संबंधित पुलिस थाना से सुरक्षा के लिए कह सकते हैं, लेकिन राज्य की आम जनता का मानना है कि हिमाचल जैसे शांतिप्रिय राज्य में निजी सुरक्षा अधिकारी की सुविधा की जरूरत नहीं है.

सीएम ने दिए वीवीआईपी तामझाम कम करने के संकेत: मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने भी अपने काफिले को कम करने के संकेत दिए हैं. राज्य के खजाने पर कर्ज को बोझ है. ऐसे में फिजूलखर्ची कम करने के लिए सीएम ने निर्देश दिए हुए हैं. अब सीएम अपने काफिले में भी गाड़ियों व सुरक्षा का घेरा कम करेंगे. मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार नरेश चौहान के अनुसार सीएम सुखविंदर सिंह चाहते हैं कि वीवीआईपी तामझाम कम से कम हो.अकसर देखा गया है कि एक जिले से दूसरे जिले में सीएम व कैबिनेट मंत्रियों की आवाजाही के दौरान सीमांत थानों से सुरक्षा कर्मी तैनात किए जाते हैं. संबंधित जिले का एसपी भी पुलिस कर्मियों के साथ वीवीआईपी ड्यूटी में शामिल हो जाते हैं. हालांकि ,इसकी कोई जरूरत नहीं होती. सीएम सुखविंदर सिंह ने इस चलन को भी बंद करने के लिए कहा है. इस बारे में जल्द ही विस्तृत दिशा-निर्देश जारी होंगे. सीएम ने पुलिस मुख्यालय को भी निर्देश दिए हैं कि वीवीआईपी सुरक्षा को कम किया जाए.

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