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पांचवी और आठवीं के छात्रों की होगी बोर्ड परीक्षाएं, 'नो डिटेंशन पॉलिसी' को किया गया समाप्त

प्रदेश के सरकारी ओर प्रदेश शिक्षा बोर्ड से एफिलेटेड निजी स्कूलों में पांचवी और आठवीं के छात्रों की बोर्ड परीक्षाएं करवाई जाएगी. तय पास प्रतिशतता अंक ना होने पर छात्रों को फेल किया जाएगा.

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Published : Oct 3, 2019, 11:49 PM IST

पांचवी और आठवीं के छात्रों की होगी बोर्ड परीक्षाएं

शिमला: प्रदेश के सरकारी स्कूलों के साथ-साथ मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों में पांचवी और आठवीं के छात्रों की बोर्ड परीक्षाएं करवाई जाएंगी. शिक्षा विभाग ने सरकारी व निजी स्कूलों को निर्देश जारी किए हैं कि नो डिटेंशन पॉलिसी के समाप्त होने के बाद स्कूलों की आठवीं और पांचवीं के छात्रों की बोर्ड की परीक्षाएं करवानी होंगी. 2019- 20 से 'नो डिटेंशन पॉलिसी' को समाप्त कर दिया गया है और छात्रों को पांचवी व आठवीं में तय पास प्रतिशतता अंक ना होने पर फेल किया जाएगा.

प्रारंभिक शिक्षा निदेशक रोहित जमवाल ने सभी जिला उपनिदेशकों, उच्चतर एवं प्रारंभिक शिक्षा को सरकार और विभाग के निर्देशों का पालन करने के निर्देश जारी किए हैं. 'राइट टू एजुकेशन एक्ट' में संशोधन करने के बाद सरकार की ओर से यह बदलाव किया गया है. शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया है कि इस सत्र में प्रदेश के सरकारी ओर प्रदेश शिक्षा बोर्ड से एफिलेटेड निजी स्कूलों को फाइनल परीक्षा के प्रश्न पत्र बोर्ड से ही सेट करवाने होंगे.

नो डिटेंशन पॉलिसी में संशोधन होने के बाद पहली से आठवीं कक्षा तक छात्रों को बिना परीक्षा पास किए अगली कक्षा में प्रवेश नहीं दिया जाएगा. छात्रों को पास होने के लिए 33% अंक लेने आवश्यक होंगे. इसके साथ ही शीतकालीन स्कूलों में 31 दिसंबर और ग्रीष्मकालीन स्कूलों में 31 मार्च को बोर्ड परीक्षाओं के परिणाम घोषित किए जाएंगे.

प्रदेश में 'नो डिटेंशन पॉलिसी' समाप्त हो गई है, तो परीक्षाएं बोर्ड करवाएगा लेकिन छात्रों की परीक्षाएं उनके अपने स्कूल में ही होंगी. यह जिम्मेदारी जिला उप निदेशकों की होगी कि वह बोर्ड की परीक्षाओं का सफल रूप से आयोजन करवाएं. इसके साथ ही परीक्षाओं में नकल ना हो इसके लिए औचक निरीक्षण भी करें.

बता दें की प्रदेश के स्कूलों में 'नो डिटेंशन पॉलिसी' के तहत छात्रों फेल नहीं किया जाता था जिससे कि परिणाम में लगातार गिरावट आ रही थी. इसके बाद प्रदेश सरकार ने फैसला ले 'नो डिटेंशन पॉलिसी' को समाप्त कर दिया है.

शिक्षा विभाग ने सपष्ट किया है कि परीक्षाओं में फेल होने वाले छात्रों को 2 महीने बाद परीक्षा का एक और मौका दिया जाएगा. अगर छात्र उस परीक्षा को उतीर्ण कर लेते हैं तो उन्हें अगली कक्षा में बैठने का मौका दिया जाएगा. इस दो माह के समय में छात्रों के लिए 'एक्स्ट्रा क्लासिस' लगाई जाएंगी जिसके बाद परीक्षा करवाई जाएगी. इससे जहां प्रदेश में शिक्षा की गुणवत्ता का स्तर बढ़ेगा, तो वही छात्र आगली कक्षाओं में जा पाएंगे जो परीक्षाएं उत्तीर्ण करेंगे.

ये भी पढ़ें: जनता को समर्पित किया गया दादा-दादी पार्क, व्यायाम के लिए लगाए गए फिटनेस इक्विपमेंट

शिमला: प्रदेश के सरकारी स्कूलों के साथ-साथ मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों में पांचवी और आठवीं के छात्रों की बोर्ड परीक्षाएं करवाई जाएंगी. शिक्षा विभाग ने सरकारी व निजी स्कूलों को निर्देश जारी किए हैं कि नो डिटेंशन पॉलिसी के समाप्त होने के बाद स्कूलों की आठवीं और पांचवीं के छात्रों की बोर्ड की परीक्षाएं करवानी होंगी. 2019- 20 से 'नो डिटेंशन पॉलिसी' को समाप्त कर दिया गया है और छात्रों को पांचवी व आठवीं में तय पास प्रतिशतता अंक ना होने पर फेल किया जाएगा.

प्रारंभिक शिक्षा निदेशक रोहित जमवाल ने सभी जिला उपनिदेशकों, उच्चतर एवं प्रारंभिक शिक्षा को सरकार और विभाग के निर्देशों का पालन करने के निर्देश जारी किए हैं. 'राइट टू एजुकेशन एक्ट' में संशोधन करने के बाद सरकार की ओर से यह बदलाव किया गया है. शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया है कि इस सत्र में प्रदेश के सरकारी ओर प्रदेश शिक्षा बोर्ड से एफिलेटेड निजी स्कूलों को फाइनल परीक्षा के प्रश्न पत्र बोर्ड से ही सेट करवाने होंगे.

नो डिटेंशन पॉलिसी में संशोधन होने के बाद पहली से आठवीं कक्षा तक छात्रों को बिना परीक्षा पास किए अगली कक्षा में प्रवेश नहीं दिया जाएगा. छात्रों को पास होने के लिए 33% अंक लेने आवश्यक होंगे. इसके साथ ही शीतकालीन स्कूलों में 31 दिसंबर और ग्रीष्मकालीन स्कूलों में 31 मार्च को बोर्ड परीक्षाओं के परिणाम घोषित किए जाएंगे.

प्रदेश में 'नो डिटेंशन पॉलिसी' समाप्त हो गई है, तो परीक्षाएं बोर्ड करवाएगा लेकिन छात्रों की परीक्षाएं उनके अपने स्कूल में ही होंगी. यह जिम्मेदारी जिला उप निदेशकों की होगी कि वह बोर्ड की परीक्षाओं का सफल रूप से आयोजन करवाएं. इसके साथ ही परीक्षाओं में नकल ना हो इसके लिए औचक निरीक्षण भी करें.

बता दें की प्रदेश के स्कूलों में 'नो डिटेंशन पॉलिसी' के तहत छात्रों फेल नहीं किया जाता था जिससे कि परिणाम में लगातार गिरावट आ रही थी. इसके बाद प्रदेश सरकार ने फैसला ले 'नो डिटेंशन पॉलिसी' को समाप्त कर दिया है.

शिक्षा विभाग ने सपष्ट किया है कि परीक्षाओं में फेल होने वाले छात्रों को 2 महीने बाद परीक्षा का एक और मौका दिया जाएगा. अगर छात्र उस परीक्षा को उतीर्ण कर लेते हैं तो उन्हें अगली कक्षा में बैठने का मौका दिया जाएगा. इस दो माह के समय में छात्रों के लिए 'एक्स्ट्रा क्लासिस' लगाई जाएंगी जिसके बाद परीक्षा करवाई जाएगी. इससे जहां प्रदेश में शिक्षा की गुणवत्ता का स्तर बढ़ेगा, तो वही छात्र आगली कक्षाओं में जा पाएंगे जो परीक्षाएं उत्तीर्ण करेंगे.

ये भी पढ़ें: जनता को समर्पित किया गया दादा-दादी पार्क, व्यायाम के लिए लगाए गए फिटनेस इक्विपमेंट

Intro:प्रदेश के सरकारी स्कूलों के साथ-साथ मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों में भी पांचवी और आठवीं के छात्रों की बोर्ड की परीक्षाएं इस वर्ष करवानी होंगी। शिक्षा विभाग की ओर से सरकारी सहित निजी स्कूलों को यह निर्देश जारी कर दिए है कि नो डिटेंशन पॉलिसी के समाप्त होने के बाद स्कूलों को आठवीं ओर पांचवीं के छात्रों की बोर्ड की परीक्षाएं स्कूलों को करवानी होगी। 2019- 20 से ही नो डिटेंशन पॉलिसी को समाप्त कर दिया गया है और छात्रों को पांचवी और आठवीं में तय पास प्रतिशतता ना होने पर फेल किया जाएगा। प्रारंभिक शिक्षा निदेशक रोहित जमवाल ने सभी जिला उपनिदेशकों,उच्चतर एवं प्रारंभिक शिक्षा को सरकार और विभाग के निर्देशों का अनुपालन करने के निर्देश जारी किए है।
अभी तक जो छात्र पास प्रतिशतता पूरी ना होने के बाद भी पास हो जाते थे अब उन्हें 33 फीसदी अंक पास होने के लिए लेना अनिवार्य होगा। शिक्षा विभाग की ओर से इसे लेकर अधिसूचना जारी कर दी गई है।


Body:यह बदलाव राइट टू एजुकेशन एक्ट में सरकार की ओर से संशोधन करने के बाद किया गया है। शिक्षा विभाग में स्पष्ट किया है कि प्रदेश के सरकारी ओर प्रदेश शिक्षा बोर्ड से एफिलेटेड निजी स्कूलों में भी इस सत्र में बोर्ड से ही फाइनल परीक्षा के प्रश्न पत्र सेट करवाने होंगे। एक्ट में संशोधन होने के बाद पहली से आठवीं कक्षा तक छात्रों को बिना परीक्षा पास किए अगली कक्षा में प्रवेश नहीं दिया जाएगा। छात्रों को पास होने के लिए 33% अंक लेने आवश्यक होंगे। इसके साथ ही शीतकालीन स्कूलों में 31 दिसंबर और ग्रीष्मकालीन स्कूलों में 31 मार्च को बोर्ड परीक्षाओं के परिणाम घोषित किए जाएंगे। अब जब नो डिटेंशन पॉलिसी को समाप्त कर दिया गया है तो परीक्षाएं बोर्ड करवाएगा लेकिन छात्रों की परीक्षाएं उनके अपने स्कूल में ही होंगी। यह जिम्मेदारी जिला उप निदेशकों की होगी कि वह बोर्ड की परीक्षाओं का सफल रूप से आयोजन करवाएंज़साथ ही परीक्षाओं में नकल ना हो इसके लिए औचक निरीक्षण भी करें।


Conclusion:बता दें की प्रदेश के स्कूलों में छात्रों को नो टेंशन पॉलिसी के तहत छात्रों फेल नहीं किया जा रहा था जिससे कि परिणाम में लगातार गिरावट आ रही थी।इसके बाद प्रदेश सरकार ने फैसला ले कर नो डिटेंशन पॉलिसी को समाप्त कर दिया। शिक्षा विभाग ने सपष्ट किया है कि परीक्षाओं में फेल होने वाले छात्रों को 2 महीने बाद परीक्षा का एक और मौका दिया जाएगा। अगर छात्र उस परीक्षा को उतीर्ण कर देते हैं तो उन्हें अगली क्लास में बैठने का मौका दिया जाएगा। छात्रों को इस दो माह के समय में एक्स्ट्रा क्लासिस लगाई जाएगी जिसके बाद परीक्षा करवाई जाएगी। इससे जहां प्रदेश में शिक्षा की गुणवत्ता का स्तर बढ़ेगा तो वही छात्र आगे कक्षाओं में जा पाएंगे जो की परीक्षाएं उत्तीर्ण कर सकेंगे।
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