शिमलाः कोरोना संकट के बीच निजी स्कूलों की ओर से फीस बढ़ाने को लेकर छात्र-अभिभावक मंच ने एक बार फिर मोर्चा खोल दिया है. छात्र अभिभावक मंच ने उच्च शिक्षा निदेशक से मांग की है कि निजी स्कूल द्वारा वर्ष 2020 और 2021 में बिना आम सभा आयोजित किए गए बढ़ाई गई 15 से 50 फीसदी फीस को कम किया जाए. छात्र अभिभावक मंच का कहना है कि प्रदेश के निजी स्कूल ने कोरोना काल में शिक्षा निदेशालय की ओर से जारी आदेशों को नजरअंदाज किया और अपनी मनमानी जारी रखी है.
आंदोलन की चेतावनी
मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा ने प्रदेश सरकार को चेताया है कि अगर बढ़ाकर वसूली गई फीस को समायोजित करने की अधिसूचना जारी नहीं की, तो छात्र अभिभावक मंच को आंदोलन करने पर मजबूर होना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग का दयानंद स्कूल के संदर्भ में जारी किया लिखित आदेश तभी मायने रखता है, अगर शिक्षा अधिकारी 5 दिसंबर 2019 के आदेश को लागू करवाने में सफल होते हैं.
नियमों की धज्जियां उड़ा रहे निजी स्कूल
5 दिसंबर 2019 की शिक्षा निदेशालय की सूचना के मुताबिक साल 2020 और उसके बाद कोई भी निजी स्कूल अभिभावकों के जनरल हाउस के बिना फीस बढ़ोतरी नहीं कर सकते. बावजूद इसके प्रदेश भर के कई निजी स्कूल में बिना जनरल हाउस के फीस बढ़ा दी गई. ऐसे में यह स्पष्ट होता है कि निजी स्कूल सरकार और शिक्षा निदेशालय के आदेशों की परवाह किए बिना नियमों की धज्जियां उड़ाते हैं. निजी स्कूल की ओर से नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए ट्यूशन फीस में बढ़ोतरी कर 15 से 50 फीसदी बढ़ोतरी की गई है. कई निजी स्कूल ने तो फीस को 12 हजार से बढ़ाकर 20 हजार तक पहुंचा दिया है.
शिक्षा का बनाया जा रहा व्यापार
कोरोना की वजह से आज सभी लोग परेशान हैं. कई लोगों के रोजगार तक चले गए हैं. ऐसे में निजी स्कूल की ओर से फीस बढ़ाना सरासर गलत है. हालांकि प्रदेश सरकार ने यह भी कहा था कि निजी स्कूल में काम कर रहे शिक्षकों को भी तनख्वाह देना जरूरी है. इसलिए निजी स्कूल केवल ट्यूशन फीस लें, लेकिन निजी स्कूल की ओर से शिक्षा विभाग की ओर से जारी आदेशों की अवहेलना की जा रही है.