शिमला: पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी आज हमारे बीच मौजूद नहीं हैं लेकिन प्रणब दा से जुड़े किस्से हमेशा जिंदा रहेंगे. ऐसा ही एक किस्सा प्रणब दा के हिमाचल दौरे से जुड़ा हुआ है.
कहते हैं किताबों और किताबों से जुड़े किस्सों की दुनिया बड़ी रोमांचक मानी जाती है और अगर कोई किस्सा देश के प्रथम नागरिक यानि राष्ट्रपति से जुड़ा हो तो उस किस्से की बात ही कुछ और होती है.
ऐसा ही एक किस्सा पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और हिमाचल सचिवालय की लाइब्रेरी से जुड़ा है. ये किस्सा है जून 2016 का, जब देश के तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी शिमला के राष्ट्रपति निवास रिट्रीट आए थे. देश के राष्ट्रपति गर्मियों के दौरान शिमला के मशोबरा स्थित राष्ट्रपति निवास रिट्रीट आते रहे हैं.
प्रणब मुखर्जी अध्ययनशील प्रकृति के थे. जून 2016 में शिमला प्रवास के दौरान उन्हें किसी रेफरेंस के लिए एक किताब की जरूरत महसूस हुई. वो किताब डिप्लोमेसी इन पीस एंड वॉर शीर्षक से थी. टीएन कौल की लिखी ये किताब दिल्ली के एक प्रकाशक ने छापी थी.
प्रणब दा ने जब अपने स्टाफ से किताब को लेकर चर्चा की और अपनी जरूरत बताई तो राष्ट्रपति कार्यालय के अधिकारियों ने किताब की खोज-बीन शुरू कर दी. ये खोज प्रदेश की सबसे बड़ी और विख्यात भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान शिमला यानि इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस स्टडीज की लाइब्रेरी भी पहुंची.
जहां उस वक्त करीब करीब दो लाख किताबें थी. संस्थान के तत्कालीन निदेशक प्रोफेसर चेतन सिंह से बात की गई। उन्होंने पता करवाया तो मालूम हुआ कि संस्थान की दो लाख किताबों वाली लाइब्रेरी में भी वो किताब नहीं थी जिसकी तलाश तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को थी.
किताब की तलाश में किसी ने सुझाव दिया कि प्रदेश सचिवालय की लाइब्रेरी में पता करवाइये. छोटा शिमला स्थित राज्य सचिवालय की लाइब्रेरी में ओएसडी डॉ. जयदीप नेगी को जिस समय फोन किया गया, तब रात के 9.30 बज चुके थे.
संयोग से सचिवालय की लाइब्रेरी में वो किताब मौजूद थी. राष्ट्रपति के स्टाफ का फोन आने पर डॉ. जयदीप नेगी घर से सीधे सचिवालय की लाइब्रेरी पहुंचे और रात को लाइब्रेरी से वो किताब तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के स्टाफ को उपलब्ध करवाई.
डॉ. नेगी उस पल को याद करते हुए बताते हैं कि जब राष्ट्रपति के स्टाफ का फोन आया और किताब को लेकर उनसे पूछा गया तो उन्हें बेहद खुशी महसूस हुई कि वो किताब सचिवालय की लाइब्रेरी में मौजूद थी. डॉ. नेगी बताते हैं कि सचिवालय की लाइब्रेरी में पचास हजार से अधिक किताबों का खजाना मौजूद है.