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सरहद पर दुश्मनों के छुड़ाए छक्के, अब IGMC में मरीजों को मरहम लगा रहे कैप्टन भीम सिंह

आतंकवादियों से लड़ते हुए उन्हें दुश्मन की गोली लगी. किस्मत अच्छी थी की उनको टांग में गोली लगी. 1999 में करगिल युद्ध में भी भीम सिंह ने अपनी ड्यूटी दी और दुश्मनों के छक्के छुड़ाए.

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Published : Aug 15, 2019, 12:38 PM IST

Rt. captain Bheem singh

शिमलाः देश प्रेम हो और देश के लिए कुछ कर गुजरने की तम्मना हो तो किसी भी उम्र में कहीं भी देश सेवा की जा सकती है. यह सिद्ध कर दिखाया है आईजीएसमी में तैनात बतौर मुख्य सुरक्षा अधिकारी भीम सिंह गुलेरिया ने. भीम सिंह गुलेरिया भारतीय सेना से रिटायर्ड हैं और अब आईजीएमसी में अपनी सेवाएं दे रहे हैं.

कैप्टन (रिटायर्ड) भीम सिंह ने जम्मू कश्मीर में आतंकवादियों का सामना कर उन्हें धूल चटाई है. यही नहीं उन्होंने ऑपरेशन ब्लू स्टार और करगिल युद्ध में भी अपना खून बहाया है.

सुनिए रिटायर्ड कैप्टन भीम सिंह की कहानी उनकी जुबानी.

भीम सिंह गुलेरिया मंडी जिला के रहने वाले हैं. भीम सिंह ने 1978 में सेना ज्वाइन की. 1984 में पंजाब में ऑपरेशन ब्लू स्टार में ड्यूटी की इसके अलावा उन्होंने 1989 में जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों के खिलाफ विशेष अभियान 'काउंटर इन सरजी' में तैनात रहे और आतंकवाद से लड़ते रहे.

इसी दौरान आतंकवादियों से लड़ते हुए उन्हें दुश्मन की गोली लगी. किस्मत अच्छी थी की उनको टांग में गोली लगी. 1999 में करगिल युद्ध में भी भीम सिंह ने अपनी ड्यूटी दी और दुश्मनों के छक्के छुड़ाए.

कैप्टन भीम सिंह की बहादुरी देख कर सेना ने उन्हें 2005 से 2007 तक पूंछ और किश्तवाड़ जिला में तैनात किया. इस दौरान भी भीम सिंह उग्रवाद का सामना करते रहे. भीम सिंह और उनकी टीम ने 31 आतंकवादी मार गिराए.

कैप्टन भीम सिंह को उनकी बहादुरी के लिए सेना ने उन्हें 2 बार मेडल से भी सम्मानित किया. भीम सिंह 2011 में सेना से सेवानिवृत हुए. 2014 में उन्हें आईजीएमसी में चीफ सिक्योरिटी ऑफिसर तैनात किया गया.

भीम सिंह ने सेवा का जिम्मा आईजीएमसी में भी नहीं छोड़ा है. यहां भी हर जरूरतमंद मरीज की हर संभव सहायता करते हैं. भीम सिंह ने कई गरीब मरीजों का अपनी जेब से इलाज करवाया है ये कह कर कि ये भी मेरे देश के भाई है.

वहीं, अब केंद्र सरकार द्वारा कश्मीर में अनुच्छेद-370 को हटाए जाने पर भीम सिंह ने खुशी जाहिर की है. भीम सिंह ने कहा सरकार के इस कदम से अकेले कश्मीर पर तीन राज्यों के बराबर होने वाले खर्च से बचा जाएगा. यहां हालात सुधरेंगे और लोगों को काफी लाभ मिलेगा.

ये भी पढ़ेंः हिमाचल पुलिस के तीन अधिकारियों मिलेगा राष्ट्रपति पुलिस पदक, 15 अगस्त को होंगे सम्मानित

शिमलाः देश प्रेम हो और देश के लिए कुछ कर गुजरने की तम्मना हो तो किसी भी उम्र में कहीं भी देश सेवा की जा सकती है. यह सिद्ध कर दिखाया है आईजीएसमी में तैनात बतौर मुख्य सुरक्षा अधिकारी भीम सिंह गुलेरिया ने. भीम सिंह गुलेरिया भारतीय सेना से रिटायर्ड हैं और अब आईजीएमसी में अपनी सेवाएं दे रहे हैं.

कैप्टन (रिटायर्ड) भीम सिंह ने जम्मू कश्मीर में आतंकवादियों का सामना कर उन्हें धूल चटाई है. यही नहीं उन्होंने ऑपरेशन ब्लू स्टार और करगिल युद्ध में भी अपना खून बहाया है.

सुनिए रिटायर्ड कैप्टन भीम सिंह की कहानी उनकी जुबानी.

भीम सिंह गुलेरिया मंडी जिला के रहने वाले हैं. भीम सिंह ने 1978 में सेना ज्वाइन की. 1984 में पंजाब में ऑपरेशन ब्लू स्टार में ड्यूटी की इसके अलावा उन्होंने 1989 में जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों के खिलाफ विशेष अभियान 'काउंटर इन सरजी' में तैनात रहे और आतंकवाद से लड़ते रहे.

इसी दौरान आतंकवादियों से लड़ते हुए उन्हें दुश्मन की गोली लगी. किस्मत अच्छी थी की उनको टांग में गोली लगी. 1999 में करगिल युद्ध में भी भीम सिंह ने अपनी ड्यूटी दी और दुश्मनों के छक्के छुड़ाए.

कैप्टन भीम सिंह की बहादुरी देख कर सेना ने उन्हें 2005 से 2007 तक पूंछ और किश्तवाड़ जिला में तैनात किया. इस दौरान भी भीम सिंह उग्रवाद का सामना करते रहे. भीम सिंह और उनकी टीम ने 31 आतंकवादी मार गिराए.

कैप्टन भीम सिंह को उनकी बहादुरी के लिए सेना ने उन्हें 2 बार मेडल से भी सम्मानित किया. भीम सिंह 2011 में सेना से सेवानिवृत हुए. 2014 में उन्हें आईजीएमसी में चीफ सिक्योरिटी ऑफिसर तैनात किया गया.

भीम सिंह ने सेवा का जिम्मा आईजीएमसी में भी नहीं छोड़ा है. यहां भी हर जरूरतमंद मरीज की हर संभव सहायता करते हैं. भीम सिंह ने कई गरीब मरीजों का अपनी जेब से इलाज करवाया है ये कह कर कि ये भी मेरे देश के भाई है.

वहीं, अब केंद्र सरकार द्वारा कश्मीर में अनुच्छेद-370 को हटाए जाने पर भीम सिंह ने खुशी जाहिर की है. भीम सिंह ने कहा सरकार के इस कदम से अकेले कश्मीर पर तीन राज्यों के बराबर होने वाले खर्च से बचा जाएगा. यहां हालात सुधरेंगे और लोगों को काफी लाभ मिलेगा.

ये भी पढ़ेंः हिमाचल पुलिस के तीन अधिकारियों मिलेगा राष्ट्रपति पुलिस पदक, 15 अगस्त को होंगे सम्मानित

Intro:शरहद पर दुश्मनों के छुड़ाए छक्के , अब आइजीएमसी में मरीजो को लगा रहे मरहम कैप्टन भीम सिंह गुलेरिया।
शिमला।
देश प्रेम हो और देश के लिए कुछ कर गुजरने की तम्मना हो तो किसी भी उम्र में कही भी देश सेवा की जा सकती है यह सिद्ध कर दिखाया है आईजीएसमी में तैनात बतौर मुख्य सुरक्षा अधिकारी भीम सिंह गुलेरिया ने । कैप्टन भीम सिंह ने जम्मू कश्मीर में आतंक वादियों से लोहा लेकर उन्हें धूल चटाई है ।यही नही ऑपरेशन ब्लू स्टार ओर कारगिल युद्ध मे भी अपना खून बहाया है।


Body:भीम सिंह गुलेरिया हिमाचल प्रदेश के मंडी जिला के रहने वाले है ।भीम सिंह ने 1978 में सेना जॉइन किया । 1984 में पंजाब में ऑपरेशन ब्लू स्टार में ड्यूटी के दौरान आतंक वादियों से लोहा लिया और उन्हें धूल चटा कर आतंकवाद का सफाया किया।
1989 में जे एन्ड के में आतंकवादियों के खिलाफ़ विशेष अभियान काउंटर इन सरजी में तैनात रहे और आतंकवाद से लड़ते रहे। इसी दौरान आतंकवादी से लड़ते हुए उन्हें दुश्मन की गोली लगी ।किस्मत अच्छी थी उन्हें टांग में ही गोली लगी ।
1999 में कारगिल युध्द में भी भीम सिंह ने अपनी ड्यूटी दी ओर दुश्मनों के छक्के छुड़ाए ।
कैप्टन भीम सिंह की बहादुरी देख कर सेना ने उन्हें 2005 से।2007 तक पूंछ ओर किश्तवाड़ जिला में तैनात किया । इस दौरान भी भीम सिंह उग्रवाद का सामना करते रहे । भीम सिंह ओर उनकी टीम ने 31आतंकवादी मार गिराए ।
भीम सिंह को।उनके बहादुरी के लिए सेना में उन्हें 2 बार मैडल से सम्मानित किया गया।
भीम सिंह 2011 में सेना से सेवानिवरित हुए ।2014 में उन्हें आइजीएमसी में चीफ सिक्योरटी ऑफिसर तैनात किया गया। भीम सिंग ने देश सेवा का जिम्मा आइजीएमसी में भी नही छोड़ा है यहाँ भी हर जरूरत मंद मरीज की हर संभव सहायता करते है ।
भीम सिंह ने कई गरीब मरीजों का अपनी जेब से इलाज करवाया है ये कह कर की ये भी मेरे देश के भाई है।


Conclusion:भीम सिंह का कश्मीर में हटाई गई धारा 370 का स्वागत किया और उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ,ओर ग्रह मंत्री अमित शाह ने धारा 370 हटा कर बहुत अच्छा किया है। उन्होंने कहा कि इससे पहले 3 राज्य का खर्चा एक राज्य को करना पड़ता था और वहा हालात ऐसे थे कि लोगो को हरदम हमले का डर लग रहता था ।लेकिन अब हालात सुधरेंगे ओर लोगो को काफी लाभ मिलेगा।
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