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यूं ही कोई वीरभद्र सिंह नहीं हो जाता, पक्ष-विपक्ष में भी समान रूप से लोकप्रिय हैं राजनीति के राजा

हिमाचल की राजनीति की चर्चा वीरभद्र सिंह के बिना अधूरी है. कहा जाता है कि प्रदेश की नींव हिमाचल निर्माता डॉ. वाईएस परमार ने रखी और उस पर वीरभद्र सिंह ने विकास का मजबूत ढांचा खड़ा किया है. छह बार किसी राज्य के मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालना अपने आप में बड़ी बात है. आखिर ऐसा क्या है कि वीरभद्र सिंह हिमाचल प्रदेश की जनता और यहां के राजनीतिक गलियारों में इतने लोकप्रिय हैं?

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फोटो.
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Published : Jun 12, 2021, 8:39 PM IST

शिमला: छह बार हिमाचल के मुख्यमंत्री पद की कमान संभालने वाले वीरभद्र सिंह इन दिनों स्वास्थ्य के मोर्चे पर कठिन समय से जूझ रहे हैं. स्वभाव से संघर्षशील वीरभद्र सिंह को हिमाचल में राजनीति के राजा के नाम से भी जाना जाता है. दूसरी बार कोरोना पॉजिटिव होने के कारण वे आईजीएमसी अस्पताल में विशेषज्ञ डॉक्टरों की निगरानी में स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं.

उनकी सेहत को लेकर सोशल मीडिया पर कुछ भ्रामक खबरें आई तो पूरे प्रदेश में उनके समर्थक क्षुब्ध हो उठे. वीरभद्र सिंह के व्यक्तित्व की खासियत है कि वे पक्ष और विपक्ष यानी समर्थकों और विरोधियों के बीच समान रूप से लोकप्रिय हैं. यही कारण है कि अस्पताल में उपचाराधीन वीरभद्र सिंह की कुशलता के लिए सभी एक स्वर में प्रार्थना कर रहे हैं.

वीरभद्र के बिना अधूरी है हिमाचल की राजनीति

हिमाचल की राजनीति की चर्चा वीरभद्र सिंह के बिना अधूरी है. कहा जाता है कि प्रदेश की नींव हिमाचल निर्माता डॉ. वाईएस परमार ने रखी और उस पर वीरभद्र सिंह ने विकास का मजबूत ढांचा खड़ा किया है. छह बार किसी राज्य के मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालना अपने आप में बड़ी बात है. यही नहीं, वीरभद्र सिंह ने केंद्र में भी महत्वपूर्ण मंत्रालय संभाले हैं, लेकिन उनकी प्राथमिकता के केंद्र में हिमाचल और यहां की जनता की भलाई ही रही है.

इसी वजह से वे केंद्र में जाने के बाद भी हिमाचल की तरफ ही लौटते रहे. लाल बहादुर शास्त्री जी की प्रेरणा से राजनीति में आए वीरभद्र सिंह ने इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, पीवी नरसिम्हा राव के साथ काम किया है. अटल बिहारी वाजपेयी से भी उनके अच्छे संबंध रहे हैं. अटल बिहारी वाजपेयी के देहावसान पर शिमला में आयोजित श्रद्धांजलि कार्यक्रम में वीरभद्र सिंह प्रमुखता के साथ शामिल हुए थे.

क्यों लोकप्रिय हैं वीरभद्र सिंह

आखिर ऐसा क्या है कि वीरभद्र सिंह हिमाचल प्रदेश की जनता और यहां के राजनीतिक गलियारों में इतने लोकप्रिय हैं? इसके पीछे कई कारण हैं. वीरभद्र सिंह एक कुशल प्रशासक के तौर पर तो जाने ही जाते हैं, उनका प्रदेश के विकास को लेकर भी स्पष्ट विजन रहा है. हिमाचल प्रदेश में इस समय स्वास्थ्य के क्षेत्र में जो आधारभूत ढांचा है, उसके पीछे वीरभद्र सिंह का ही विजन है.

आईजीएमसी अस्पताल में सुपर स्पेशिएलिटी डिपार्टमेंट्स शुरू करवाने में वीरभद्र सिंह का योगदान है. यहां ओपन हार्ट सर्जरी की सुविधा इनके ही कार्यकाल में आरंभ हुई है. तब वीरभद्र सिंह के प्रयासों से ही एम्स की टीम ने वर्ष 2005 में यहां आकर शुरुआती ऑपरेशन किए थे. इसी तरह प्रदेश के दूर-दराज इलाकों के विकास के लिए भी वीरभद्र सिंह के नेतृत्व वाली सरकारों ने काफी उल्लेखनीय कार्य किया है.

2012 में अकेले अपने दम पर कांग्रेस को सत्ता में लाए

वर्ष 2012 के चुनाव से पूर्व हिमाचल में भाजपा काफी अच्छी स्थिति में थी. प्रेम कुमार धूमल के नेतृत्व वाली सरकार को भरोसा था कि भाजपा मिशन रिपीट में कामयाब होगी. तब वीरभद्र सिंह केंद्र की राजनीति से वापस हिमाचल आए और अकेले अपने दम पर कांग्रेस को सत्ता में लाया. वर्ष 2012 के चुनाव में जीत हासिल करने के बाद वे छठी बार राज्य के सीएम बने.

जनता से जुड़ाव की कला जानते हैं वीरभद्र

जिस तरह एक कुशल वैद्य मरीज की नब्ज पकड़ते ही मर्ज का पता लगा लेता है और इलाज करता है, उसी तरह वीरभद्र सिंह भी हिमाचल की जनता की नब्ज से वाकिफ हैं. होलीलॉज पहुंचने वाले हर फरियादी को वीरभद्र सिंह ने कभी खाली हाथ नहीं लौटाया. एक बार उनकी ससुराल जुन्गा की एक महिला बरसात के समय शिमला में फंस गई. घर जाने के लिए किराया नहीं था और छाता भी नहीं था. तब वो महिला किसी तरह होली लॉज पहुंची और वीरभद्र सिंह से कहा कि वो उनकी ससुराल से हैं और मदद चाहती है.

कभी किसी खाली हाथ नहीं लौटाते वीरभद्र सिंह

ये घटना 1995 की है. तब वीरभद्र सिंह ने उस महिला को पांच सौ रुपए दिए और साथ ही एक छाता भी दिया. इसी तरह सीएम रिलीफ फंड से मदद करने में भी वीरभद्र सिंह ने कभी भेदभाव नहीं किया. वर्ष 2006 में मंडी जिला के एक भाजपा समर्थक की बाइपास सर्जरी के लिए 1.26 लाख रुपए सेंक्शन किए थे. ऐसे अनेक उदाहरण हैं, जो वीरभद्र सिंह की लोकप्रियता को चार चांद लगाते हैं.

हिमाचल की राजनीति को गहरे से परखने वाले वरिष्ठ पत्रकार धनंजय शर्मा का कहना है कि वीरभद्र सिंह का कद इतना बड़ा है कि पक्ष-विपक्ष के दायरे में नहीं बांधा जा सकता. जो राजनेता छह बार प्रदेश का मुख्यमंत्री रहा हो, उसके जनता से जुड़ाव का अंदाजा लगाया जा सकता है.

इसके अलावा वीरभद्र सिंह विजनरी नेता हैं और उनका अफसरशाही पर जबरदस्त कंट्रोल रहा है. यही कारण है कि विकास योजनाओं को धरातल पर उतारने में वे सफल रहे हैं. जनता से सीधा संवाद और समर्थकों का आंख मूंदकर भरोसा करना वीरभद्र सिंह को वीरभद्र सिंह बनाता है. इस समय वीरभद्र सिंह आईजीएमसी अस्पताल में स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं और प्रदेश का हर नागरिक उनके लिए चिंतित है, एक राजनेता की इससे अधिक कमाई भला और क्या हो सकती है?.

ये भी पढ़ें: CM जयराम ने वीरभद्र सिंह के कोरोना पॉजिटिव होने पर जताई चिंता, जल्द स्वस्थ होने की कामना की

शिमला: छह बार हिमाचल के मुख्यमंत्री पद की कमान संभालने वाले वीरभद्र सिंह इन दिनों स्वास्थ्य के मोर्चे पर कठिन समय से जूझ रहे हैं. स्वभाव से संघर्षशील वीरभद्र सिंह को हिमाचल में राजनीति के राजा के नाम से भी जाना जाता है. दूसरी बार कोरोना पॉजिटिव होने के कारण वे आईजीएमसी अस्पताल में विशेषज्ञ डॉक्टरों की निगरानी में स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं.

उनकी सेहत को लेकर सोशल मीडिया पर कुछ भ्रामक खबरें आई तो पूरे प्रदेश में उनके समर्थक क्षुब्ध हो उठे. वीरभद्र सिंह के व्यक्तित्व की खासियत है कि वे पक्ष और विपक्ष यानी समर्थकों और विरोधियों के बीच समान रूप से लोकप्रिय हैं. यही कारण है कि अस्पताल में उपचाराधीन वीरभद्र सिंह की कुशलता के लिए सभी एक स्वर में प्रार्थना कर रहे हैं.

वीरभद्र के बिना अधूरी है हिमाचल की राजनीति

हिमाचल की राजनीति की चर्चा वीरभद्र सिंह के बिना अधूरी है. कहा जाता है कि प्रदेश की नींव हिमाचल निर्माता डॉ. वाईएस परमार ने रखी और उस पर वीरभद्र सिंह ने विकास का मजबूत ढांचा खड़ा किया है. छह बार किसी राज्य के मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालना अपने आप में बड़ी बात है. यही नहीं, वीरभद्र सिंह ने केंद्र में भी महत्वपूर्ण मंत्रालय संभाले हैं, लेकिन उनकी प्राथमिकता के केंद्र में हिमाचल और यहां की जनता की भलाई ही रही है.

इसी वजह से वे केंद्र में जाने के बाद भी हिमाचल की तरफ ही लौटते रहे. लाल बहादुर शास्त्री जी की प्रेरणा से राजनीति में आए वीरभद्र सिंह ने इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, पीवी नरसिम्हा राव के साथ काम किया है. अटल बिहारी वाजपेयी से भी उनके अच्छे संबंध रहे हैं. अटल बिहारी वाजपेयी के देहावसान पर शिमला में आयोजित श्रद्धांजलि कार्यक्रम में वीरभद्र सिंह प्रमुखता के साथ शामिल हुए थे.

क्यों लोकप्रिय हैं वीरभद्र सिंह

आखिर ऐसा क्या है कि वीरभद्र सिंह हिमाचल प्रदेश की जनता और यहां के राजनीतिक गलियारों में इतने लोकप्रिय हैं? इसके पीछे कई कारण हैं. वीरभद्र सिंह एक कुशल प्रशासक के तौर पर तो जाने ही जाते हैं, उनका प्रदेश के विकास को लेकर भी स्पष्ट विजन रहा है. हिमाचल प्रदेश में इस समय स्वास्थ्य के क्षेत्र में जो आधारभूत ढांचा है, उसके पीछे वीरभद्र सिंह का ही विजन है.

आईजीएमसी अस्पताल में सुपर स्पेशिएलिटी डिपार्टमेंट्स शुरू करवाने में वीरभद्र सिंह का योगदान है. यहां ओपन हार्ट सर्जरी की सुविधा इनके ही कार्यकाल में आरंभ हुई है. तब वीरभद्र सिंह के प्रयासों से ही एम्स की टीम ने वर्ष 2005 में यहां आकर शुरुआती ऑपरेशन किए थे. इसी तरह प्रदेश के दूर-दराज इलाकों के विकास के लिए भी वीरभद्र सिंह के नेतृत्व वाली सरकारों ने काफी उल्लेखनीय कार्य किया है.

2012 में अकेले अपने दम पर कांग्रेस को सत्ता में लाए

वर्ष 2012 के चुनाव से पूर्व हिमाचल में भाजपा काफी अच्छी स्थिति में थी. प्रेम कुमार धूमल के नेतृत्व वाली सरकार को भरोसा था कि भाजपा मिशन रिपीट में कामयाब होगी. तब वीरभद्र सिंह केंद्र की राजनीति से वापस हिमाचल आए और अकेले अपने दम पर कांग्रेस को सत्ता में लाया. वर्ष 2012 के चुनाव में जीत हासिल करने के बाद वे छठी बार राज्य के सीएम बने.

जनता से जुड़ाव की कला जानते हैं वीरभद्र

जिस तरह एक कुशल वैद्य मरीज की नब्ज पकड़ते ही मर्ज का पता लगा लेता है और इलाज करता है, उसी तरह वीरभद्र सिंह भी हिमाचल की जनता की नब्ज से वाकिफ हैं. होलीलॉज पहुंचने वाले हर फरियादी को वीरभद्र सिंह ने कभी खाली हाथ नहीं लौटाया. एक बार उनकी ससुराल जुन्गा की एक महिला बरसात के समय शिमला में फंस गई. घर जाने के लिए किराया नहीं था और छाता भी नहीं था. तब वो महिला किसी तरह होली लॉज पहुंची और वीरभद्र सिंह से कहा कि वो उनकी ससुराल से हैं और मदद चाहती है.

कभी किसी खाली हाथ नहीं लौटाते वीरभद्र सिंह

ये घटना 1995 की है. तब वीरभद्र सिंह ने उस महिला को पांच सौ रुपए दिए और साथ ही एक छाता भी दिया. इसी तरह सीएम रिलीफ फंड से मदद करने में भी वीरभद्र सिंह ने कभी भेदभाव नहीं किया. वर्ष 2006 में मंडी जिला के एक भाजपा समर्थक की बाइपास सर्जरी के लिए 1.26 लाख रुपए सेंक्शन किए थे. ऐसे अनेक उदाहरण हैं, जो वीरभद्र सिंह की लोकप्रियता को चार चांद लगाते हैं.

हिमाचल की राजनीति को गहरे से परखने वाले वरिष्ठ पत्रकार धनंजय शर्मा का कहना है कि वीरभद्र सिंह का कद इतना बड़ा है कि पक्ष-विपक्ष के दायरे में नहीं बांधा जा सकता. जो राजनेता छह बार प्रदेश का मुख्यमंत्री रहा हो, उसके जनता से जुड़ाव का अंदाजा लगाया जा सकता है.

इसके अलावा वीरभद्र सिंह विजनरी नेता हैं और उनका अफसरशाही पर जबरदस्त कंट्रोल रहा है. यही कारण है कि विकास योजनाओं को धरातल पर उतारने में वे सफल रहे हैं. जनता से सीधा संवाद और समर्थकों का आंख मूंदकर भरोसा करना वीरभद्र सिंह को वीरभद्र सिंह बनाता है. इस समय वीरभद्र सिंह आईजीएमसी अस्पताल में स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं और प्रदेश का हर नागरिक उनके लिए चिंतित है, एक राजनेता की इससे अधिक कमाई भला और क्या हो सकती है?.

ये भी पढ़ें: CM जयराम ने वीरभद्र सिंह के कोरोना पॉजिटिव होने पर जताई चिंता, जल्द स्वस्थ होने की कामना की

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