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बच्चों को स्कूल बुलाने पर हो रहा विचार, क्या तैयार हैं शिक्षा विभाग और सरकार ? - Education Department Himachal

हिमाचल सरकार की ओर से चरणबद्ध तरीके से स्कूल खोलने की नीति पर विचार किया जा रहा है. इस बीच स्कूलों में कोरोना से बचाव के नियमों का पालन करने पर विशेष ध्यान होगा. उच्च शिक्षा निदेशक डॉक्टर अमरजीत कुमार शर्मा का कहना है कि निदेशालय स्कूल खोलने के लिए पूरी तरह तैयार है. विभाग की ओर से प्रदेश सरकार के फैसले का इंतजार किया जा रहा है.

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Published : Jul 7, 2021, 10:58 PM IST

शिमलाः देश में कोरोना वायरस की एंट्री के बाद से ही सभी शिक्षा संस्थानों पर ताला लटका हुआ है. बच्चों ने करीब डेढ़ साल से स्कूलों की शक्ल तक नहीं देखी है. ऑनलाइन कक्षाओं के माध्यम से ही बच्चों को शिक्षा प्रदान की जा रही है. हालांकि अब कोरोना के मामलों में गिरावट देखने को मिल रही है. इसी के चलते वापस स्कूलों में ऑफलाइन कक्षाएं शुरू करने की बात पर चर्चा हो रही है.

शिक्षा विभाग की मानें तो स्कूलों में कोरोना गाइडलाइन के अनुसार बच्चों की पढ़ाई के लिए सारी तैयारियां कर ली गई हैं. कोरोना की वजह से लगे लॉकडाउन में स्कूल बेशक बंद रहे लेकिन बच्चों की ऑनलाइन शिक्षा जारी रही. इस बीच शिक्षकों ने साल भर विद्यार्थियों को पढ़ाया. लॉकडाउन की वजह से स्कूल के लिए भी अपने शिक्षकों और अन्य स्टाफ को तनख्वाह देना मुश्किल हुआ. इसके अलावा स्कूल के कमरे बंद रहने से स्कूल की मेंटेनेंस का खर्चा भी बढ़ा.

सेंट थॉमस स्कूल की प्रिंसिपल का कहना है कि कोरोना से कई अभिभावकों को परेशानी का सामना करना पड़ा लेकिन केवल ट्यूशन फीस लेकर स्कूल का खर्च नहीं निकाला जा सकता. वहीं, दूसरी ओर अभिभावकों का कहना है कि कोरोना काल में सभी लोगों की आर्थिकी पर असर पड़ा है. कई अभिभावकों की तो नौकरी तक चली गई है. ऐसे में स्कूल की भारी भरकम फीस भरना मुश्किल हो रहा है.

वीडियो.

अभिभावक चाहते हैं कि सरकार स्कूलों में बेमतलब बढ़ाई गई फीस पर एक चेक रखे और स्कूल भी ट्यूशन फीस ही लें. स्कूल के दूसरे खर्चों में रियायत देनी चाहिए. करीब डेढ़ साल बाद स्कूलों का खुलना अब आवश्यक लगने लगा है. बच्चों की स्कूली शिक्षा को पटरी पर लाना जरूरी है लेकिन कोरोना के खतरे से बचाव और आर्थिक नुकसान से उभरना स्कूल और अभिभावक दोनों के लिए एक बड़ी चुनौती होने वाली है.

हिमाचल सरकार की ओर से चरणबद्ध तरीके से स्कूल खोलने की नीति पर विचार किया जा रहा है. इस बीच स्कूलों में कोरोना से बचाव के नियमों का पालन करने पर विशेष ध्यान होगा. उच्च शिक्षा निदेशक डॉक्टर अमरजीत कुमार शर्मा का कहना है कि निदेशालय स्कूल खोलने के लिए पूरी तरह तैयार है. विभाग की ओर से प्रदेश सरकार के फैसले का इंतजार किया जा रहा है.

कोरोना के बीच विद्यार्थियों को सुरक्षित रखना प्रदेश सरकार और विभाग के सामने एक बड़ी चुनौती रहने वाली है. ऐसे में प्रदेश सरकार की ओर से नियमों का सही तरह पालन करने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. विद्यार्थियों के बीच सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क सही तरह पहनने के नियम का विशेष ध्यान होगा.

पहाड़ी राज्य होने की वजह से हिमाचल प्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं का की आशंका बनी रहती है. प्रदेश में पहले भी स्कूली बच्चों के साथ हुए कई सड़क हादसों ने प्रदेश को हिला कर रख दिया था. हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला और पालमपुर में हुए बस हादसे के बाद सरकार प्रशासन की ओर से विद्यार्थियों की सुरक्षा का विशेष ध्यान दिया जा रहा है. अब जब दूसरी लहर के बाद स्कूल खुलेंगे तो पुलिस प्रशासन विद्यार्थियों की आवाजाही के दौरान भी नियमों के पालन पर विशेष ध्यान रखेगा. कोरोना से बचने के अलावा सामान्य तौर पर बरती जाने वाली सावधानी पर भी ध्यान होगा.

ये भी पढ़ें: हिमाचल में रफ्तार पकड़ेगा मानूसन, आगामी चार दिनों के लिए येलो अलर्ट जारी

शिमलाः देश में कोरोना वायरस की एंट्री के बाद से ही सभी शिक्षा संस्थानों पर ताला लटका हुआ है. बच्चों ने करीब डेढ़ साल से स्कूलों की शक्ल तक नहीं देखी है. ऑनलाइन कक्षाओं के माध्यम से ही बच्चों को शिक्षा प्रदान की जा रही है. हालांकि अब कोरोना के मामलों में गिरावट देखने को मिल रही है. इसी के चलते वापस स्कूलों में ऑफलाइन कक्षाएं शुरू करने की बात पर चर्चा हो रही है.

शिक्षा विभाग की मानें तो स्कूलों में कोरोना गाइडलाइन के अनुसार बच्चों की पढ़ाई के लिए सारी तैयारियां कर ली गई हैं. कोरोना की वजह से लगे लॉकडाउन में स्कूल बेशक बंद रहे लेकिन बच्चों की ऑनलाइन शिक्षा जारी रही. इस बीच शिक्षकों ने साल भर विद्यार्थियों को पढ़ाया. लॉकडाउन की वजह से स्कूल के लिए भी अपने शिक्षकों और अन्य स्टाफ को तनख्वाह देना मुश्किल हुआ. इसके अलावा स्कूल के कमरे बंद रहने से स्कूल की मेंटेनेंस का खर्चा भी बढ़ा.

सेंट थॉमस स्कूल की प्रिंसिपल का कहना है कि कोरोना से कई अभिभावकों को परेशानी का सामना करना पड़ा लेकिन केवल ट्यूशन फीस लेकर स्कूल का खर्च नहीं निकाला जा सकता. वहीं, दूसरी ओर अभिभावकों का कहना है कि कोरोना काल में सभी लोगों की आर्थिकी पर असर पड़ा है. कई अभिभावकों की तो नौकरी तक चली गई है. ऐसे में स्कूल की भारी भरकम फीस भरना मुश्किल हो रहा है.

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अभिभावक चाहते हैं कि सरकार स्कूलों में बेमतलब बढ़ाई गई फीस पर एक चेक रखे और स्कूल भी ट्यूशन फीस ही लें. स्कूल के दूसरे खर्चों में रियायत देनी चाहिए. करीब डेढ़ साल बाद स्कूलों का खुलना अब आवश्यक लगने लगा है. बच्चों की स्कूली शिक्षा को पटरी पर लाना जरूरी है लेकिन कोरोना के खतरे से बचाव और आर्थिक नुकसान से उभरना स्कूल और अभिभावक दोनों के लिए एक बड़ी चुनौती होने वाली है.

हिमाचल सरकार की ओर से चरणबद्ध तरीके से स्कूल खोलने की नीति पर विचार किया जा रहा है. इस बीच स्कूलों में कोरोना से बचाव के नियमों का पालन करने पर विशेष ध्यान होगा. उच्च शिक्षा निदेशक डॉक्टर अमरजीत कुमार शर्मा का कहना है कि निदेशालय स्कूल खोलने के लिए पूरी तरह तैयार है. विभाग की ओर से प्रदेश सरकार के फैसले का इंतजार किया जा रहा है.

कोरोना के बीच विद्यार्थियों को सुरक्षित रखना प्रदेश सरकार और विभाग के सामने एक बड़ी चुनौती रहने वाली है. ऐसे में प्रदेश सरकार की ओर से नियमों का सही तरह पालन करने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. विद्यार्थियों के बीच सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क सही तरह पहनने के नियम का विशेष ध्यान होगा.

पहाड़ी राज्य होने की वजह से हिमाचल प्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं का की आशंका बनी रहती है. प्रदेश में पहले भी स्कूली बच्चों के साथ हुए कई सड़क हादसों ने प्रदेश को हिला कर रख दिया था. हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला और पालमपुर में हुए बस हादसे के बाद सरकार प्रशासन की ओर से विद्यार्थियों की सुरक्षा का विशेष ध्यान दिया जा रहा है. अब जब दूसरी लहर के बाद स्कूल खुलेंगे तो पुलिस प्रशासन विद्यार्थियों की आवाजाही के दौरान भी नियमों के पालन पर विशेष ध्यान रखेगा. कोरोना से बचने के अलावा सामान्य तौर पर बरती जाने वाली सावधानी पर भी ध्यान होगा.

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