शिमला/जयपुर: शारदीय नवरात्र पर्व हिन्दू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है. देवी शक्ति की उपासना का यह पर्व 17 अक्तूबर से शुरू हो रहा है. हिन्दू पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवरात्र पर्व शुरू होता है, जो नवमी तिथि तक चलता है. नवरात्र में मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना होती है और भक्त नौ दिनों तक माता रानी का व्रत करते हैं. नवरात्र के पहले दिन जहां शुभ मुहूर्त में घटस्थापना करने का विधान है, तो वहीं आखिरी दिन कन्या पूजन करके व्रत खोला जाता है. आइए जानते हैं घर पर किस शुभ मुहुर्त में करें घटस्थापना, क्या इसकी संपूर्ण विधि
नवरात्र मां नवदुर्गा की उपासना का पर्व है, जो कि हर साल श्राद्ध खत्म होते ही शुरू होते है, लेकिन इस बार अधिकमास लगने के कारण नवरात्र करीब एक माह की देरी से शुरू हो रहा है. हर साल पितृ पक्ष के समापन के साथ अगले दिन से ही नवरात्र का शुभारंभ हो जाता है और घटस्थापना के साथ 9 दिनों तक नवरात्र की पूजा होती है. यानी पितृ अमावस्या के अगले दिन से प्रतिपदा के साथ शारदीय नवरात्र का आरंभ हो जाती है, जो कि इस साल नहीं हुआ है, क्योंकि इस बार श्राद्ध खत्म होते ही अधिकमास लग गया. ऐसे में अधिक मास लगने से नवरात्र और पितृ पक्ष के बीच एक महीने का अंतर आ गया.
नवरात्र इस बार 17 अक्टूबर से 25 अक्टूबर तक होंगे, वहीं 17 अक्टूबर शनिवार को प्रतिपदा यानी पहली तिथि में घट स्थापना होगी. इस बार सर्वार्थसिद्धि योग में नवरात्र शुरू हो रहे हैं और इस योग को ज्योतिष शास्त्र में बेहद शुभ माना गया है, जो पूजा अभीष्ट सिद्धि देगा. ऐसे में घट स्थापना के शुभ मुहूर्त को लेकर ज्योतिषाचार्य पंडित डॉ. राजेश शर्मा ने बताया कि चित्रा नक्षत्र और वदिति योग को हमारे यहां घटस्थापना के लिए ताजिये माना गया है. लेकिन इस वर्ष चित्रा नक्षत्र सूर्य उदय से पहले ही दो चरण पूरे हो जाएगे. अमूमन दो चरण पूरे होना आवश्यक है, जो कि सूर्य उदय से पहले ही शुरू हो जाएंगे.
इसलिए सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 31 मिनट से 8 बजकर 47 मिनट तक का श्रेष्ठ मुहूर्त रहेगा. उसके बाद अभिजीत मुहूर्त की बात करें तो सुबह 11 बजकर 49 मिनट से 12 बजकर 35 मिनट तक रहेगा. इसके अलावा सभी भक्त चौघड़िए के हिसाब से भी घट की स्थापना कर सकते हैं. वहीं, हर साल देवी अलग-अलग वाहन से धरती पर आती है और इस बार मां दुर्गा घोड़े पर सवार होकर आएगी. ऐसे में उनकी घट स्थापना करते समय पूजन-विधि को लेकर भी कई बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है. जिस पर ज्योतिष आचार्य ने कहा कि, सबसे पहले घट स्थापना करते समय एक मिट्टी का कलश लेकर उसमें स्वच्छ जल भरकर उसमें गंगाजल, गुलाबजल डालना चाहिए.
शास्त्रों का मानना है कि सभी पवित्र नदियों का जल इसमें समावित होना चाहिए और उनकी विचारों के साथ घट स्थापना का शुभारंभ करें. उसके बाद मंत्रोच्चार करते मां दुर्गा के 9 रूपों का ध्यान करें. वहीं लाल कपड़े पर जुहारें बिछाकर मिट्टी के दीपक को प्रज्वलित करें और चावल रखकर एक नारियल चढ़ाएं. ध्यान रहे कि नारियल का मुख आपकी तरफ होना चाहिए और उसके ऊपर लाल वस्त्र पहनाकर मौली चढ़ा दे. फिर मां दुर्गा की विधि-विधान से पूजा करें.
नवरात्र में किस दिन कौनसी देवी की होगी विशेष पूजा
- 17 अक्टूबर को घटस्थापना पूजा मां शैलपुत्री
- 18 अक्टूबर को मां ब्रह्मचारिणी की पूजा
- 19 अक्टूबर को मां चंद्रघंटा पूजा
- 20 अक्टूबर को मां कुष्मांडा पूजा
- 21 अक्टूबर को मां स्कंदमाता पूजा
- 22 अक्टूबर को मां कात्यायनी पूजा
- 23 अक्टूबर को मां कालरात्रि पूजा
- 24 अक्टूबर को मां महागौरी दुर्गा पूजा
- 25 अक्टूबर को मां सिद्धिरात्री पूजा
नवरात्र में 9 दिनों तक भक्तों द्वारा व्रत रखने का भी विधान है और व्रत को आध्यात्म की पहली सीढ़ी कहा गया है. व्रत का तात्पर्य होता है, अपने इंद्रियों को वश में करने की विधि. फिर यही से हम व्रत की शुरुआत करते है और माता के सामने एक संकल्प लेते है कि मैं 9 दिन तक पूजा करूंगा और अखण्ड या फिर एक समय भोजन करने का प्रण लेते है. उसी उपवास के तप में मां दुर्गा को प्रसन्न करने का भक्त प्रयास करता है. शास्त्रों के अनुसार नवरात्र पर माता जल्दी अपने भक्तों पर प्रसन्न हो जाती है. नवरात्र पर देवी मां अपने सच्चे भक्तों पर विशेष कृपा रखती हैं. ऐसे में नवरात्र पर देवी मां जिन भक्तों पर प्रसन्न होती हैं, उन्हें शुभ आशीर्वाद देती हैं.
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