रामपुर बुशहर: लवी मेला हिमाचल का प्रमुख व्यापारिक मेला है. इसका उद्देश्य क्षेत्रीय व्यापार, संस्कृति और परंपराओं को बढ़ावा देना है. गुरुवार को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने चार दिवसीय मेले के समापन समारोह की अध्यक्षता की. इस दौरान सीएम मेले में लगी किन्नौरी मार्केट में पहुंची. सीएम के आगमन पर स्थानीय लोगों और व्यापारियों में उत्साह का माहौल था. सीएम ने इस दौरान किन्नौर से लाए गए विभिन्न उत्पादों का आवलोकन किया, जिसमें मुख्यतः ड्राई फ्रूट्स और पारंपरिक जड़ी-बूटियां शामिल थीं.
हिमाचल प्रदेश और विशेषकर किन्नौर के प्राकृतिक संसाधनों से मिलने वाले ये उत्पाद न केवल औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं, बल्कि इनकी विशिष्टता भी इन्हें अलग पहचान दिलाती है. मुख्यमंत्री ने यहां मौजूद चिलगोजा, बादाम, अखरोट, खुबानी और अन्य ड्राई फ्रूट्स का स्वाद चखा और उनके गुणों को सराहा. इसके साथ ही, उन्होंने इन उत्पादों के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने में रुचि दिखाई, ताकि इनके आर्थिक और स्वास्थ्यवर्धक लाभों को समझा जा सके. इसके अलावा, मुख्यमंत्री ने किन्नौर से लाई गई जड़ी-बूटियों के बारे में भी जानकारी प्राप्त की. किन्नौर की पारंपरिक जड़ी-बूटियां अपनी औषधीय विशेषताओं के लिए जानी जाती हैं और इनके उपयोग का इतिहास सदियों पुराना है. इन जड़ी-बूटियों का उपयोग विभिन्न बीमारियों के इलाज में होता है और इनका ज्ञान पीढ़ियों से पीढ़ियों तक चला आ रहा है. मुख्यमंत्री सुक्खू ने इन जड़ी-बूटियों के औषधीय उपयोगों को जानने में विशेष रुचि दिखाई, ताकि स्थानीय लोगों को इनसे अधिक लाभ मिल सके और इनकी व्यवसायिक संभावना को भी बढ़ावा दिया जा सके.
किन्नौरी मार्केट में पारंपरिक ऊनी वस्त्रों की प्रदर्शनी भी आयोजित की गई है, जिसे मुख्यमंत्री ने देखा और उसकी सराहना की. किन्नौर के ऊनी वस्त्र अपनी बुनाई की शैली, रंग संयोजन और डिजाइनों के लिए प्रसिद्ध हैं. इन वस्त्रों में पश्मीना, शॉल, टोपी, जैकेट आदि शामिल हैं, जो न केवल ठंड से बचाने के लिए उपयुक्त होते हैं, बल्कि इनके डिजाइन भी अत्यधिक आकर्षक होते हैं. मुख्यमंत्री ने इन वस्त्रों की गुणवत्ता और बुनकरों के हुनर की सराहना की. उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि किन्नौर के इन पारंपरिक वस्त्रों को व्यापक स्तर पर प्रचारित करने और अंतरराष्ट्रीय बाजार में पहुंचाने की जरूरत है.
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के दौरे के दौरान उनका विशेष ध्यान किन्नौर की संस्कृति और उसके उत्पादों को प्रोत्साहित करने पर रहा. उन्होंने मेले में आए व्यापारियों और स्थानीय लोगों के साथ बातचीत की और उनके उत्पादों की आर्थिक संभावनाओं पर भी विचार किया. उन्होंने कहा कि, 'सरकार किन्नौर के उत्पादों को देश-विदेश में पहचान दिलाने के लिए सभी आवश्यक प्रयास करेगी. उन्होंने मेले के दौरान स्थानीय शिल्पकारों और उत्पादकों को सहयोग देने का भी आश्वासन दिया, ताकि उनके द्वारा बनाए गए उत्पादों का उचित मूल्य प्राप्त हो सके और वA अपनी आर्थिक स्थिति को सुधार सकें.'