शिमला: एसएफआई राज्य कमेटी ने परीक्षाओं को लेकर गृह मंत्रालय व विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा जारी किए गए छात्र विरोधी निर्देशों के खिलाफ कैबिनेट की बैठक शुरू होने से पहले शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज को मांग पत्र सौंपा. इसमें एसएफआई राज्य कमेटी ने कहा कि कोरोना महामारी के कारण छात्र पहले ही मानसिक रूप से पीड़ित हैं. वहीं, दूसरी ओर परीक्षाओं को लेकर चल रहे असमंजस ने छात्रों की और अधिक चिंता बढ़ा दी है.
राज्य एसएफआई कमेटी ने कहा कि अब जल्दबाजी में केंद्र सरकार यूजीसी पर दबाव बनाकर कोरोना संकट में परीक्षाओं को करवाने का फैसला छात्रों पर थोपना चाहती है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
एसएफआई के राज्य सचिव अमित ठाकुर ने कहा कि कोरोना के चलते शिक्षण संस्थान अभी तक बंद है. हर रोज देश में कोरोना के हजारों मामले सामने आ रहे हैं. ऐसे में परीक्षाएं होने पर करोड़ों छात्र देश भर में इन परीक्षाओं का हिस्सा बनेंगे. साथ ही शिक्षा विभाग के लाखों कर्मचारी इन परीक्षाओं में शामिल होंगे, जिससे वायरस के फैलने की संभावना और अधिक बढ़ेगी.
इसलिए एसएफआई मांग करती है कि सरकार, एमएचआरडी और यूजीसी परीक्षाओं संबंधी अपने इस फैसले पर पुनर्विचार करें. साथ ही यूजीसी जल्द किसी अन्य मूल्यांकन विकल्प के साथ परीक्षा से संबंधित असमंजस को दूर करे. इसके अलावा शिक्षा पर 18 फीसदी जीएसटी लगाने का फैसला तुरंत वापिस लें और छात्रों की छात्रवृत्ति जल्द बहाल की जाए.
राज्य सचिव अमित ठाकुर ने केंद्र सरकार व राज्य सरकार पर छात्रों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार व गृह मंत्रालय जल्द इस छात्र विरोधी यूजीसी के फरमान को वापिस लें.
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