शिमला: पूर्व DGP और वरिष्ठ IPS अधिकारी संजय कुंडू अब हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं. संजय कुंडू ने हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के 9 जनवरी के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट रुख किया है. हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कुंडू को हिमाचल प्रदेश के डीजीपी पद से हटाने के आदेश को वापस लेने से इनकार किया था. हाई कोर्ट की खंडपीठ द्वारा 26 दिसंबर के आदेश को वापस लेने के लिए कुंडू के आवेदन को खारिज करने के एक दिन बाद कुंडू ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. सुप्रीम कोर्ट के समक्ष इस मामले में मुकदमेबाजी का यह दूसरा दौर है, जिसने पहले कुंडू को DGP पद से हटाने के हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी थी और पहले उनके वापस बुलाने के आवेदन पर फैसला लेने को कहा था.
कारोबारी निशांत शर्मा ने जताया था जान का खतरा: मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने सरकार से उस मामले की जांच के लिए एक हफ्ते के अंदर महानिरीक्षक स्तर से नीचे के अधिकारी की अध्यक्षता में एक SIT गठित करने को कहा, जिसमें पालमपुर के कारोबारी निशांत शर्मा ने अपने व्यापारिक साझेदारों से जान को खतरा होने की आशंका जताई थी. उन्होंने कुंडू के आचरण पर भी सवाल उठाया था और आरोप लगाया था कि अधिकारी ने उन्हें फोन किया था और शिमला आने के लिए कहा था.
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SP शालिनी अग्निहोत्री पर कोर्ट ने की थी ये टिप्पणी: हाई कोर्ट ने निर्देश दिया कि निशांत शर्मा और उनके परिवार को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान की जाए. सुप्रीम कोर्ट ने 3 जनवरी को हाई कोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी थी, जिसमें पालमपुर स्थित व्यवसायी की जान को खतरे की आशंका जताने वाली शिकायत के मद्देनजर सरकार को दो पुलिस अधिकारियों को स्थानांतरित करने का निर्देश दिया गया था. कोर्ट ने मामले को 28 फरवरी को अगली सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करते हुए ताजा स्थिति रिपोर्ट मांगी. SP शालिनी अग्निहोत्री के आचरण पर हाई कोर्ट ने कहा, "प्रथम दृष्टया एसपी कांगड़ा की ओर से कर्तव्य में लापरवाही हुई है. उनके पास 28 अक्टूबर, 2023 को निशांत शर्मा की ओर से की गई शिकायत की शुरुआती जांच करने का कानूनन कोई अधिकार नहीं था. निश्चित रूप से, 10 साल से अधिक की सेवा वाला आईपीएस अधिकारी कानूनी स्थिति जानता है."
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