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हिमाचल प्रदेश में कमजोर भवनों की होगी रेट्रोफिटिंग, पायलट आधार पर कुछ जिलों में कार्य शुरू करने की तैयारी - Himachal Floods

राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में हुए नुकसान को लेकर केंद्र सरकार से आर्थिक सहायता की मांग की गई है. मुख्य सचिव ने बताया कि बरसात के दौरान 6746.93 करोड़ रुपये के नुकसान होने का प्रस्ताव गृह मंत्रालय को भेजा गया है. वहीं, 10 अगस्त तक हुए नुकसान के आधार पर सहायता देने की केंद्र सरकार से मांग की गई है. पढ़ें पूरी खबर.. (Sukhu Govt Sent Proposal For Loss To Home Ministry )

Sukhu Govt Sent Proposal For Loss To Home Ministry
सुक्खू सरकार ने भेजा केंद्र को नुकसान के प्रस्ताव
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Aug 25, 2023, 9:53 PM IST

शिमला: राजधानी शिमला में शुक्रवार को मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना की अध्यक्षता में प्रदेश राज्य कार्यकारी समिति (एसईसी) की एक बैठक हुई. इस बैठक में आपदा संभावित क्षेत्रों की संवेदनशीलता की जांच करने और नुकसान को कम करने के लिए किए जाने वाले उपायों संबंधी योजनाओं पर चर्चा की गई, बैठक में आपदा की स्थिति में जान-माल के जोखिम को कम करने के लिए त्वरित सामूहिक प्रतिक्रिया को सुदृढ़ करने पर भी चर्चा की गई. मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने 20वीं एसईसी बैठक की अध्यक्षता की. समिति ने प्रदेश के चयनित नाजुक भवनों, स्कूलों और सामुदायिक स्वास्थ्य संस्थानों की भूकंप रेट्रोफिटिंग तथा इसके लिए कुछ जिलों में पायलट आधार पर परियोजना शुरू करने पर भी चर्चा की.

केंद्र सरकार को 6746 करोड़ के नुकसान के प्रस्ताव भेजे: मुख्य सचिव ने कहा कि केंद्र सरकार से सहायता लेने के दृष्टिगत 10 अगस्त तक 6746.93 रुपये की क्षति के संबंध में एक ज्ञापन गृह मंत्रालय को भेजा गया है. उन्होंने कहा कि आपदा प्रबंधन प्रकोष्ठ ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण से आपदा के बाद की जरूरतों का आकलन करने में राज्य की सहायता का भी आग्रह किया है ताकि पुनर्निर्माण और पुनर्वास गतिविधियों के लिए केंद्र सरकार से सहायता मांगी जा सके. उन्होंने कहा कि आपदा की दृष्टि से राज्य की संवेदनाशीलता का सघन आकलन किया जाना चाहिए और बाढ़ सुरक्षा, भूस्खलन, भूकंप और अन्य संवेदनशील स्थितियों के लिए एक स्थायी वैज्ञानिक योजना की तलाश की जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि किसी भी आपदा की स्थिति में पुलिस बल को आगे आकर कार्रवाई करनी होती है, ऐसे में इन बलों को त्वरित और प्रभावी प्रतिक्रिया के लिए भी प्रशिक्षित किया जाना आवश्यक है.

भवनों के संबंधित नियमों को सख्ती से लागू करने के दिए निर्देश: इस बैठक में आपदा प्रबंधन प्रकोष्ठ, जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, अग्निशमन सेवाएं, गृह रक्षक और नागरिक सुरक्षा को सुदृढ़ करने तथा सभी शहरी स्थानीय निकायों द्वारा आदर्श भवन नियम अपनाने और इनके सख्ती से कार्यान्वयन पर भी बल दिया गया. बैठक में ग्रामीण क्षेत्रों में सुरक्षित निर्माण, बड़ी परियोजनाओं के मूल्यांकन तथा सुरक्षित निर्माण उपायों को प्रोत्साहित करने के दृष्टिगत सुरक्षा प्रकोष्ठ स्थापित करने और नदी-नालों और उच्च ढलानों के समीप निर्माण को विनियमित करने पर भी चर्चा की गई. इसके अतिरिक्त राज्य आपदा प्रबंधन एवं क्षमता निर्माण संस्थान की स्थापना पर भी चर्चा की गई.

मुख्य सचिव ने प्रबोध सक्सेना ने राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल को सुदृढ़ करने और इसे अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी, औजारों एवं उपकरणों से सुसज्जित करने पर बल दिया. इसके अतिरिक्त राज्य में राष्ट्रीय आपदा मुख्यालय और क्षेत्रीय प्रतिक्रिया केंद्रों की स्थापना की प्रक्रिया में तेजी लाने तथा गृह मंत्रालय के मानदंडों के अनुसार राज्य में प्रतिक्रिया बल और एनडीआरएफ की तैनाती पर भी चर्चा की गई.

ये भी पढ़ें: हिमाचल के लिए पीएमएवाई के तहत अतिरिक्त 6,000 घरों के लिए केंद्र की मंजूरी: अनुराग ठाकुर

शिमला: राजधानी शिमला में शुक्रवार को मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना की अध्यक्षता में प्रदेश राज्य कार्यकारी समिति (एसईसी) की एक बैठक हुई. इस बैठक में आपदा संभावित क्षेत्रों की संवेदनशीलता की जांच करने और नुकसान को कम करने के लिए किए जाने वाले उपायों संबंधी योजनाओं पर चर्चा की गई, बैठक में आपदा की स्थिति में जान-माल के जोखिम को कम करने के लिए त्वरित सामूहिक प्रतिक्रिया को सुदृढ़ करने पर भी चर्चा की गई. मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने 20वीं एसईसी बैठक की अध्यक्षता की. समिति ने प्रदेश के चयनित नाजुक भवनों, स्कूलों और सामुदायिक स्वास्थ्य संस्थानों की भूकंप रेट्रोफिटिंग तथा इसके लिए कुछ जिलों में पायलट आधार पर परियोजना शुरू करने पर भी चर्चा की.

केंद्र सरकार को 6746 करोड़ के नुकसान के प्रस्ताव भेजे: मुख्य सचिव ने कहा कि केंद्र सरकार से सहायता लेने के दृष्टिगत 10 अगस्त तक 6746.93 रुपये की क्षति के संबंध में एक ज्ञापन गृह मंत्रालय को भेजा गया है. उन्होंने कहा कि आपदा प्रबंधन प्रकोष्ठ ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण से आपदा के बाद की जरूरतों का आकलन करने में राज्य की सहायता का भी आग्रह किया है ताकि पुनर्निर्माण और पुनर्वास गतिविधियों के लिए केंद्र सरकार से सहायता मांगी जा सके. उन्होंने कहा कि आपदा की दृष्टि से राज्य की संवेदनाशीलता का सघन आकलन किया जाना चाहिए और बाढ़ सुरक्षा, भूस्खलन, भूकंप और अन्य संवेदनशील स्थितियों के लिए एक स्थायी वैज्ञानिक योजना की तलाश की जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि किसी भी आपदा की स्थिति में पुलिस बल को आगे आकर कार्रवाई करनी होती है, ऐसे में इन बलों को त्वरित और प्रभावी प्रतिक्रिया के लिए भी प्रशिक्षित किया जाना आवश्यक है.

भवनों के संबंधित नियमों को सख्ती से लागू करने के दिए निर्देश: इस बैठक में आपदा प्रबंधन प्रकोष्ठ, जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, अग्निशमन सेवाएं, गृह रक्षक और नागरिक सुरक्षा को सुदृढ़ करने तथा सभी शहरी स्थानीय निकायों द्वारा आदर्श भवन नियम अपनाने और इनके सख्ती से कार्यान्वयन पर भी बल दिया गया. बैठक में ग्रामीण क्षेत्रों में सुरक्षित निर्माण, बड़ी परियोजनाओं के मूल्यांकन तथा सुरक्षित निर्माण उपायों को प्रोत्साहित करने के दृष्टिगत सुरक्षा प्रकोष्ठ स्थापित करने और नदी-नालों और उच्च ढलानों के समीप निर्माण को विनियमित करने पर भी चर्चा की गई. इसके अतिरिक्त राज्य आपदा प्रबंधन एवं क्षमता निर्माण संस्थान की स्थापना पर भी चर्चा की गई.

मुख्य सचिव ने प्रबोध सक्सेना ने राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल को सुदृढ़ करने और इसे अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी, औजारों एवं उपकरणों से सुसज्जित करने पर बल दिया. इसके अतिरिक्त राज्य में राष्ट्रीय आपदा मुख्यालय और क्षेत्रीय प्रतिक्रिया केंद्रों की स्थापना की प्रक्रिया में तेजी लाने तथा गृह मंत्रालय के मानदंडों के अनुसार राज्य में प्रतिक्रिया बल और एनडीआरएफ की तैनाती पर भी चर्चा की गई.

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