ETV Bharat / state

रामपुर के ऐतिहासिक फाग मेले का आगाज, पदम पैलेस के प्रांगण में देवता करते हैं शिरकत - रामपुर

रामपुर के ऐतिहासिक फाग मेले का आगाज. पदम पैलेस के प्रांगण में देवता करते हैं शिरकत.

राज महल के प्रांगण में देवता करते हैं शिरकत
author img

By

Published : Mar 22, 2019, 11:55 AM IST

रामपुरः फाग मेला प्रचीन काल में रियासतों के समय से बुशहर वंशज के राजकीय संरक्षण में हुआ करता था. रियासतों के बाद उप नगर परिषद रामपुर इसे प्रति वर्ष धूम-धाम से मनाती आ रही है. होली के अगले दिन फाग मेले का आयोजन किया जाता है.

PHAG FAIR
राज महल के प्रांगण में देवता करते हैं शिरकत

बता दें कि इस मेले की पूरी तैयारियां रामपुर नगर परिषद करता है. प्रचीन समय में तो राजा व प्रजा इस दिन एक दूसरे को रंग लगाते थे और होली की शुभकामनाएं देते थे, लेकिन समय के साथ अब सब कुछ बदल चुका है. अब इस मेले के लिए नगर परिषद द्वारा रामपुर व आस-पास के क्षेत्रों के देवी देवता इस मेले में आमंत्रित किए जाते हैं.

देवी देवता वाद्ययंत्रों व विभूषित लोक नृत्य मंडली सहित बड़ी शान-बान से मेले में भाग लेते हैं. यह मेला सांस्कृतिक महत्व रखते हुए विभिन्न पहाड़ी नृत्य गाने और मनोहारी, नयनभिराम तथा सौंदर्यपूर्ण कार्यक्रम से भरपूर एवं अपूर्व प्रदर्शन करता है. रंग-बिरंगे परिधानों में सजे लोग मेले में रंगीनी बिखेरते हैं. मेला तीन दिन तक मनाया जाता है.

रामपुर के ऐतिहासिक फाग मेले का आगाज

बुशहर क्षेत्र में देवी-देवताओं का अस्तित्व प्रत्येक गांव में सामाजिक जीवन का आवश्यक अंग है. यह मेला पदम पैलेस राज महल के प्रांगण में मनाया जाता है. तीन दिन इस प्रांगण में देवताओं के साथ आए देवलु और अन्य लोग नाटी डालते हैं. माना जाता है कि पहले लोग इस मेले में ही अपने रिश्तेदारों से मिल पाते थे. एक साल के बाद के लिए मेले मे आने का वादा किया जाता था, यदि कोई इस मेले में नहीं आता था तो माना जाता था की उस महिला या पुरुष की मृत्यु हो चुकी होगी या फिर किसी बीमारी के कारण इस मेले में नहीं आ पाए होंगे.

इस दौरान महिलाएं अपने साथ घर से गेहूं व चावल की मौड़ी भी लेकर आती थी और एक दूसरे को बांट कर मेले का आनंद लेती थीं. शुक्रवार से फाग मेला शुरू हो गया है. इसी कड़ी में अब देव आगमन शुरू हो जाएगा. रामपुर से सबसे बड़े देवता माने जाने वाले दत्त महाराज बसारा के देवता, गसो काजल, जाक रचोली कल शाम को पहुंच चुके हैं. ये देवता इस मेले के मुख्य माने जाते हैं. इनके आने के पश्चात ही अन्य देवता इस मेले में शिरकत करते हैं.

रामपुरः फाग मेला प्रचीन काल में रियासतों के समय से बुशहर वंशज के राजकीय संरक्षण में हुआ करता था. रियासतों के बाद उप नगर परिषद रामपुर इसे प्रति वर्ष धूम-धाम से मनाती आ रही है. होली के अगले दिन फाग मेले का आयोजन किया जाता है.

PHAG FAIR
राज महल के प्रांगण में देवता करते हैं शिरकत

बता दें कि इस मेले की पूरी तैयारियां रामपुर नगर परिषद करता है. प्रचीन समय में तो राजा व प्रजा इस दिन एक दूसरे को रंग लगाते थे और होली की शुभकामनाएं देते थे, लेकिन समय के साथ अब सब कुछ बदल चुका है. अब इस मेले के लिए नगर परिषद द्वारा रामपुर व आस-पास के क्षेत्रों के देवी देवता इस मेले में आमंत्रित किए जाते हैं.

देवी देवता वाद्ययंत्रों व विभूषित लोक नृत्य मंडली सहित बड़ी शान-बान से मेले में भाग लेते हैं. यह मेला सांस्कृतिक महत्व रखते हुए विभिन्न पहाड़ी नृत्य गाने और मनोहारी, नयनभिराम तथा सौंदर्यपूर्ण कार्यक्रम से भरपूर एवं अपूर्व प्रदर्शन करता है. रंग-बिरंगे परिधानों में सजे लोग मेले में रंगीनी बिखेरते हैं. मेला तीन दिन तक मनाया जाता है.

रामपुर के ऐतिहासिक फाग मेले का आगाज

बुशहर क्षेत्र में देवी-देवताओं का अस्तित्व प्रत्येक गांव में सामाजिक जीवन का आवश्यक अंग है. यह मेला पदम पैलेस राज महल के प्रांगण में मनाया जाता है. तीन दिन इस प्रांगण में देवताओं के साथ आए देवलु और अन्य लोग नाटी डालते हैं. माना जाता है कि पहले लोग इस मेले में ही अपने रिश्तेदारों से मिल पाते थे. एक साल के बाद के लिए मेले मे आने का वादा किया जाता था, यदि कोई इस मेले में नहीं आता था तो माना जाता था की उस महिला या पुरुष की मृत्यु हो चुकी होगी या फिर किसी बीमारी के कारण इस मेले में नहीं आ पाए होंगे.

इस दौरान महिलाएं अपने साथ घर से गेहूं व चावल की मौड़ी भी लेकर आती थी और एक दूसरे को बांट कर मेले का आनंद लेती थीं. शुक्रवार से फाग मेला शुरू हो गया है. इसी कड़ी में अब देव आगमन शुरू हो जाएगा. रामपुर से सबसे बड़े देवता माने जाने वाले दत्त महाराज बसारा के देवता, गसो काजल, जाक रचोली कल शाम को पहुंच चुके हैं. ये देवता इस मेले के मुख्य माने जाते हैं. इनके आने के पश्चात ही अन्य देवता इस मेले में शिरकत करते हैं.





प्रचीन काल  से मनाया जाता है रामपुर का फाग मेला ,आज से शुरू 



रामपुर बुशहर, 22 मार्च मीनाक्षी 
फाग मेला प्रचीन काल में रियासतों के समय से बुशहर वंशजें के राजकीय सरक्षण में हुआ करता था। रियासतों के सविलयन उपंत नगर परिषद रामपुर इसे प्रति वर्ष ठाट-बाट तथा धूम-धाम से मनाती ा रही है। होली के अगले दिन फाग मेले का आयोजन किया जाता है। जिसमे सभी तैयारियां रामपुर नगरपरिषद करता है। प्रचीन समय में तो राजा व प्रजा इस दिन एक दुसरे को रंग डालते थे और रंग लगाते थे। फिर वे एक दूसरे से गले मिलते थे और होली की शुभकामनाएं देते थे। लेकिन समय के साथ अब सब कुछ बदल चुका है। अब इस मेले के लिए नगर परिषद द्वारा रामपुर  व आस-पास के क्षेत्र के देवी देवताओं को इस मेले में आमंत्रिंत किया जाता है। जो अपने वाद्ययंत्रों व विभूषित लोक नृत्य मंडली सहित बड़ी शान -बान से मेले में भाग लेते है। यह मेला सांस्कृतिक महत्व रखते हुए स्थ्ज्ञान -स्थ्ज्ञान के विभिन्न पहाड़ी नृत्य गाने के मनोहारी, नयनभिराम तथा सौंदर्यपूर्ण कार्यक्रम से भरपूर एवं अपूर्व प्रदर्शन होता है। रंग-बिरंगे परिधानों में सजे नरञनारी मेले में रंगीनी बिखेरते है। यह मेला तीन दिन तक मनाया जाता है। यह दृष्य हर किसी को बहुत भाता है। 

बुशहर क्षेत्र में देवी-देवताओं का अस्तित्व प्रत्येक गांव में सामाजिक जीवन का आवश्यक अंग है। यह मेला पदम पैलस राज महल के प्रांगण में मनाया जाता है। तीन दिन इस प्रांगण में देवताओं के साथ्ज्ञ आए देवलु और अन्य लोग नाटी लगाते है।  माना जात है कि पहले लोग इस मेले में ही अपने रीशते दारों से मिल पाते थे। एक साल के बाद दुसरी साल के लिए मेले मे आने का वादा किया जाता था। यदि कोई इस मेले में नहीं आता थे तो माना जाता था की उस महिया या पुरूश की मृत्यु हो चुकी होगी या फिर किसी बीमारी के कारण इस मेले में नहीं आ पाएं होंगे। इस दौरान महिलाएं अपने साथ घर से गेहु व चावल की मौड़ी भी लेकर आती थी और एक दुसरे को बंट कर मेले का आनं लेती थी। आज से फाग मेला शुरू हो गया है। इसी कड़ी में अब देव आगमन शुरू हो जाएगा। रामपुर से सबसे बड़े देवता माने जाने वाले दत्त महाराज बसारा के देवता, गसो काजल, जाक रचोली कल शाम को पहुंच चुके है। यह देवता इस मेले के मुख्य माने जाते है। इनके आने के पश्चात ही अन्य देवता इस मेले में शिरकत करते है। 
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.