रामपुर बुशहर: शिमला के रामपुर बुशहर की दुर्गम पंचायत काशापाट के मिडिल स्कूल में ड्राइंग विषय का एक अकेला टीचर 20 छात्रों को सारे सब्जेक्ट पढ़ा रहा है. दरअसल, काशापाट के मिडिल स्कूल में टीचरों की भारी कमी चल रही है. हालात यह हैं कि स्कूल में 20 बच्चे पढ़ रहे हैं. वहीं इन छात्रों को पढ़ाने के लिए यहां पर ड्राइंग विषय का एक मात्र अध्यापक है. छात्रों को अंग्रेजी, मैथ से लेकर सभी सब्जेक्ट ड्राइंग अध्यापक के हवाले कर रखे हैं. बता दें कि यहां पर लगभग दो सालों से अध्यापकों के सभी पद खाली चल रहे हैं.
दरअसल, स्कूल में कक्षा छठी में 6 छात्र, कक्षा सातवीं में 7 छात्र और कक्षा आठवीं में भी 7 छात्र मौजूद हैं. इन सभी छात्रों को यहां पर शिक्षा एक ही अध्यापक दे रहे हैं. वहीं, ग्रामीणों इस समस्या को लेकर कई बार मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री , PWD मंत्री, सांसद प्रतिभा सिंह और स्थानीय विधायक नंदलाल को इस बारे में लिखित में अवगत करवाया है, लेकिन दुर्गम क्षेत्र के लोगों की समस्या को दरकिनार किया जा रहा है. एक ओर सरकार छात्रों को गुणवत्ता के आधार पर शिक्षा देने का वादा कर रही है तो वहीं, दूसरी ओर गांव में गरीब लोगों के बच्चों को स्कूल जाने के बावजूद भी शिक्षा नहीं मिल पा रही है.
ग्रामीणों का आरोप है कि इस स्कूल में 30 के करीब छात्र शिक्षा ग्रहण कर रहे थे, अब 20 छात्र रह गए हैं. उनका कहना है कि अभिभावकों को यहां से अपने बच्चों को तकलेच स्कूल और कंडी स्कूल भेजना पड़ा. अब जो छात्र यहां पर रह गए हैं, उनकी शिक्षा राम भरोसे दो साल से चल रही है. बार-बार सरकार के नुमाइंदों के मिलने के बावजूद भी कोई अध्यापक इस स्कूल के लिए नहीं भेजा जा रहा है. स्कूल में हालात इस कदर हो चुके हैं कि यहां पर सुबह छात्र स्कूल में पहुंचते हैं और शाम को मिड डे मील खाकर घर चले जाते हैं. अब यही यहां पर नियम बन चुका है, छात्र मात्र स्कूल में मिड डे मील खाने के लिए आ रहे हैं.
ग्राम पंचायत प्रधान काशापाट पुष्पा सनाटू का कहना है कि इस बारे कई बार प्रतिनिधिमण्डल शिक्षा मंत्री समेत अन्य मंत्रियों से बीते दो सालों से गुहार लगा रहे हैं, लेकिन इस स्कूल में कोई भी अध्यापक दो सालों से नहीं आ पाया है. ऐसे में छात्रों की शिक्षा काफी प्रभावित हो रही है. छात्रों के अभिभावक आर्थिक रूप से कमजोर हैं, अपने बच्चों को अन्य स्कूलों में भी नहीं भेज सकते हैं.
वहीं, पूर्व प्रधान काशापाट गोकल राम चौहान का कहना है कि काशापाट में न तो स्कूलों में शिक्षक हैं और न ही स्वास्थय केन्द्रों में डॉक्टर मौजूद हैं. ऐसे में दूरदराज क्षेत्र को सरकार द्वारा अनदेखी की जा रही है. ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को गुणवत्ता के आधार पर शिक्षा नहीं मिल पा रही है. सरकार के बेहतरीन शिक्षा देने के वादे जमीनी स्तर पर खोखले साबित हो रहे हैं. काशापाट मिडल स्कूल में अध्यापकों की तैनाती तक नहीं करवा पा रही है.