शिमला: आज पूरे देश में रामनवमी मनाई जा रही है. राजधानी शिमला में भी यह त्योहार मनाया जा रहा है. हालांकि कोरोना संक्रमण के चलते त्योहार की रौनक फीकी पड़ गई. राम नवमी के मौके पर राम मंदिर में भजन कीर्तन का आयोजन हुआ. मंदिर में आए लोगों ने फेस मास्क का सख्ती से पालन किया और सोशल डिस्टेंसिंग को बनाए रखा.
कोरोना नियमों के साथ मनाई रामनवमी
रामनवमी का त्योहार देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन भगवान राम की पूजा अर्चना भी की जाती है. शिमला के राम मंदिर में भी रामनवमी का त्योहार मनाया गया. सूद सभा के अध्यक्ष संजय सूद ने सभी प्रदेश वासियों को रामनवमी की शुभकामनाएं दी. उन्होंने कहा कि रामनवमी को लेकर भजन कीर्तन का आयोजन किया गया.
इस दौरान सभी लोगों ने कोरोना के नियमों का पालन किया. उन्होंने कहा कि सभी जानते हैं कि इस महामारी का प्रकोप पूरी दुनिया मे छाया हुआ है. इसलिए हमने लोगों की आस्था को ध्यान में रखते हुए बहुत ही कम लोगों को बुलाया. सूद सभा के सदस्य पहले भी सरकार की ओर से जारी निर्देशों का पालन करते रहे हैं और आगे भी करते रहेंगे.
क्यों मनाया जाता है राम नवमी का त्योहार
हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को हर साल रामनवमी का त्योहार मनाया जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन पुनर्वसु नक्षत्र और कर्क लग्न में अयोध्या में राजा दशरथ के घर भगवान विष्णु के सातवें अवतार प्रभु श्रीराम का जन्म हुआ था. मंदिर के पुजारी ने कहा कि जब धरती पर अत्याचार बढ़ता है तो भगवान अवतार लेते हैं.
उन्होंने कहा कि आज के दिन ही भगवान राम ने अयोध्या में राजा दशरथ के घर जन्म लिया था. उन्होंने कहा कि पौराणिक कथाओं के अनुसार लंका के राजा रावण के अत्याचार से पूरी जनता त्रस्त थी. रावण को उसके कर्मों की सजा देने के लिए ही भगवान विष्णु ने प्रभु श्रीराम के रूप में जन्म लेने का फैसला किया था.
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