शिमला: पूर्व विधानसभा अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल पर माकपा ने विधानसभा में हुई भर्तियों में भाई भतीजावाद अपनाने का आरोप लगाया है. उन्होंने सीएम से मामले की ज्यूडिशियल इंक्वायरी करवाने की मांग उठाई है. माकपा विधायक राकेश सिंघा ने शिमला में आयोजित प्रेसवार्ता में आरोप लगाए गए कि डॉ. बिंदल ने विधानसभा अध्यक्ष रहते हुए विधानसभा में 23 अक्तूबर 2019 को छह पदों की भर्तियां की थी.
माकपा नेता राकेश सिंघा ने आरोप लगाया कि इन भर्तियों में राजीव बिंदल ने तीन लोग अपने ही विधानसभा क्षेत्र से लगाए थे, जबकि अन्य तीन भी उनके करीबियों में से हैं. सिंघा ने कहा कि जिस तरह से सेनिटाइजर घोटाले में सरकार ने तुरंत विजिलेंस जांच बिठाई थी और बिंदल ने इस्तीफा दिया था. अब भी सीएम इस मामले की न्यायिक जांच करवाए. ऐसा न करने पर माकपा जनता के बीच या कोर्ट जाएगी.
राकेश सिंघा ने कहा कि छह पदों में एक पद लॉ ऑफिसर का भरा गया, जबकि नियमों के अनुसार विधानसभा में लॉ ऑफिसर का कोई भी पद नहीं होता. उन्होंने आरोप लगाया कि इस पद के लिए चुनी गई अभ्यर्थी डॉ. बिंदल के निजी सचिव और करीबी रिश्तेदार की बेटी है. इसी तरह एक पद असिस्टेंट लाइब्रेरियन का भरा गया, जिसमें चुनी गई अभ्यर्थी नगर परिषद सोलन में कार्यरत एक कर्मचारी की पत्नी है. इनकी नियुक्ति का मामला राजीव बिंदल के नगर परिषद अध्यक्ष रहते हुए विवादों में आया था.
राकेश सिंघा का आरोप है कि इस महिला की पहचान उजागर ना हो इसके चलते नियुक्ति के दौरान नियुक्ति पत्र में उसके पति का नहीं पिता का नाम दिया गया है. इसी तरह जूनियर ट्रांसलेटर के पद पर बिंदल ने अपने ही विस क्षेत्र से व्यक्ति की नियुक्ति है.
राकेश सिंघा के अनुसार दो पद चौकीदार के थे, जिसमें एक पद पर जिसकी नियुक्ति की गई है वह बीजेपी के बड़े नेता का भतीजा है. वहीं फ्राश के पद पर भी कालाअंब से एक व्यक्ति की नियुक्ति की गई, जिसके घर का एड्रेस ना देकर एक डाउटफुल एड्रेस दिया गया है.
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