शिमला: लॉकडाउन के दौरान फंसे मजदूर अपने गांव पलायन कर रहे हैं ,ऐसे में इन लोगों को उनके घर तक पहुंचाने वाले बस चालकों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. शिमला से उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, झारखंड और अन्य जगहों पर मजदूरों को पहुंचाने वाले ड्राइवर और बस मालिकों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा. बस मालिक और ड्राइवरों का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान एक तरफ रोजी -रोटी कमाना मुश्किल हो गया है .वहीं ,मजदूरों को शिमला से बाहरी राज्यों तक पहुंचाने के बाद उन्हें क्वारंटाइन होना पड़ रहा हैं. इससे परिवार को पालना भारी पड़ रहा है.
प्राइवेट गाड़ियों की बुकिंग
बस मालिक प्रभात और चालक मनीष का कहना है कि कोरोना वायरस के चलते लगाए गए लॉकडाउन में शिमला में फंसे दूसरे राज्य के मजदूर पलायन कर रहे हैं, ऐसे में फिलहाल सभी तरह की सरकारी यातयात सेवा बंद पड़ी है. मजदूर मजबूर होकर अपने पैसों से ही अपने गांव जाने के लिए प्राइवेट बसों या अन्य वाहनों की बुकिंग कर रहे हैं , लेकिन जब इन मजदूरों को छोड़कर वापस आते हैं तो जिले की सीमाओं पर क्वारंटाइन होना पड़ता है.
कोई समाधान नहीं निकला
उन्होंने कहा कि उनकी बसें बार बार मजदूरों को लेकर जा रही, लेकिन हर बार ड्राइवर को क्वारंटाइन होना पड़ रहा है ,जिससे उनका कारोबार पर असप पड़ रहा. उन्होंने कहा कि उनके पास इतने ज्यादा बस चालक नहीं जिन्हें हर बार बदला जा सके. उन्होंने कहा कि इस बारे में उन्होंने डीसी से भी बात की थी, लेकिन किसी तरह का कोई हल नहीं निकला. उन्होंने सरकार से मांग की है कि जब तक बस चालकों के भीतर किसी तरह के लक्षण नहीं मिलते .तब तक उन्हें नियमित आने जाने दिया जाए, ताकि लॉकडाउन में उनका कामकाज प्रभावित नहीं हो और परिवार को परेशानियों का सामना नहीं करना पड़े.
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