शिमलाः कोरोना काल के बीच निजी स्कूल तानाशाही पर उतर आए हैं. शिमला में स्थित एक निजी स्कूल ने विद्यार्थियों को बढ़ी हुई फीस न देने के कारण ऑनलाइन कक्षा से बाहर कर दिया है. छात्र अभिभावक मंच ने स्कूल प्रबंधन पर ट्यूशन फीस में की गई 50 फीसदी बढ़ोतरी और फीस जमा न कराने पर बच्चों को ऑनलाइन कक्षाओं से बाहर करने की कड़ी निंदा की है. छात्र अभिभावक मंच ने शिक्षा निदेशक और शिमला के उपायुक्त से हस्तक्षेप की मांग की है, ताकि इन निजी स्कूल की मनमानी रुक सके.
तानाशाही कर रहा स्कूल
छात्र अभिभावक मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा ने कहा कि फीस ना देने पर छात्रों को ऑनलाइन कक्षा से बाहर करना सरासर गलत है. स्कूल ऐसा करके छात्रों को मानसिक तौर पर प्रताड़ित किया जा रहा है. मेहरा ने कहा कि मनमानी फीस और 50 फीसदी ट्यूशन फीस बढ़ोतरी के खिलाफ मंच के प्रतिनिधि 28 अप्रैल और 18 जून को शिक्षा निदेशक से मिले थे. इस संबंध में शिक्षा निदेशक को ज्ञापन भी सौंपा गया था, लेकिन शिक्षा निदेशक की ओर से कार्रवाई ना करने की वजह से स्कूल के हौसले बुलंद हैं. उन्होंने कहा कि स्कूल बिना डरे छात्रों को ऑनलाइन कक्षा से बाहर कर रहा है, जो नियमों के खिलाफ है.
उपायुक्त की भूमिका पर खड़े किए सवाल
छात्र अभिभावक मंच ने शिमला के उपायुक्त आदित्य नेगी की भूमिका पर भी सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने कहा कि स्कूल तानाशाही पर उतर आया है. अभिभावकों पर विद्यार्थियों के जरिए मनमानी फीस जमा कराने का दबाव बनाया जा रहा है. प्रदेश सरकार ने निवारण कमेटी के माध्यम से उपायुक्त को शक्तियां दी हैं, लेकिन बावजूद इसके उपायुक्त की ओर से इस संदर्भ में कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है.
छात्र अभिभावक मंच ने उपायुक्त से स्कूल पर कार्रवाई न करने का कारण भी पूछा है. मंच का कहना है कि स्कूल की ओर से सरेआम विद्यार्थियों को मानसिक प्रताड़ना दी जा रही है. इससे आगामी समय में अनहोनी का भी डर है, लेकिन हैरानी की बात है कि उपायुक्त इस संदर्भ में कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं. मंच ने जिला प्रशासन और स्कूल प्रबंधन पर मिलीभगत होने का भी आरोप लगाया है.
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