शिमला: हिमाचल में राजनीति के किंग कहे जाने वाले वीरभद्र सिंह (Virbhadra Singh) का एक-एक शब्द सियासी गलियारे में हलचल पैदा करता आया है. उम्र के इस पड़ाव पर भी वीरभद्र सिंह का तिल के समान दिया गया बयान भी सियासी ताड़ बन जाता है.
हाल ही में वीरभद्र सिंह ने सोलन के कुठाड़ में अपने प्रवास के दौरान जो बात कही उससे हिमाचल कांग्रेस में भूचाल आ गया. उनके इस बयान के साथ ही छह बार के मुख्यमंत्री रहे वीरभद्र सिंह के बाद हिमाचल में कांग्रेस की सत्ता वाली कमान कौन संभालेगा, इस पर जोर-शोर से चर्चा शुरू हो गई है.
वीरभद्र सिंह (Virbhadra Singh) के चुनाव नहीं लड़ने वाले बयान से ना सिर्फ हिमाचल की सियासत में ही बल्कि कांग्रेस में भी हलचल पैदा कर दी थी. इस दौरान नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री उन्हें मनाने के लिए कुठाड़ पहुंचे वहां एक संवाद के जरिए कांग्रेस और प्रदेश की जनता तक यह संदेश पहुंचाया गया कि वीरभद्र सिंह आधुनिक हिमाचल के निर्माता हैं और उनकी सक्रिय मार्गदर्शन के बिना पार्टी पंगु हो जाएगी.
कार्यकर्ता से लेकर पार्टी नेताओं और समर्थकों का दवाब जब पड़ा तो शाम होते-होते वीरभद्र सिंह ने सबकी बात मानते हुए अपने बयान को बदलते हुए चुनाव लड़ने की बात कही. ना सिर्फ चुनाव लड़ने बल्कि सातवीं बार हिमाचल प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने की हुंकार भी भरी.
वीरभद्र के बाद कौन ?
यह तो बात हो गई वीरभद्र सिंह और उनके हिमाचल कांग्रेस सहित प्रदेश की जनता पर प्रभाव की, लेकिन इसके साथ ही यह सवाल भी हवा में तैर रहा है कि वीरभद्र सिंह के बाद कांग्रेस की ओर से हिमाचल में सीएम पद का दावेदार कौन हौगा ?
तीन साल पहले हिमाचल में विधानसभा चुनाव हुए थे तो जनता ने बड़े-बड़े दिग्गजों को नकार दिया. कांग्रेस की ओर से सीएम पद के दावेदार कौल सिंह ठाकुर, ठाकुर सिंह भरमौरी, सुधीर शर्मा तक चुनाव हार गए. इसके साथ ही कांग्रेस की वरिष्ठ नेता विद्या स्टोक्स तो चुनावी मैदान में भी नहीं उतर पाईं.
मौजूदा समय में देखें तो कांग्रेस में सीएम पद की महत्वकांक्षा पालने वाले कई नेता हैं. इनमें नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री, जीएस बाली, सुखविंद्र सिंह सुक्खू फ्रंट रनर हैं. इसके अलावा सुधीर शर्मा और कौल सिंह का नाम भी इसमें शामिल किया जा सकता है.
कौल सिंह के लिए उम्र बेशक तकादा है, लेकिन उन्होंने खुलेआम कई बार ये इच्छा जताई थी कि वह सीएम बनना चाहते हैं, ऐसे में कांग्रेस के अंदर ही ऐसे कई दिग्गज हैं जो प्रदेश की कमान अपने हाथों में लेने के सपने देख रहे हैं.
वीरभद्र सिंह का नेतृत्व जरूरी
अभी की परिस्थितियां देखी जाएं तो ये सभी जानते हैं कि वीरभद्र सिंह (Virbhadra Singh) ना सिर्फ कांग्रेस में सबसे वरिष्ठ नेता हैं बल्कि प्रदेश के सभी राजनीतिक दल उनकी इज्जत करते हैं. इसलिए ही उन्हें 'राजनीति के राजा' उपनाम भी मिला है. वीरभद्र सिंह के बिना कांग्रेस के किसी भी बड़े नेता के लिए आगे बढ़ना मुश्किल है.
यही कारण है कि कांग्रेस के सभी नेता वीरभद्र सिंह से जुड़े किसी भी मसले पर सोच समझ कर बोलते हैं. यह अलग है कि सुखविंदर सिंह सुक्खू और वीरभद्र सिंह के बीच का रिश्ता खटास वाला था. दोनों एक दूसरे पर शब्द बाण चलाने का कोई मौका नहीं छोड़ते थे.
वहीं, पूर्व मंत्री जीएस बाली सत्ता का केंद्र कांगड़ा की तरफ मोड़ना चाहते हैं, लेकिन पिछले चुनाव में मिली हार से उनके ख्वाब को झटका लगा है. इस स्थिति में मुकेश अग्निहोत्री जरूर मजबूत नजर आते हैं, लेकिन उनकी राह में रोड़ों की कोई कमी नहीं है.
क्या कहते हैं कांग्रेस नेता ?
कांग्रेस उपाध्यक्ष और सुजानपुर से विधायक राजेंद्र राणा (MLA Rajendra Rana) कहते हैं कि 2022 में पार्टी वीरभद्र सिंह के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ेगी. राजेंद्र राणा ने कहा, ''वीरभद्र सिंह प्रदेश के कद्दावर नेता हैं और लोग उनके साथ दिल से जुड़े हुए हैं. प्रदेश के लोग भी यही चाहते हैं कि वीरभद्र सिंह चुनाव लड़ें और पूरी कांग्रेस उनके साथ खड़ी है.''
कांग्रेस के महासचिव और वीरभद्र सिंह के पुत्र विक्रमादित्य सिंह का कहना है कि चुनाव लड़ना या ना लड़ना वीरभद्र सिंह का अपना निजी फैसला है, लेकिन प्रदेश के लोग वीरभद्र सिंह के साथ खड़े हैं और लोग ये चाहते हैं कि वे चुनाव लड़ें और इस स्थिति में वे चुनाव लड़ते हैं तो इसका फायदा कांग्रेस को जरूर होगा.
प्रदेश में कांग्रेस की स्थिति को लेकर वरिष्ठ पत्रकार धनंजय शर्मा का कहना है कि हिमाचल में कांग्रेस बिना वीरभद्र सिंह के नेतृत्व के चुनाव नहीं लड़ सकती. अगर कांग्रेस ऐसा करती है कांग्रेस को इससे नुकसान हो सकता है. वीरभद्र सिंह एक ऐसे नेता हैं जिनका पूरे प्रदेश में प्रभाव है, जबकि अन्य नेता केवल अपने जिला तक ही सीमित हैं.
इस समय अगर बात की जाए तो जिन नेताओं में सीएम बनने को लेकर पशोपेश रहेगी वो आशा कुमारी, मुकेश अग्निहोत्री और ठाकुर राम लाल हैं. या फिर जीएस बाली, सुधीर शर्मा और कौल सिंह ठाकुर मुख्यमंत्री बनने की रेस में हैं, लेकिन इन नेताओं का पूरे प्रदेश में अपना प्रभाव नहीं है. ऐसे में कांग्रेस के पास केवल वीरभद्र सिंह ही विकल्प हैं.
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