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जयराम ठाकुर का राजनीतिक सफर: छात्र राजनीति से लेकर देवभूमि के मुख्यमंत्री तक

हिमाचल की सरकार (Himachal Pradesh Election 2022) बारी-बारी से भले ही बदलती रहती है ,लेकिन एक नाम ऐसा है जिसने यहां एक नए युग की शुरुआत की. सीएम जयराम ठाकुर ऐसा ही नाम है जिनकी छवि के कारण ही उन्हें बीजेपी ने देवभूमि की बागडोर सौंप दी. जयराम ठाकुर के राजनीतिक जीवन के सफर के बारे में विस्तार से जानिए..

Political Journey Of JaiRam Thakur
Political Journey Of JaiRam Thakur
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Published : Oct 19, 2022, 11:45 AM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश में सत्ता का सिंहासन बारी-बारी से बेशक कांग्रेस और भाजपा के हिस्से आता रहा है, लेकिन वर्ष 2018 ने देवभूमि की राजनीति में नए युग की शुरुआत की है. पहली बार मुख्यमंत्री का पद एक ऐसे राजनेता को हासिल हुआ है, जिसकी विनम्र छवि से प्रदेश का आम जनमानस खुद को जुड़ा हुआ पाता है. जयराम ठाकुर (Political Journey Of JaiRam Thakur) की छवि और अंदाज ने हिमाचलवासियों को काफी प्रभावित किया है.

जयराम ठाकुर ने लगातार पांच बार दर्ज की जीत: जयराम ठाकुर (JaiRam Thakur From student politics to Himachal CM) से जुड़ाव महसूस करने के कई कारण है. जयराम ठाकुर साधारण ग्रामीण पृष्ठभूमि से आते हैं और उनका राजनीतिक जीवन संघर्षों से भरा हुआ है. छात्र राजनीति से तप कर निकले जयराम ठाकुर ने संगठन में भी सक्रियता से काम किया. इस बार वे पांचवीं दफा चुनाव जीते और हाईकमान ने उन पर भरोसा जताते हुए मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी सौंप दी. हिमाचल के राजनीतिक इतिहास में ये भी पहली बार हुआ है कि मुख्यमंत्री की कुर्सी मंडी जिला को मिली है. इससे पहले सिरमौर, शिमला, कांगड़ा व हमीरपुर जैसे बड़े जिलों को ही मुख्यमंत्री देने का गौरव हासिल हुआ था.

जयराम ठाकुर का राजनीतिक सफर

कई अहम जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया: वर्ष 2018 को राजनीतिक नजरिए से देखें तो कई अहम घटनाएं हुई हैं. यहां सबसे प्रमुख घटना के तौर पर जयराम ठाकुर के राजनीतिक जीवन पर नजर डालते हैं. मंडी जिला के दुर्गम इलाके से संबंध रखने वाले जयराम ठाकुर छात्र जीवन से राजनीति में रुचि लेने लगे थे. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से लेकर भारतीय जनता युवा मोर्चा, पार्टी अध्यक्ष, चुनावी राजनीति, विधायक, मंत्री और फिर मुख्यमंत्री तक की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं.

पढ़ें- पुरानी पेंशन को बहाल करने को लेकर शोर मचाने वालों के बहकावे में न आएं कर्मचारी'

इन कारणों से मिली मुख्यमंत्री की कुर्सी: खुद जयराम ठाकुर स्वीकार करते हैं कि उन्होंने इस उंचाई तक पहुंचने की कल्पना नहीं की थी. जयराम ठाकुर ने वर्ष 2018 में 27 दिसंबर को शिमला के ऐतिहासिक रिज मैदान पर मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. इस अवसर पर पीएम नरेंद्र मोदी से लेकर पार्टी अध्यक्ष अमित शाह व भाजपा के तमाम बड़े नेता मौजूद थे. ये जयराम ठाकुर के नए राजनीतिक जीवन की भव्य शुरुआत थी. सिराज विधानसभा क्षेत्र से पांचवीं बार चुनाव जीते जयराम ठाकुर चुनाव परिणाम आने के बाद से ही सीएम पद की रेस में सबसे आगे थे. सबसे बड़ा कारण ये था कि भाजपा के मुख्यमंत्री चेहरे प्रेम कुमार धूमल को चुनाव में हार मिली थी. इस तरह जयराम ठाकुर के हिस्से में सत्ता का सिंहासन आया. उनके पक्ष में न केवल संघ से नजदीकी, संगठन कार्य का अनुभव व निर्विवाद छवि थी, बल्कि केंद्र में कद्दावर नेता जेपी नड्डा का वरदहस्त भी था. (Jairam Thakur Profile)

जयराम ठाकुर ने की नए युग की शुरुआत: जयराम ठाकुर देश के छोटे लेकिन अहम पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश के छठे सीएम बने हैं. इतिहास पर नजर दौड़ाएं तो हिमाचल निर्माता स्व. डॉ. वाईएस परमार को पहले मुख्यमंत्री बनने का गौरव हासिल हुआ था. डॉ. परमार के अलावा ऊपरी शिमला से संबंध रखने वाले दिग्गज कांग्रेस नेता ठाकुर रामलाल, वीरभद्र सिंह, शांता कुमार व प्रेम कुमार धूमल हिमाचल के मुख्यमंत्री रहे हैं. इनमें से वीरभद्र सिंह को अकेले छह दफा मुख्यमंत्री बनने का सौभाग्य हासिल हुआ था. शांता कुमार व प्रेम कुमार धूमल को दो-दो बार यह गौरव हासिल हुआ है. रामलाल ठाकुर भी दो दफा सीएम रहे. पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने के बाद डा. परमार केवल एक दफा सीएम रहे. इस तरह जयराम ठाकुर, डॉ. परमार, ठाकुर रामलाल, वीरभद्र सिंह, शांता कुमार व प्रेम कुमार धूमल के बाद राज्य के छठे सीएम हैं. वहीं, दूसरी तरफ चूंकि ये तेरहवीं विधानसभा है, लिहाजा वे 13वें सीएम भी माने जाएंगे. जयराम ठाकुर से पहले कांग्रेस शासन में कर्म सिंह ठाकुर,पंडित सुखारम व कौल सिंह ठाकुर तीनों ही मुख्यमंत्री पद के सशक्त दावेदार रहे, मगर किस्मत उनके साथ नहीं थी. अब जयराम ठाकुर के नाम से मंडी जिला व प्रदेश में राजनीति के नए युग की शुरुआत हुई है.

जयराम ठाकुर का राजनीतिक जीवन: जयराम ठाकुर का जन्म 6 जनवरी 1965 को मंडी जिला में हुआ. वे छात्र संगठन एबीवीपी के जरिए राजनीति में आए और संगठन में रहे. वर्ष 1986 में एबीवीपी के संयुक्त प्रदेश सचिव बने. वर्ष 1989 से 93 तक जम्मू-कश्मीर में संगठन में कार्य किया. वर्ष 1993 से 95 तक वह भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा के प्रदेश सचिव व प्रदेश अध्यक्ष भी रहे. वर्ष 2000 से 2003 तक वह जिला मंडी भाजपा अध्यक्ष रहे और 2003 से 2005 तक भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष रहे. वर्ष 2006 में जयराम भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बने. वर्ष 1998 में वह पहली बार चच्योट से विधायक चुने गए और इसके बाद 2003 तथा 2007 में चच्योट विधानसभा सीट से लगातार जीत हासिल करते रहे. वर्ष 2007 में उन्होंने भाजपा के अध्यक्ष के तौर पर चुनावों में जीत दर्ज न करने का मिथक को तोड़ते हुए लगातार तीसरी जीत हासिल की और धूमल सरकार में पंचायती राज मंत्री बने. डी-लिमिटेशन के बाद उन्होंने 2012 में सिराज से चुनाव लड़ा और कांग्रेस की तारा ठाकुर को 5752 मतों से पराजित किया. वर्ष 2017 में कांग्रेस के चेत राम को 11254 मतों से हराया और हिमाचल के मुख्यमंत्री बने.

जयराम के सीएम बनते ही जश्न में डूब गया था मंडी: हिमाचल में जयराम ठाकुर के सीएम बनते ही खुशी का माहौल देखने को मिला. उनके पैतृक गांव तांदी सहित पूरे मंडी जिला में जश्न का माहौल था. उस समय जयराम ठाकुर की मां ब्रिकमू देवी बहुत खुश थीं और उन्होंने एक लाइन में ही संपूर्ण तस्वीर खींचते हुए कहा था- मेरा बेटा ईमानदार है, अच्छा काम करेगा. बुजुर्ग ब्रिकमु देवी हिंदी बोलने में असहज महसूस करती हैं. बहुधा वे मंडी की लोकल बोली में बात करती हैं. जयराम ठाकुर के पिता जेठूराम का दिसंबर 2017 में निधन हो गया था. मुख्यमंत्री बनने के बाद ब्रिकमु देवी ने रुंधे हुए कंठ से कहा था कि कितना अच्छा होता यदि बेटे को इस ऊंचाई पर पहुंचता देखने के लिए पिता भी मौजूद होते.

पांच भाई-बहनों में चौथे नंबर पर हैं सीएम जयराम: जयराम ठाकुर पांच भाई-बहनों में चौथे नंबर पर हैं. उनके परिवार में सबसे बड़ी बहन पूर्णू देवी हैं. पूर्णू देवी के बाद भाई अनंतराम व वीर सिंह हैं. अनंतराम फर्नीचर व्यवसाय से जुड़े हैं तो वीर सिंह ठेकेदारी करते हैं. चौथे नंबर पर जयराम ठाकुर हैं, जो अब प्रदेश के मुख्यमंत्री के पद पर विराजमान हैं. सबसे छोटी बहन अनु आंगनवाड़ी में कार्यरत हैं. परिवार का रहन-सहन साधारण हैं. मां ब्रिकमू देवी और बहन अनु के अनुसार पिता जेठूराम बेटे को ऊंची पदवी पर विराजमान होते देखना चाहते थे. नियति ने उन्हें 25 दिसंबर 2017 को ही परिवार से छीन लिया. बीमारी की हालत में भी पिता जेठूराम को यही उम्मीद थी कि विधानसभा चुनाव में वे अपने बेटे के पक्ष में मतदान करते. उन्हें पूरी आशा थी कि जिस मेहनत व समर्पण से जयराम ने अपने तीन दशक के राजनीतिक जीवन में काम किया है, वे ऊंचाई हासिल करेंगे. अब जयराम ठाकुर प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं, लेकिन उन्हें इस रूप में देखने के लिए पिता इस संसार में नहीं हैं. जयराम ठाकुर को भी इसका मलाल है.

शिमला: हिमाचल प्रदेश में सत्ता का सिंहासन बारी-बारी से बेशक कांग्रेस और भाजपा के हिस्से आता रहा है, लेकिन वर्ष 2018 ने देवभूमि की राजनीति में नए युग की शुरुआत की है. पहली बार मुख्यमंत्री का पद एक ऐसे राजनेता को हासिल हुआ है, जिसकी विनम्र छवि से प्रदेश का आम जनमानस खुद को जुड़ा हुआ पाता है. जयराम ठाकुर (Political Journey Of JaiRam Thakur) की छवि और अंदाज ने हिमाचलवासियों को काफी प्रभावित किया है.

जयराम ठाकुर ने लगातार पांच बार दर्ज की जीत: जयराम ठाकुर (JaiRam Thakur From student politics to Himachal CM) से जुड़ाव महसूस करने के कई कारण है. जयराम ठाकुर साधारण ग्रामीण पृष्ठभूमि से आते हैं और उनका राजनीतिक जीवन संघर्षों से भरा हुआ है. छात्र राजनीति से तप कर निकले जयराम ठाकुर ने संगठन में भी सक्रियता से काम किया. इस बार वे पांचवीं दफा चुनाव जीते और हाईकमान ने उन पर भरोसा जताते हुए मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी सौंप दी. हिमाचल के राजनीतिक इतिहास में ये भी पहली बार हुआ है कि मुख्यमंत्री की कुर्सी मंडी जिला को मिली है. इससे पहले सिरमौर, शिमला, कांगड़ा व हमीरपुर जैसे बड़े जिलों को ही मुख्यमंत्री देने का गौरव हासिल हुआ था.

जयराम ठाकुर का राजनीतिक सफर

कई अहम जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया: वर्ष 2018 को राजनीतिक नजरिए से देखें तो कई अहम घटनाएं हुई हैं. यहां सबसे प्रमुख घटना के तौर पर जयराम ठाकुर के राजनीतिक जीवन पर नजर डालते हैं. मंडी जिला के दुर्गम इलाके से संबंध रखने वाले जयराम ठाकुर छात्र जीवन से राजनीति में रुचि लेने लगे थे. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से लेकर भारतीय जनता युवा मोर्चा, पार्टी अध्यक्ष, चुनावी राजनीति, विधायक, मंत्री और फिर मुख्यमंत्री तक की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं.

पढ़ें- पुरानी पेंशन को बहाल करने को लेकर शोर मचाने वालों के बहकावे में न आएं कर्मचारी'

इन कारणों से मिली मुख्यमंत्री की कुर्सी: खुद जयराम ठाकुर स्वीकार करते हैं कि उन्होंने इस उंचाई तक पहुंचने की कल्पना नहीं की थी. जयराम ठाकुर ने वर्ष 2018 में 27 दिसंबर को शिमला के ऐतिहासिक रिज मैदान पर मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. इस अवसर पर पीएम नरेंद्र मोदी से लेकर पार्टी अध्यक्ष अमित शाह व भाजपा के तमाम बड़े नेता मौजूद थे. ये जयराम ठाकुर के नए राजनीतिक जीवन की भव्य शुरुआत थी. सिराज विधानसभा क्षेत्र से पांचवीं बार चुनाव जीते जयराम ठाकुर चुनाव परिणाम आने के बाद से ही सीएम पद की रेस में सबसे आगे थे. सबसे बड़ा कारण ये था कि भाजपा के मुख्यमंत्री चेहरे प्रेम कुमार धूमल को चुनाव में हार मिली थी. इस तरह जयराम ठाकुर के हिस्से में सत्ता का सिंहासन आया. उनके पक्ष में न केवल संघ से नजदीकी, संगठन कार्य का अनुभव व निर्विवाद छवि थी, बल्कि केंद्र में कद्दावर नेता जेपी नड्डा का वरदहस्त भी था. (Jairam Thakur Profile)

जयराम ठाकुर ने की नए युग की शुरुआत: जयराम ठाकुर देश के छोटे लेकिन अहम पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश के छठे सीएम बने हैं. इतिहास पर नजर दौड़ाएं तो हिमाचल निर्माता स्व. डॉ. वाईएस परमार को पहले मुख्यमंत्री बनने का गौरव हासिल हुआ था. डॉ. परमार के अलावा ऊपरी शिमला से संबंध रखने वाले दिग्गज कांग्रेस नेता ठाकुर रामलाल, वीरभद्र सिंह, शांता कुमार व प्रेम कुमार धूमल हिमाचल के मुख्यमंत्री रहे हैं. इनमें से वीरभद्र सिंह को अकेले छह दफा मुख्यमंत्री बनने का सौभाग्य हासिल हुआ था. शांता कुमार व प्रेम कुमार धूमल को दो-दो बार यह गौरव हासिल हुआ है. रामलाल ठाकुर भी दो दफा सीएम रहे. पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने के बाद डा. परमार केवल एक दफा सीएम रहे. इस तरह जयराम ठाकुर, डॉ. परमार, ठाकुर रामलाल, वीरभद्र सिंह, शांता कुमार व प्रेम कुमार धूमल के बाद राज्य के छठे सीएम हैं. वहीं, दूसरी तरफ चूंकि ये तेरहवीं विधानसभा है, लिहाजा वे 13वें सीएम भी माने जाएंगे. जयराम ठाकुर से पहले कांग्रेस शासन में कर्म सिंह ठाकुर,पंडित सुखारम व कौल सिंह ठाकुर तीनों ही मुख्यमंत्री पद के सशक्त दावेदार रहे, मगर किस्मत उनके साथ नहीं थी. अब जयराम ठाकुर के नाम से मंडी जिला व प्रदेश में राजनीति के नए युग की शुरुआत हुई है.

जयराम ठाकुर का राजनीतिक जीवन: जयराम ठाकुर का जन्म 6 जनवरी 1965 को मंडी जिला में हुआ. वे छात्र संगठन एबीवीपी के जरिए राजनीति में आए और संगठन में रहे. वर्ष 1986 में एबीवीपी के संयुक्त प्रदेश सचिव बने. वर्ष 1989 से 93 तक जम्मू-कश्मीर में संगठन में कार्य किया. वर्ष 1993 से 95 तक वह भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा के प्रदेश सचिव व प्रदेश अध्यक्ष भी रहे. वर्ष 2000 से 2003 तक वह जिला मंडी भाजपा अध्यक्ष रहे और 2003 से 2005 तक भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष रहे. वर्ष 2006 में जयराम भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बने. वर्ष 1998 में वह पहली बार चच्योट से विधायक चुने गए और इसके बाद 2003 तथा 2007 में चच्योट विधानसभा सीट से लगातार जीत हासिल करते रहे. वर्ष 2007 में उन्होंने भाजपा के अध्यक्ष के तौर पर चुनावों में जीत दर्ज न करने का मिथक को तोड़ते हुए लगातार तीसरी जीत हासिल की और धूमल सरकार में पंचायती राज मंत्री बने. डी-लिमिटेशन के बाद उन्होंने 2012 में सिराज से चुनाव लड़ा और कांग्रेस की तारा ठाकुर को 5752 मतों से पराजित किया. वर्ष 2017 में कांग्रेस के चेत राम को 11254 मतों से हराया और हिमाचल के मुख्यमंत्री बने.

जयराम के सीएम बनते ही जश्न में डूब गया था मंडी: हिमाचल में जयराम ठाकुर के सीएम बनते ही खुशी का माहौल देखने को मिला. उनके पैतृक गांव तांदी सहित पूरे मंडी जिला में जश्न का माहौल था. उस समय जयराम ठाकुर की मां ब्रिकमू देवी बहुत खुश थीं और उन्होंने एक लाइन में ही संपूर्ण तस्वीर खींचते हुए कहा था- मेरा बेटा ईमानदार है, अच्छा काम करेगा. बुजुर्ग ब्रिकमु देवी हिंदी बोलने में असहज महसूस करती हैं. बहुधा वे मंडी की लोकल बोली में बात करती हैं. जयराम ठाकुर के पिता जेठूराम का दिसंबर 2017 में निधन हो गया था. मुख्यमंत्री बनने के बाद ब्रिकमु देवी ने रुंधे हुए कंठ से कहा था कि कितना अच्छा होता यदि बेटे को इस ऊंचाई पर पहुंचता देखने के लिए पिता भी मौजूद होते.

पांच भाई-बहनों में चौथे नंबर पर हैं सीएम जयराम: जयराम ठाकुर पांच भाई-बहनों में चौथे नंबर पर हैं. उनके परिवार में सबसे बड़ी बहन पूर्णू देवी हैं. पूर्णू देवी के बाद भाई अनंतराम व वीर सिंह हैं. अनंतराम फर्नीचर व्यवसाय से जुड़े हैं तो वीर सिंह ठेकेदारी करते हैं. चौथे नंबर पर जयराम ठाकुर हैं, जो अब प्रदेश के मुख्यमंत्री के पद पर विराजमान हैं. सबसे छोटी बहन अनु आंगनवाड़ी में कार्यरत हैं. परिवार का रहन-सहन साधारण हैं. मां ब्रिकमू देवी और बहन अनु के अनुसार पिता जेठूराम बेटे को ऊंची पदवी पर विराजमान होते देखना चाहते थे. नियति ने उन्हें 25 दिसंबर 2017 को ही परिवार से छीन लिया. बीमारी की हालत में भी पिता जेठूराम को यही उम्मीद थी कि विधानसभा चुनाव में वे अपने बेटे के पक्ष में मतदान करते. उन्हें पूरी आशा थी कि जिस मेहनत व समर्पण से जयराम ने अपने तीन दशक के राजनीतिक जीवन में काम किया है, वे ऊंचाई हासिल करेंगे. अब जयराम ठाकुर प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं, लेकिन उन्हें इस रूप में देखने के लिए पिता इस संसार में नहीं हैं. जयराम ठाकुर को भी इसका मलाल है.

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