शिमला: अंधेरी कोठरी में बरसों से जिंदगी बिता रहीं कमला के जीवन में पहली बार उम्मीद की किरण आई है. गंभीर दुर्घटना में घुटनों से नीचे का पैर खराब होने के कारण चलने में असमर्थ और मानसिक रूप से अस्वस्थ इस बेसहारा विधवा को इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज के मनोचिकित्सा विभाग में दो-तीन दिन तक ऑब्जर्वेशन के लिए भर्ती कराया गया है. कमला ऊपरी शिमला के सरस्वती नगर के पास अंटी गांव में अत्यंत दयनीय स्थिति में रह रही थीं.
उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष एवं राज्य विकलांगता सलाहकार बोर्ड के विशेषज्ञ सदस्य प्रो. अजय श्रीवास्तव ने बेसहारा कमला को रेस्क्यू करके उसका इलाज कराने एवं पुनर्वास के लिए मुख्यमंत्री से आग्रह किया था. इसके बाद उसे रेस्क्यू करने के काम में तेजी आई. उससे पहले रोहडू के सामाजिक कार्यकर्ता नरेंद्र चौहान ने कमला के लिए प्रयास किए, लेकिन प्रशासनिक सुस्ती के कारण उस में विलंब हो रहा था.
कमला का आईजीएमसी में चल रहा इलाज
आईजीएमसी अस्पताल के मनोचिकित्सा विभाग के प्रोफेसर एवं अध्यक्ष डॉ. दिनेश शर्मा का कहना है कि कमला को अभी फिलहाल निगरानी में रखा गया है, ताकि यह तय किया जा सके कि उसकी मानसिक समस्या क्या है. एसडीएम रोहडू के आदेश पर महिला एवं बाल कल्याण विभाग ने ही उसे आईजीएमसी में भर्ती कराया.
नारी सेवा सदन में कमला को कराया जा सकता है भर्ती
प्रो. श्रीवास्तव का कहना है कि यदि कमला का मानसिक स्वास्थ्य ठीक है तो उसे नारी सेवा सदन में भर्ती कराया जा सकता है. यदि वह मानसिक रोगी है तो उसे कुल्लू में स्वयंसेवी संस्था द्वारा चलाए जा रहे बेसहारा मनोरोगी महिलाओं के आश्रम में भर्ती कराया जाएगा. उन्होंने बताया कि उनकी जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने वर्ष 2015 में आदेश दिए थे कि मनोरोगी या बौद्धिक विकलांगता वाली महिलाओं को सामान्य महिलाओं के साथ नारी सेवा सदन में नहीं रखा जा सकता.