ठियोग: देश भर में रविवार को सूर्य ग्रहण पर लोगों ने अपनी मान्यताओं के अनुसार पूजा, जप, तप और कई धार्मिक कार्य किये. हिमाचल प्रदर्श में भी सूर्य ग्रहण के अवसर पर लोग सुबह से ही अपने घरों में दुबके रहे.
इस दौरान लोगों ने विशेष मंत्रों का उच्चारण किया. गांव में लोगों की मान्यता है कि ग्रहण के समय धार्मिक किताबें पढ़नी चाहिए और खास कर गर्भवती महिलाओं को लेकर गांव में विशेष ध्यान रखा जाता है. सूर्य ग्रहण के समय लोग सूर्य भगवान की शक्ति को बढ़ाने के लिए अपनी मान्यताओं के अनुसार पूजा करते हैं और जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक दूसरे के ठीक सामने होते हैं तो लोग विशेष बोली के साथ जयकारे लगाते हैं और सात अलग-अलग अनाज के दानों को इकठ्ठा कर सूर्य की तरफ फेंकते हैं.
मान्यताओं के अनुसार राहु जब सूर्य देवता को घेर लेता है तो उस दौरान राहु को भगाने और सूर्य देव को ज्यादा शक्ति मिले ऐसी लोग कामना करते हैं. ग्रहण के छूटते समय लोग घरों की पूरी सफाई करते हैं और घर का एक-एक व्यक्ति स्नान कर, तिल और तेल का दान करते हैं. गंगाजल के पानी से स्नान करते हैं उसके बाद घर में ताजा खाना बनता है फिर जाकर ग्रहण का सूतक हट जाता है.
सूर्य ग्रहण को लेकर गांव के लोगों का कहना है कि ग्रहण की शांति के लिए लोग गांव में अपनी भाषा के साथ जयकारे लगाते हुए शंखनाद भी करते हैं जिससे सारे ग्रह शांत हो जायें. वहीं, पंडितों और वेदाचार्य का कहना है कि ग्रहों चाल जब बदलती है तो ऐसी घटनाएं कभी कभार होती हैं जिसे वैज्ञानिक और धार्मिक दोनों तरफ से लोग मानते हैं. गांव में आज भी लोग ऊनी परंपरा को निभाते हुए एक रस्म अदा करते हैं.
शास्त्री विद्याधर शर्मा का कहना है कि लोगों की अपनी मान्यता है और साइंस का अपना तर्क है, लेकिन मान्यताओं के अनुसार जब भी ग्रहण लगता है तो इसका हर आदमी पर अच्छा और बुरा फर्क पड़ता है और ग्रहण भी कई प्रकार के होते हैं. जिसके अलग अलग राशि पर इसका असर होता है.
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