रामपुर: सर्दियों के मौसम में सरसों का साग पौष्टिकता से भरपूर होता है. मक्की की रोटी के साथ सरसों का साग काफी पसंद किया जाता है. अंतरराष्ट्रीय लवी मेले में इसकी खुब धूम मची हुई है. जो भी लोग मेले मैदान में लवी देखने के लिए पहुंचते हैं वह सरसों का साग मक्की की रोटी खाए बीना नहीं जाते. मेले में हर साल मक्की की रोटी सरसों का साग मिलता है. यहां के लोगों का कहना है कि यहां पर साल में एक बार जो पारंपरिक डिश बनती है वह खाने में काफी लजीज होती है. उनका कहना है कि पहले सभी के घरों में लवी के समय यह बनाया जाता था, लेकिन समय के साथ अब काफी बदलाव हो चुका है. (Sarson ka saag And Makki ki Roti) (International Lavi Fair in Rampur)
लोगों के घरों से अब मक्की की रोटी गायब हो चुकी है बहुत ही कम लोग अब मक्की की रोटी बनाना जानते हैं. कुल्लू से आए व्यापारी ने बताया वे हर साल लवी मेले में मक्की की रोटी सरसों का साग का स्टॉल लगाते हैं. उन्होंने बताया यहां पर हर दिन वे 100 किलो करीब मक्की के आटे से रोटी तैयार करते हैं. व्यापारी ने बताया मक्की की रोटी के साथ-साथ कोदे की रोटी भी यहां पर लोगों को उपलब्ध करवाई जा रही है. जिसे लोग काफी पसंद कर रहे हैं. (Saag And Makki ki Roti in International Lavi Fair) (People liking Sarson ka Saag And Makki ki Roti)
50 रुपए के दाम में मक्की की रोटी और सरसों का साग दिया जा रहा है. कोदे की रोटी के साथ 70 रुपए की प्लेट लोगों को उपलब्ध कराई जा रही है. बता दें की मक्की की रोटी का जिक्र आते ही सरसों के साग का ख्याल भी आता है. विंटर सीजन में तो खास तौर पर सरसों का साग और मक्की की रोटी को खाया जाता है. शरीर में गर्माहट लाने वाला सरसों का साग न सिर्फ पौष्टिक होता है, बल्कि ये मक्की की रोटी के साथ काफी स्वादिष्ट भी लगता है. (Sarson ka saag And Makki ki Roti in Lavi Fair)
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